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नागौरी मेले की बढ़ी रौनक, प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद

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Published : Jan 28, 2020, 11:55 PM IST

नागौर के ऐतिहासिक श्री रामदेव पशु मेला नागौर में 25 जनवरी से चल रहा है. इस मेले में आने वाले लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए भी नागौर जिला प्रशासन काम कर रहा है. मेले की समाप्ति के बाद नागौरी नस्ल के बैलों और नागौरी नस्ल की गाय को खरीद कर वापस अपने स्थान तक ले जाने के लिए पूरे इंतजाम किए गए है.

श्री रामदेव पशु मेला, nagore latest news
नागौर में आयोजित होगा ऐतिहासिक श्री रामदेव पशु मेला

नागौर. विश्व प्रसिद्ध नागौर का श्री रामदेव पशु मेला 25 जनवरी से शुरू हुआ था. ये मेला प्रदेश के 5 बड़े पशु मेले में से एक है. विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले में नागौरी नस्ल के बैल और गाय पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. पिछले कई सालों से इसके अस्तित्व पर संकट आने पर अब नागौर जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक पशु मेले के गौरव को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं.

नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि इस मेले की पहचान मशहूर नागौरी नस्ल के बैलों से है. नागौरी नस्ल के बैल की खरीदारी के लिए प्रदेश के साथ-साथ देश के कई राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से व्यापारी इस मेले में आते हैं.

पढ़ें- नागौर के विश्वप्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले का आगाज, बाहरी राज्यों के पशुपालकों का मोहभंग

साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार व्यापारियों और पशुपालकों को मेले में आने से कोई परेशानी नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. मेला समाप्ति के बाद नागौरी नस्ल के बैलों और नागौरी नस्ल की गाय को खरीद कर वापस अपने स्थान तक ले जाने के लिए रेल सेवाओं के प्रयास और ट्रांसपोर्ट के जरिए रोड मार्ग से अपने-अपने इलाकों तक सुरक्षित नागौरी नस्ल के बैल और गाय को ले जा सकेंगे. इस बार मेले में नागौरी नस्ल के बैल, गोवंश, भैंस, ऊंट भी पहुंच रहे हैं.

नागौर में आयोजित होगा ऐतिहासिक श्री रामदेव पशु मेला

नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि देश और दुनिया में नागौर की विशेष पहचान रखता है. श्री रामदेव पशु मेला 1958 से आयोजित किया जा रहा है. यादव ने बताया कि ऐतिहासिक मेले से नागौरी नस्ल की गाय और नागौरी नस्ल के बैल को ब्राजील के लोग अपने देश खरीद कर ले गए थे और नागौरी नस्ल की गाय से दूध उत्पादन के क्षेत्र में विकास करके ब्राजील में अपनी अलग पहचान बनाई है.

सामाजिक, संप्रदायिक सोहाद्र का प्रदर्शन इन मेलों में होता है. संस्कृति और वैचारिक आदान-प्रदान भी होता है. श्री रामदेव पशु मेले में जिलों के अलावा पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के पशुपालक यहां की संस्कृति से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है.

पढ़ें- नागौरः रामदेव पशुमेले में शुरू के 3 दिन में आए महज 922 पशु, 2 फरवरी से होगी रवानगी

3 साल से कम उम्र के बछड़ों पर रोक के कारण नागौर के ऐतिहासिक पशु मेला का अस्तित्व पिछले कई सालों से खराब होता जा रहा है. अब नागौर जिला प्रशासन ने यहां आने वाले पशुपालकों के लिए नागौरी नस्ल के बैल और गौवंश को खरीदने वालों को कोई कठिनाई नहीं हो उसके लिए एक रोडमैप तैयार किया है.

नागौर. विश्व प्रसिद्ध नागौर का श्री रामदेव पशु मेला 25 जनवरी से शुरू हुआ था. ये मेला प्रदेश के 5 बड़े पशु मेले में से एक है. विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले में नागौरी नस्ल के बैल और गाय पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. पिछले कई सालों से इसके अस्तित्व पर संकट आने पर अब नागौर जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक पशु मेले के गौरव को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं.

नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि इस मेले की पहचान मशहूर नागौरी नस्ल के बैलों से है. नागौरी नस्ल के बैल की खरीदारी के लिए प्रदेश के साथ-साथ देश के कई राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से व्यापारी इस मेले में आते हैं.

पढ़ें- नागौर के विश्वप्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले का आगाज, बाहरी राज्यों के पशुपालकों का मोहभंग

साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार व्यापारियों और पशुपालकों को मेले में आने से कोई परेशानी नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. मेला समाप्ति के बाद नागौरी नस्ल के बैलों और नागौरी नस्ल की गाय को खरीद कर वापस अपने स्थान तक ले जाने के लिए रेल सेवाओं के प्रयास और ट्रांसपोर्ट के जरिए रोड मार्ग से अपने-अपने इलाकों तक सुरक्षित नागौरी नस्ल के बैल और गाय को ले जा सकेंगे. इस बार मेले में नागौरी नस्ल के बैल, गोवंश, भैंस, ऊंट भी पहुंच रहे हैं.

