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Kargil Vijay Diwas : कारगिल विजय के बाद ऑपरेशन रक्षक में घायल हुए सूबेदार रोशन खां की कहानी - Kargil War

कारगिल युद्ध (Kargil War) भारतीय सेना की वीरता, अदम्य साहस और पराक्रम से समाप्त हुआ. इस दौरान चले ऑपरेशन रक्षक में राजस्थान के वीर सूबेदार रोशन खां ने वीरता का परिचय दिया और दुश्मन को खत्म कर दम (Subedar Roshan Khan in Operation Rakshak) लिया. हालांकि इस दौरान एक हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए. आइए जानते हैं कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर सूबेदार रोशन खां की जुबानी उन्हीं की कहानी...

Kargil Vijay Diwas: Subedar Roshan Khan true story during operation Rakshak
कारगिल विजय के बाद ऑपरेशन रक्षक में घायल हुए सूबेदार रोशन खां की कहानी
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Published : Jul 26, 2022, 5:44 PM IST

नागौर. कारगिल में ऑपरेशन विजय में देश के वीर जवानों ने देश के लिए अपने प्राणों की परवाह किए बगैर दुश्मन को धूल चटाई. ऑपरेशन विजय खत्म होने के बाद सेना ने कश्मीर में छिपे बैठे आतंकियों को खत्म करने के लिये ऑपरेशन रक्षक लॉन्च किया. इसमें भी सेना के जवानों ने अपना अदम्य साहस दिखाया और आतंकियों को ढेर कर देश की हिफाजत की. ऑपरेशन विजय के दौरान जम्मू कश्मीर के बनिहाल में तैनात रहे सूबेदार रोशन खां ने दुश्मनों को धूल चटाई थी. इसके बाद हुए ऑपरेशन रक्षक में भी उन्होंने अपनी वीरता और साहस का परिचय (Subedar Roshan Khan in Operation Rakshak) दिया. 26 जुलाई को मनाए जाने वाले कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर आपको सुनाते हैं सूबेदार रोशन खां की कहानी, खुद उन्हीं की जुबानी...

सूबेदार रोशन खां डीडवाना के नजदीक गांव कुड़ली के रहने वाले हैं. ऑपरेशन रक्षक के दौरान उन्हें बनिहाल में एक मस्जिद में कुछ आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली. पेट्रोलिंग के लिए निकली उनकी टीम ने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी. अधिकारियों के निर्देश पर मस्जिद में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान सूबेदार रोशन खां ने एक दर्रे में छिपे आतंकवादी को ग्रेनेड से मार गिराया. थोड़ी दूरी पर एक और आतंकवादी था. उसको भी साथी सैनिकों के साथ मिलकर खत्म कर दिया गया.

पढ़ें: Martyr Abhay Pareek: विजय दिवस पर अतीत के पन्नों में शहादत के किस्से ,जयपुर के लेफ्टिनेंट अभय ने सरहद पर दुश्मन से लिया था लोहा

बाद में मस्जिद को घेर कर जैसे ही हमले की तैयारी की गई. उसी वक्त आतंकियों ने ब्रस्ट फायर कर दिया. जिसमें कुछ जवान और एक मेजर के साथ सूबेदार रोशन खां भी गंभीर रूप से घायल हो गए. लेकिन सेना के जवानों ने 24 घंटे चले इस ऑपरेशन में आधा दर्जन से ज्यादा आतंकियों को खत्म कर दिया. ऑपरेशन के दौरान फायरिंग में रोशन खां को तीन गोली लगी. सूबेदार रोशन खां का मानना है कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन कारगिल की विजय ने हमारा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. आज भी कारगिल को याद करके दुश्मन की रूह तक कांप जाती है.

नागौर. कारगिल में ऑपरेशन विजय में देश के वीर जवानों ने देश के लिए अपने प्राणों की परवाह किए बगैर दुश्मन को धूल चटाई. ऑपरेशन विजय खत्म होने के बाद सेना ने कश्मीर में छिपे बैठे आतंकियों को खत्म करने के लिये ऑपरेशन रक्षक लॉन्च किया. इसमें भी सेना के जवानों ने अपना अदम्य साहस दिखाया और आतंकियों को ढेर कर देश की हिफाजत की. ऑपरेशन विजय के दौरान जम्मू कश्मीर के बनिहाल में तैनात रहे सूबेदार रोशन खां ने दुश्मनों को धूल चटाई थी. इसके बाद हुए ऑपरेशन रक्षक में भी उन्होंने अपनी वीरता और साहस का परिचय (Subedar Roshan Khan in Operation Rakshak) दिया. 26 जुलाई को मनाए जाने वाले कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर आपको सुनाते हैं सूबेदार रोशन खां की कहानी, खुद उन्हीं की जुबानी...

सूबेदार रोशन खां डीडवाना के नजदीक गांव कुड़ली के रहने वाले हैं. ऑपरेशन रक्षक के दौरान उन्हें बनिहाल में एक मस्जिद में कुछ आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली. पेट्रोलिंग के लिए निकली उनकी टीम ने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी. अधिकारियों के निर्देश पर मस्जिद में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान सूबेदार रोशन खां ने एक दर्रे में छिपे आतंकवादी को ग्रेनेड से मार गिराया. थोड़ी दूरी पर एक और आतंकवादी था. उसको भी साथी सैनिकों के साथ मिलकर खत्म कर दिया गया.

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बाद में मस्जिद को घेर कर जैसे ही हमले की तैयारी की गई. उसी वक्त आतंकियों ने ब्रस्ट फायर कर दिया. जिसमें कुछ जवान और एक मेजर के साथ सूबेदार रोशन खां भी गंभीर रूप से घायल हो गए. लेकिन सेना के जवानों ने 24 घंटे चले इस ऑपरेशन में आधा दर्जन से ज्यादा आतंकियों को खत्म कर दिया. ऑपरेशन के दौरान फायरिंग में रोशन खां को तीन गोली लगी. सूबेदार रोशन खां का मानना है कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन कारगिल की विजय ने हमारा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. आज भी कारगिल को याद करके दुश्मन की रूह तक कांप जाती है.

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