नागौर. मेड़ता सिटी के पंचायत समिति की विकास अधिकारी कविता जसोरिया व जनप्रतिनिधि, कर्मचारियों के बीच का विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है सोमवार को भी पंचायत समिति के अंदर जमकर हंगामा देखने को मिला.
पंचायत समिति के कार्मिको ने कार्य का बहिष्कार करते हुए समिति के सभागार में धरना दिया तो वहीं विकास अधिकारी कविता जसोरिया ने आचार संहिता की पालना में सरकारी भवन में धरना देने से मना करते हुए कर्मचारियों को बाहर निकलने के निर्देश दिए. इस पर कर्मचारी और जनप्रतिनिधि गुस्सा हो गए. इस दौरान विकास अधिकारी कविता जसोरिया और प्रधान किरण महेरिया के बीच भी जमकर बहस हुई.
मेड़ता सिटी पंचायत समिति के प्रधान किरण मेहरिया ने कहा कि विकास अधिकारी अपने मनमाने तरीके से पंचायत समिति के कार्मिकों व जनप्रतिनिधियों को परेशान कर रही हैं. भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि विकास अधिकारी कार्मिकों को बिना वजह नोटिस देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम कर रही हैं. इसी के विरोध में जनप्रतिनिधि सहित कार्मिक विकास अधिकारी के विरोध में धरना दे रहे हैं.
वहीं विकास अधिकारी कविता जसोरिया ने तमाम आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि पंचायत समिति में चल रहे विवाद के बारे में उन्होंने उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है. वहीं विवाद को बढ़ता देख मिलता थाना पुलिस भी मौके पर मौजूद रही.
आपको बता दे कि कार्मिकों ने मेड़ता दौरे पर आए जिला कलेक्टर दिनेश यादव को ज्ञापन देकर विकास अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी साथ ही एक्शन नहीं लेने पर पेनडाउन हड़ताल की चेतावनी भी दी थी. कार्मिकों का आरोप है कि विकास अधिकारी तानाशाही तरीके से कार्य कर ररी हैं. बिना कारण कर्मचारियों को नोटिस दिए जा रहे हैं. कर्मचारियों ने विकास अधिकारी जसोरिया पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सहायक प्रशासनिक अधिकारी को निलंबित करने का आरोप भी लगाया.
विरोध करने वाले कार्मिकों की मानें तो विकास अधिकारी अब तक 25 से अधिक कर्मचारियों को 16 व 17 सीसीए नोटिस दे चुकी हैं साथ ही तीन कर्मचारियों को भी एपीओ कर दिया. एक साल पहले भी मेड़ता पंचायत समिति की विकास अधिकारी कविता जसोरिया द्वारा सरपंचों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था तो मोररा सरपंच सुखाराम हुड्डा ने भी कविता जसोरिया के खिलाफ अभद्र व्यवहार करने और उनके साथ धक्का-मुक्की कर चेंबर से बाहर निकालने का मामला दर्ज कराया था.