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NPA की मांग को लेकर बेमियादी हड़ताल पर पशु चिकित्सक, कुचामन सहित राज्य भर के पशुपालक परेशान

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 18, 2023, 5:46 PM IST

नॉन प्रैक्टिस अलाउंस यानी एनपीए की मांग को लेकर कुचामन सहित पूरे राजस्थान के पशु चिकित्सकों ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है. इसकी वजह से पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है. मौजूदा आलम यह है कि पशुपालक अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं.

Veterinarians on indefinite strike
Veterinarians on indefinite strike
बेमियादी हड़ताल पर पशु चिकित्सक

कुचामन सिटी. नॉन प्रैक्टिस अलाउंस की मांग को लेकर कुचामन सहित पूरे प्रदेश के पशु चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर हैं. वहीं, पशु चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है और वो अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. दूसरी ओर पशु चिकित्सालाय कुचामन मुख्यालय पर जमा हुए क्षेत्र के चिकित्सकों ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि वे पिछले एक दशक से एनपीए की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

सरकार पर अनदेखी का आरोप : पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. गोविंद राम चौधरी ने कहा कि समय-समय पर विरोध दर्ज कराने के साथ ही सरकार तक कई बार मांगों को पहुंचाया गया. बावजूद इसके उन्हें आश्वासन के अलावा और कुछ हासिल नहीं हुआ. आगे हड़तालरत चिकित्सकों ने राज्य की गहलोत सरकार पर भी विश्वासघात का आरोप लगाया और कहा कि एनपीए की मांग करते हुए एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर काम किए, लेकिन इससे भी मौजूदा सरकार के कानों तले जूं तक नहीं रेंगी.

इसे भी पढ़ें - प्री वेटरनरी टेस्ट स्थगित, जानें वजह

पशुपालकों की बढ़ी परेशानी : हड़तालरत चिकित्सकों ने बताया कि राज्य के पशु चिकित्सा अधिकारी सरकार से लंबे समय से एनपीए की मांग कर रहे हैं, लेकिन पशुपालन विभाग और सरकार इस मांग को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है. 6 सितंबर को विभाग को जयपुर में प्रदेश इकाई की ओर से ज्ञापन के जरिए अपनी मांग से पुन: अवगत करवाया गया था. साथ ही 16 सितंबर से बेमियादी हड़ताल पर जाने के निर्णय से भी अवगत कराया गया था. बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया.

वहीं, चिकित्सकों की हड़ताल के चलते कामधेनु बीमा योजना का काम पूरी तरह से अटक गया है. इसके अलावा प्रदेश के पशुपालकों को अपने मवेशियों के उपचार के लिए यहां-वहां भटकना पड़ रहा है. पहले पशुपालक अपने पशुओं का बीमा करवाने के लिए महंगाई राहत कैंपों में दिखाई दिए. फिर गारंटी कार्ड को लेकर बीमा करवाए और अब पशुओं के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, क्योंकि पशु चिकित्सक हड़ताल पर हैं. इधर, पशु चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर जाने व हड़ताल से सरकार की मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के क्रियान्वयन पर संकट के बादल छा गए हैं.

बेमियादी हड़ताल पर पशु चिकित्सक

कुचामन सिटी. नॉन प्रैक्टिस अलाउंस की मांग को लेकर कुचामन सहित पूरे प्रदेश के पशु चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर हैं. वहीं, पशु चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है और वो अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. दूसरी ओर पशु चिकित्सालाय कुचामन मुख्यालय पर जमा हुए क्षेत्र के चिकित्सकों ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि वे पिछले एक दशक से एनपीए की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

सरकार पर अनदेखी का आरोप : पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. गोविंद राम चौधरी ने कहा कि समय-समय पर विरोध दर्ज कराने के साथ ही सरकार तक कई बार मांगों को पहुंचाया गया. बावजूद इसके उन्हें आश्वासन के अलावा और कुछ हासिल नहीं हुआ. आगे हड़तालरत चिकित्सकों ने राज्य की गहलोत सरकार पर भी विश्वासघात का आरोप लगाया और कहा कि एनपीए की मांग करते हुए एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर काम किए, लेकिन इससे भी मौजूदा सरकार के कानों तले जूं तक नहीं रेंगी.

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पशुपालकों की बढ़ी परेशानी : हड़तालरत चिकित्सकों ने बताया कि राज्य के पशु चिकित्सा अधिकारी सरकार से लंबे समय से एनपीए की मांग कर रहे हैं, लेकिन पशुपालन विभाग और सरकार इस मांग को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है. 6 सितंबर को विभाग को जयपुर में प्रदेश इकाई की ओर से ज्ञापन के जरिए अपनी मांग से पुन: अवगत करवाया गया था. साथ ही 16 सितंबर से बेमियादी हड़ताल पर जाने के निर्णय से भी अवगत कराया गया था. बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया.

वहीं, चिकित्सकों की हड़ताल के चलते कामधेनु बीमा योजना का काम पूरी तरह से अटक गया है. इसके अलावा प्रदेश के पशुपालकों को अपने मवेशियों के उपचार के लिए यहां-वहां भटकना पड़ रहा है. पहले पशुपालक अपने पशुओं का बीमा करवाने के लिए महंगाई राहत कैंपों में दिखाई दिए. फिर गारंटी कार्ड को लेकर बीमा करवाए और अब पशुओं के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, क्योंकि पशु चिकित्सक हड़ताल पर हैं. इधर, पशु चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर जाने व हड़ताल से सरकार की मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के क्रियान्वयन पर संकट के बादल छा गए हैं.

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