कुचामनसिटी. विवाहिता से सामूहिक दुष्कर्म के लगभग दस साल पुराने मामले में कुचामन एडीजे न्यायालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मामले में चार आरोपियों को बरी कर दिया है. मामले में आरोपी पक्ष की पैरवी करने वाले अधिवक्ता एडवोकेट मोहम्मद इस्लाम पांचवा, एडवोकेट श्याम सुंदर चौहान और एडवोकेट मनीष चौहान ने बताया की न्यायधीश सुंदर लाल खारोल ने साक्ष्यों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए मामले में चार आरोपियों उस्मान लीलगर,अमजद असलम पठान और सांवताराम को बरी करने का फैसला सुनाया है.
बता दे कि 5 दिसंबर 2013 को कुचामन शहर के समीप स्थित जसराना गांव की एक विवाहिता से सामूहिक दुष्कर्म का मामला आईपीसी की धारा 452, 384 और 376 D के तहत कुचामन थाने में दर्ज कराया गया था. उसके बाद लगभग दस साल तक न्यायालय में मामला चला. वकील मोहम्मद इस्लाम पांचवा ने बताया की अभियोजन पक्ष ने पैरवी के दौरान 20 गवाह और 44 दस्तावेज पेश किए. उन्होंने बताया कि मुकदमे में फैसला आया. केस में बरी किए गए उस्मान लीलगर ने इस मौके पर कहा कि उन्हें देश की न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा विश्वास था. उन्होंने कहा की मामला पूरी तरह झूठा था और आज न्यायालय में ये साबित भी हो गया.
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ये था मामला: कुचामन शहर के समीप स्थित जसराना गांव में एक विवाहिता से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था. इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. चौथा आरोपी मौके से भाग गया था. घटना के समय महिला घर पर अकेली थी. आरोपियों ने उसके घर में घुसकर बदसलूकी की थी. पीडि़ता की मां घर पर आ गई और आरोपी भागने लगे, लेकिन हल्ला होने पर लोगों ने तीन लोगों को मौके पर पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया था, जबकि चौथा आरोपी भाग गया था. सामूहिक दुष्कर्म का एक आरोपी कुचामन का मनोनीत पार्षद उस्मान लीलगर व दूसरा बासा ग्राम पंचायत का सरपंच सांवताराम था.