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स्पेशल स्टोरी: नागौर से चली राज्य पुष्प रोहिड़ा के संरक्षण की बयार, अब प्रदेश भर में यूं बिखरेगी इसकी महक - प्रदेश भर में यूं बिखरेगी इसकी महक

राजस्थान के सागवान के नाम से मशहूर रोहिड़ा के संरक्षण के लिए नागौर के राजकीय मिर्धा कॉलेज की एनसीसी यूनिट ने करीब दो साल पहले ऑपरेशन रोहिड़ा शुरू किया और अब तक चार हजार पौधे इस मुहिम के तहत लगाए जा चुके हैं. अब प्रदेश सरकार ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है. जयपुर के झालाना संरक्षित क्षेत्र सहित प्रदेश के विभिन्न वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में भी रोहिड़ा के पौधे लगाए जाएंगे.

protection of Rohida plants, राज्य पुष्प रोहिड़ा
नागौर से चली राज्य पुष्प रोहिड़ा के संरक्षण की बयार
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Published : Dec 7, 2019, 10:08 PM IST

नागौर. मारवाड़ के सागवान के रूप में पहचान रखने वाले रोहिड़ा का फूल राज्य पुष्प के रूप में जाना जाता है. रोहिड़ा के संरक्षण और आमजन को इसके लिए जागरूक करने के उद्देश्य से नागौर के धोरों से जो बयार करीब दो साल पहले चली थी. वह अब पूरे प्रदेशभर में रोहिड़ा की महक बिखेरेगी.

नागौर के राजकीय मिर्धा कॉलेज की एनसीसी यूनिट ने पिछले साल जुलाई में रोहिड़ा वृक्ष के संरक्षण के लिए ऑपेरशन रोहिड़ा शुरू किया था. कॉलेज के ही एक हिस्से में जांबाज रोहिड़ा उद्यान बनाकर 90 पौधे लगाए गए, जो अब पेड़ बनने की ओर बढ़ रहे हैं.

एनसीसी के गोद लिए गांव छापड़ा से इसके पौधे लगाने का जो अभियान चला वो सुदूर रेतीले टीलों तक पहुंच गया. कुछ ही समय में यह मुहिम जिले की सीमा लांघकर अजमेर और राजधानी जयपुर तक पहुंच गई. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, सांगानेर ओपन जेल सहित कई अन्य जगहों पर बड़ी तादाद में रोहिड़ा के पौधे लगे. इस मुहिम के तहत अब तक करीब चार हजार पौधे लगाए जा चुके हैं. जिनमें से अधिकांश जीवित हैं.

नागौर से चली राज्य पुष्प रोहिड़ा के संरक्षण की बयार
अब प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई का कहना है कि झालाना वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में काटे गए बबूल की जगह रोहिड़ा के पौधे लगाए जाएंगे. इसके साथ ही प्रदेश के अन्य वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक संख्या में रोहिड़ा के पौधे लगाने का भरोसा मंत्री बिश्नोई ने दिया है.

ये भी पढे़ं: समाज नहीं अपनाएगा, यह सोचकर दोनों ने खा लिया जहर

इस मुहिम के सूत्रधार मिर्धा कॉलेज के एनसीसी अधिकारी डॉ. प्रेमसिंह बुगासर का कहना है कि रोहिड़ा के पेड़ जैव विविधता का संरक्षण करते हैं. यह कम पानी मिलने पर भी पनपने की क्षमता रखता है. इसलिए यह राजस्थान की जलवायु के एकदम अनुकूल है. रोहिड़ा के फूल को राज्य पुष्प का दर्जा होने के कारण यह हमारी जड़ों से जुड़ा लगता है. औषधीय गुणों की प्रचुरता के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. इमारती लकड़ी देने के कारण यह मारवाड़ के सागवान के रूप में जाना जाता है. जिनके कारण एनसीसी ने रोहिड़ा के संरक्षण के लिए ऑपरेशन रोहिड़ा शुरू किया गया है.

नागौर. मारवाड़ के सागवान के रूप में पहचान रखने वाले रोहिड़ा का फूल राज्य पुष्प के रूप में जाना जाता है. रोहिड़ा के संरक्षण और आमजन को इसके लिए जागरूक करने के उद्देश्य से नागौर के धोरों से जो बयार करीब दो साल पहले चली थी. वह अब पूरे प्रदेशभर में रोहिड़ा की महक बिखेरेगी.

नागौर के राजकीय मिर्धा कॉलेज की एनसीसी यूनिट ने पिछले साल जुलाई में रोहिड़ा वृक्ष के संरक्षण के लिए ऑपेरशन रोहिड़ा शुरू किया था. कॉलेज के ही एक हिस्से में जांबाज रोहिड़ा उद्यान बनाकर 90 पौधे लगाए गए, जो अब पेड़ बनने की ओर बढ़ रहे हैं.

एनसीसी के गोद लिए गांव छापड़ा से इसके पौधे लगाने का जो अभियान चला वो सुदूर रेतीले टीलों तक पहुंच गया. कुछ ही समय में यह मुहिम जिले की सीमा लांघकर अजमेर और राजधानी जयपुर तक पहुंच गई. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, सांगानेर ओपन जेल सहित कई अन्य जगहों पर बड़ी तादाद में रोहिड़ा के पौधे लगे. इस मुहिम के तहत अब तक करीब चार हजार पौधे लगाए जा चुके हैं. जिनमें से अधिकांश जीवित हैं.

