नागौर. जायल तहसील स्थित रोटू वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में वन्य जीवों की तादाद बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. यहां जानवरों को पीने का पानी और खाने के लिए घास मुहैया करवाने के लिए वन विभाग ने अनूठी पहल शुरू की है.
अब वन्य जीवों को भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा. इससे इनके शिकार की घटनाओं पर रोक लगेगी. साथ ही हादसों में जीवों के घायल होने या मौत के आंकड़ों पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है.
जायल तहसील के रोटू गांव के आसपास का इलाका वन्य जीवों के लिए संरक्षित घोषित किया गया है. पिछले कुछ सालों से इस इलाके में जानवरों के लिए गर्मी में पीने के पानी की किल्लत की समस्या आई थी. इस साल वन विभाग की ओर से वहां एक ट्यूबवेल खुदवाया गया है. उसे बिजली के बजाए सौर ऊर्जा से चलाया जा रहा है.
डीएफओ मोहित गुप्ता का कहना है कि सौर ऊर्जा चलित ट्यूबवेल का बड़ा फायदा यह है कि इससे विभाग के बिजली के बिल की बचत होगी. साथ ही निर्बाध रूप से पानी की आपूर्ति भी की जा सकेगी. उन्होंने बताया कि ट्यूबवेल से खेलियों तक पानी पहुंचाने के लिए एक स्ट्रक्चर भी तैयार किया गया है. बारिश के मौसम में रोटू वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में घास के मैदान भी विकसित किए जाएंगे. ताकि वन्य जीवों के लिए खाने की कमी भी न रहे.
बता दें कि चिंकारा और काले हिरण की एक बड़ी तादाद पाए जाने के कारण रोटू गांव के आसपास के इलाके को वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है. वर्तमान में जिले में 4794 काले हिरण और 2717 काले हिरण हैं. इनमें से ज्यादातर चिंकारा और काले हिरण रोटू इलाके में ही जीवन यापन करते हैं.