नागौर. जिले के डीडवाना शहर के गंदे पानी ट्रीट करने के लिए बनाया गया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) पड़ोस के गांव इंडोलाव की ढाणी के लोगों के लिए नासूर बन गया है. इस प्लांट का गंदा पानी अब इंडोलाव की ढाणी तक पहुंच गया है. जहां खेतों में गंदा पानी भरने से किसानों की फसल खराब हो रही है. साथ ही गांव के मुख्य तालाब तक एसटीपी का गंदा पानी पहुंचने से पानी प्रदूषित होने का खतरा भी मंडरा रहा है.
डीडवाना शहर का गंदा पानी साफ कर आसपास के किसानों को बेचने के लिए महत्वाकांक्षी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था. अब यह प्लांट पड़ोस के इंडोलाव की ढाणी गांव के लिए मुसीबत का कारण बन गया है. ट्रीटमेंट प्लांट से निकला गंदा पानी डीडवाना और इंडोलाव की ढाणी के बीच स्थित पशु मेला मैदान की जमीन पर छोड़ा जा रहा है. यह गंदा पानी अब इंडोलाव की ढाणी की सरहद तक पहुंच गया है. गांव के आसपास गंदा बदबूदार पानी जमा होने से ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है.
मुख्य जलस्त्रोत भी दूषित होने के कगार पर...
दरअसल, इस प्लांट निर्माण पर साढ़े 6 करोड़ रुपए की लागत आई थी. डीडवाना में नागौर रोड पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए शुरुआत में करीब 15 बीघा जमीन आवंटित की गई. जहां 2016 में प्लांट बनकर तैयार होने के बाद एसटीपी से ट्रीट किया हुआ पानी छोड़ा जाने लगा, लेकिन कुछ समय बाद ही यह जमीन कम पड़ने लगी. इसके बाद एसटीपी का पानी पास ही स्थित पशु मेला मैदान की जमीन पर छोड़ा जाने लगा. पानी की मात्रा बढ़ने के साथ ही ये गंदा पानी डीडवाना-इंडोलाव की ढाणी के बीच खाली जमीन में इकट्ठा होने लगा और इंडोलाव की ढाणी की तरफ बढ़ने लगा.
अब यह पानी इंडोलाव की ढाणी के पास इकट्ठा हो गया है. जहां यह पानी इकट्ठा हो रहा है, उसके आसपास के खेतों की जमीन खराब हो गई है. अब पास ही स्थित तालाब का पानी प्रदूषित होने का खतरा मंडराने लगा है.
यह भी पढ़ें. Special: शासन-प्रशासन की घोर लापरवाही से मिटता जा रहा है पाल बिचला और आम तालाब का अस्तित्व
इंडोलाव की ढाणी के बुजुर्ग धर्माराम चौधरी बताते हैं कि गांव के आसपास गंदा पानी इकट्ठा होने से ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है. इंडोलाव की ढाणी के मुख्य तालाब से इस गांव के अलावा मंडा बासनी, जानकीपुरा और बालिया गांव के ग्रामीण पानी पीते हैं.
इसके अलावा पशु मेले में आने वाले पशुपालकों, व्यापारियों और पशुओं के पीने के पानी का भी यह तालाब ही मुख्य स्रोत है, लेकिन इस तालाब के आसपास गंदा पानी इकट्ठा होने से अब इसके प्रदूषित होने का खतरा बना हुआ है.
खेतों में फसलें को हो रहा नुकसान...
गांव के भगीरथ सिंह का कहना है कि जहां गंदा पानी इकट्ठा हो रहा है, उसके पास ही उनका खेत है. अब पानी उनके खेतों तक पहुंच गया है. खेत में पानी भरने से फसल नहीं हो पा रही है. यहां तक कि खेत में उगे खेजड़ी के पेड़ भी गलने लगे हैं. इसके अलावा गांव में मच्छर-मक्खियों की भरमार होने से परेशानी हो रही है. यही नहीं दुर्गंध के कारण भी परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि यहां पास ही सरकारी स्कूल का भवन है, जहां पढ़ने वाले बच्चों को भी परेशानी होती है.
इंडोलाव की ढाणी के युवा भवानी सिंह बताते हैं कि गंदे पानी के कारण गांव में मच्छर-मक्खियों की भरमार होने से इंसानों के साथ ही पालतू जानवर भी परेशान हो रहे हैं. जानवरों में भी बीमारियां होने लगी हैं. उनका कहना है कि यदि जल्द इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो गांव में बीमारियां फैल सकती है.
पांच किमी चक्कर लगाकर जाने को मजबूर...
भवानी सिंह बताते हैं कि पशु मेला मैदान और इसके आसपास की करीब 200 बीघा जमीन गंदे पानी की चपेट में आ गई है. यहां गंदा पानी भरने से उनके दूसरे छोर पर स्थित खेतों में जाने में भी परेशानी हो रही है. पहले वहां जाने के लिए एक किलोमीटर का रास्ता था लेकिन अब पांच किलोमीटर का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है. गांव के बुजुर्ग भींयाराम बताते हैं कि उनका खेत भी एसटीपी से निकले गंदे पानी की चपेट में आ गया है.
यह भी पढ़ें. Special: भरतपुर शहर में 5 प्रतिशत स्ट्रीट लाइट खराब, रोजाना मिल रहीं 400 शिकायतें
खेत में गंदा पानी भरने से जमीन दलदली होकर खराब होने लगी है. फसल की पैदावार तो दूर खेत में लगे खेजड़ी के पेड़ भी गलने लगे हैं. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान करने के उपाय करने की गुहार लगाई है.
कलेक्टर से सरकार तक शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई...
वहीं, इंडोलाव की ढाणी के युवा नाहर सिंह का कहना है कि शुरुआत में जब एसटीपी का पानी पशु मेला मैदान की जमीन पर छोड़ा जाने लगा था. तभी इसका विरोध होना शुरू हो गया था, लेकिन जिम्मेदारों ने आज तक सुध नहीं ली. इस समस्या को लेकर डीडवाना एसडीएम से लेकर नागौर कलेक्टर तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी सुनवाई नहीं हुई है. इस संबंध में केंद्र सरकार के पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई गई है, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं होने से ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है.
समस्या दूर करने की गुहार...
इधर, एसटीपी के चीफ केमिस्ट पीसी पांडे का कहना है कि इस एसटीपी की क्षमता पांच लाख लीटर रोजाना ट्रीट करने की है, लेकिन अभी करीब चार लाख लीटर पानी ट्रीट हो रहा है. ऐसे में ग्रामीणों को यह डर सता रहा है कि जब प्लांट की पूरी क्षमता का पानी ट्रीट होगा तो कुछ ही दिन में गंदा पानी उनके गांव के भीतर तक पहुंच जाएगा. ऐसे में उन्होंने जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान करवाने की गुहार लगाई है.