नागौर से चली राज्य पुष्प रोहिड़ा के संरक्षण की बयार
अब प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई का कहना है कि झालाना वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में काटे गए बबूल की जगह रोहिड़ा के पौधे लगाए जाएंगे. इसके साथ ही प्रदेश के अन्य वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक संख्या में रोहिड़ा के पौधे लगाने का भरोसा मंत्री बिश्नोई ने दिया है.

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इस मुहिम के सूत्रधार मिर्धा कॉलेज के एनसीसी अधिकारी डॉ. प्रेमसिंह बुगासर का कहना है कि रोहिड़ा के पेड़ जैव विविधता का संरक्षण करते हैं. यह कम पानी मिलने पर भी पनपने की क्षमता रखता है. इसलिए यह राजस्थान की जलवायु के एकदम अनुकूल है. रोहिड़ा के फूल को राज्य पुष्प का दर्जा होने के कारण यह हमारी जड़ों से जुड़ा लगता है. औषधीय गुणों की प्रचुरता के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. इमारती लकड़ी देने के कारण यह मारवाड़ के सागवान के रूप में जाना जाता है. जिनके कारण एनसीसी ने रोहिड़ा के संरक्षण के लिए ऑपरेशन रोहिड़ा शुरू किया गया है.

Intro:राजस्थान के सागवान के नाम से मशहूर रोहिड़ा के संरक्षण के लिए नागौर के राजकीय मिर्धा कॉलेज की एनसीसी यूनिट ने करीब दो साल पहले ऑपेरशन रोहिड़ा शुरू किया और अब तक चार हजार पौधे इस मुहिम के तहत लगाए जा चुके हैं। अब प्रदेश सरकार ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का एलान किया है। जयपुर के झालाना संरक्षित क्षेत्र सहित प्रदेश के विभिन्न वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में भी रोहिड़ा के पौधे लगाए जाएंगे।


Body:नागौर. मारवाड़ के सागवान के रूप में पहचान रखने वाले रोहिड़ा का फूल राज्य पुष्प के रूप में जाना जाता है। रोहिड़ा के संरक्षण और आमजन को इसके लिए जागरूक करने के उद्देश्य से नागौर के धोरों से जो बयार करीब दो साल पहले चली थी। वह अब पूरे प्रदेशभर में रोहिड़ा की महक बिखेरेगी।
नागौर के राजकीय मिर्धा कॉलेज की एनसीसी यूनिट ने पिछले साल जुलाई में रोहिड़ा वृक्ष के संरक्षण के लिए ऑपेरशन रोहिड़ा शुरू किया था। कॉलेज के ही एक हिस्से में जांबाज रोहिड़ा उद्यान बनाकर 90 पौधे लगाए गए। जो अब पेड़ बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
फिर एनसीसी के गोद लिए गांव छापड़ा से इसके पौधे लगाने का जो अभियान चला वो सुदूर रेतीले टीलों तक पहुंच गया। कुछ ही समय में यह मुहिम जिले की सीमा लांघकर अजमेर और राजधानी जयपुर तक पहुंच गई। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, सांगानेर ओपन जेल सहित कई अन्य जगहों पर बड़ी तादाद में रोहिड़ा के पौधे लगे। इस मुहिम के तहत अब तक करीब चार हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। जिनमें से अधिकांश जीवित हैं।

अब प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई का कहना है कि झालाना वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में काटे गए बबूल की जगह रोहिड़ा के पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही प्रदेश के अन्य वन्य जीव संरक्षित क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक संख्या में रोहिड़ा के पौधे लगाने का भरोसा मंत्री बिश्नोई ने दिया है।


Conclusion:इस मुहिम के सूत्रधार मिर्धा कॉलेज के एनसीसी अधिकारी डॉ. प्रेमसिंह बुगासर का कहना है कि रोहिड़ा के पेड़ जैव विविधता का संरक्षण करते हैं। यह कम पानी मिलने पर भी पनपने की क्षमता रखता है। इसलिए यह राजस्थान की जलवायु के एकदम अनुकूल है। रोहिड़ा के फूल को राज्य पुष्प का दर्जा होने के कारण यह हमारी जड़ों से जुड़ा लगता है। औषधीय गुणों की प्रचुरता के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। इमारती लकड़ी देने के कारण यह मारवाड़ के सागवान के रूप में जाना जाता है। यह प्रमुख कारण उन्होंने बताए। जिनके कारण एनसीसी ने रोहिड़ा के संरक्षण के लिए ऑपेरशन रोहिड़ा शुरू किया।
......
बाईट 1- सुखराम बिश्नोई, वन एवं पर्यावरण मंत्री।
बाईट 2- डॉ. प्रेमसिंह बुगारड़ा, सूत्रधार, ऑपेरशन रोहिड़ा।
बाईट 3- डॉ. प्रेमसिंह बुगारड़ा, सूत्रधार, ऑपेरशन रोहिड़ा।
बाईट 4- डॉ. प्रेमसिंह बुगारड़ा, सूत्रधार, ऑपेरशन रोहिड़ा।
बाईट 5- सुखराम बिश्नोई, वन एवं पर्यावरण मंत्री।
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