नागौर में आयोजित होगा ऐतिहासिक श्री रामदेव पशु मेला

नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि देश और दुनिया में नागौर की विशेष पहचान रखता है. श्री रामदेव पशु मेला 1958 से आयोजित किया जा रहा है. यादव ने बताया कि ऐतिहासिक मेले से नागौरी नस्ल की गाय और नागौरी नस्ल के बैल को ब्राजील के लोग अपने देश खरीद कर ले गए थे और नागौरी नस्ल की गाय से दूध उत्पादन के क्षेत्र में विकास करके ब्राजील में अपनी अलग पहचान बनाई है.

सामाजिक, संप्रदायिक सोहाद्र का प्रदर्शन इन मेलों में होता है. संस्कृति और वैचारिक आदान-प्रदान भी होता है. श्री रामदेव पशु मेले में जिलों के अलावा पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के पशुपालक यहां की संस्कृति से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है.

पढ़ें- नागौरः रामदेव पशुमेले में शुरू के 3 दिन में आए महज 922 पशु, 2 फरवरी से होगी रवानगी

3 साल से कम उम्र के बछड़ों पर रोक के कारण नागौर के ऐतिहासिक पशु मेला का अस्तित्व पिछले कई सालों से खराब होता जा रहा है. अब नागौर जिला प्रशासन ने यहां आने वाले पशुपालकों के लिए नागौरी नस्ल के बैल और गौवंश को खरीदने वालों को कोई कठिनाई नहीं हो उसके लिए एक रोडमैप तैयार किया है.

Intro:नागौरी नस्ल के गाय और बैल का पशु मेले के गौरव को बचाना जरूरी

रेल सेवा और ट्रांसपोर्ट के जरिए नागौरी नस्ल के बैल और गोवंश को भेजने के प्रयास किए शुरू

विश्व प्रसिद्ध नागौर का श्री रामदेव पशु मेला इन दिनों नागौर में संचालित हो रहा है प्रदेश के 5 बड़े पशु मेले में से एक हे । विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले में नागौरी नस्ल के बैल और गाय पूरे विश्व में प्रसिद्ध है । पिछले कई सालों से इसके अस्तित्व के संकट आने पर अब नागौर जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक पशु मेले के गौरव को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए ।


Body:नागौर के ऐतिहासिक श्री रामदेव पशु मेले में पिछले कुछ सालों से पशु मेले के प्रति पशुपालकों और लोगों का रुझान कम होता देख अब जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग की ओर से सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि इस मेले की पहचान मशहूर नागौरी नस्ल के बैलों से है । नागौरी नस्ल के बैल की खरीदारी के लिए प्रदेश के साथ-साथ देश के कई राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश हरियाणा से व्यापारी इस मेले में आते हैं इस बार व्यापारियों और पशुपालकों को मेले में आने से कोई परेशानी नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मेला समाप्ति के बाद नागौरी नस्ल के बैलों और नागौरी नस्ल की गाय को खरीद कर वापस अपने स्थान तक ले जाने के लिए रेल सेवाओं के प्रयास और ट्रांसपोर्ट के जरिए रोड मार्ग से अपने-अपने इलाकों तक सुरक्षित नागौरी नस्ल के बैल और गाय को ले जा सकेंगे । इस बार मेले में नागौरी नस्ल के बैल, गोवंश, भैंस ,ऊंट भी पहुंच रहे हैं । नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि देश और दुनिया में नागौर की विशेष पहचान रखता है । श्री रामदेव पशु मेला 1958 से आयोजित किया जा रहा है । नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि ऐतिहासिक मेले से नागौरी नस्ल की गाय और नागौरी नस्ल के बैल को ब्राजील ने अपने देश खरीद कर ले गए थे ।और नागौरी नस्ल की गाय से दूध उत्पादन के क्षेत्र में विकसित करके ब्राजील में अपनी अलग पहचान बनाई है। सामाजिक , संप्रदायिक सोहाद्र का प्रदर्शन इन मेलों में होता है । संस्कृति और वैचारिक आदान-प्रदान भी होता हे । श्री रामदेव पशु मेले में जिलों के अलावा पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के पशुपालक यहां की संस्कृति से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है ।


Conclusion:3 साल से कम उम्र के बछड़ों पर रोक के कारण नागौर के ऐतिहासिक पशु मेला का अस्तित्व पिछले कई सालों से खराब होता जा रहा है। अब नागौर जिला प्रशासन ने यहां आने वाले पशुपालकों के लिए नागौरी नस्ल के बैल और गोवंश को खरीदने वालों को कोई कठिनाई नहीं हो उसके लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है

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बाइट दिनेश कुमार यादव जिला कलेक्टर नागौर
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