International Day of Women and Girls in Science: 11 फरवरी को पूरे विश्व में विज्ञान क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. आज भी भारत समेत पूरे विश्व में महिलाओं के इस खास दिन को सेलिब्रेट किया जा रहा है. हम इस मौके पर महिलाओं के द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में दिए गए योगदान के बारे में चर्चा करेंगे. हम आपको अपने इस आर्टिकल में विज्ञान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बताएंगे कि महिलाओं ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी को पूरे विश्व में नई ऊंचाइंयों तक पहुंचाने में कितना और कैसा योगदान दिया है.
हेल्थ सेक्टर से लेकर क्लामेट चेंज तक, कई मामलों में सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एजेंडा को पूरा करने के लिए महिलाओं की काफी जरूरत है. इन क्षेत्रों में पहले से ज्यादा महिलाओं को काम पर लगाने की जरूरत है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, हमें याद दिलाता है कि महिलाएं और लड़कियां साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसलिए इन क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को और भी मजबूत किया जाना चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत
इंटरनेशनल डे ऑफ वुमन एंड गर्ल्स इन साइंस (IDWGS) की शुरुआत दस साल पहले हुई थी. इस कारण 11 फरवरी 2025 को विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की दसवीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. इसका उद्देश्य विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को सम्मान देना, भविष्य में उन्हें विज्ञान की ओर प्रोत्साहित करना, समाज में लड़कियों और महिलाओं के प्रति विज्ञान को लेकर नकारात्मक सोच को खत्म करना है.
IDWGS की दसवीं वर्षगांठ पर, UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने "साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमैटिक्स (STEM) क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के लिए रास्ता बनाने, उन्हें मौका देने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि, हमें लड़कियों और महिलाओं को विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए, जिसकी वो हकदार हैं और जिसकी पूरी दुनिया को जरूरत भी है.
सांइस एंड टेक्नोलॉजी में महिलाओं की भूमिका
साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स (STEM) में महिलाओं की कितनी बड़ी भूमिका होती है, इसे समझाने के लिए हम आपको कुछ फैक्ट्स बताते हैं.
क्या आप जानते हैं कि, पूरी दुनिया में औसतन 33.3% महिला रिसचर्स हैं, और सिर्फ 35% छात्राएं ही साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स (STEM) से जुड़े क्षेत्रों की पढ़ाई करती है.
2016 में जिन देशों के रिकॉर्ड्स उपलब्ध थे, उनमें से सिर्फ 30% देशों में ही महिलाओं और पुरुषों रिसर्चर्स की संख्या बराबर थी. हालांकि, अगर रिज़ल्ट्स की बात करें तो लड़के और लड़कियों का इन विषयों में रिजल्ट लगभग एक जैसा ही होता है, लेकिन फिर भी समाज में एक जेंडर स्टीरियोटाइप्स बना हुआ है कि लड़कियां इन क्षेत्रों में अच्छा नहीं कर सकती और इस कारण उन्हें उनके परिवार और समाज वाले इन विषयों की ओर कम प्रोत्साहित करते हैं.
किसी भी क्षेत्र के टॉप मैनेजमेंट की पदों पर महिलाओं की संख्या बहुत कम है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, इसपर काफी सुधार किया गया है, लेकिन फिर भी आज तक विज्ञान के क्षेत्र में सिर्फ 22 महिलाओं को ही नोबल प्राइज से सम्मानित किया गया है.
2030 एजेंडा के लिए "किसो को पीछे न छोड़ने" का एक बोल्ड कमिटमेंट किया गया है, जिसमें जेंडर, आयु, आय, विकलांगता, जातीयता और ऐसे ही अन्य कारणों द्वारा व्यवस्थित रूप से अलग किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करके अलग-अलग तरह की असमानताओं को गौर किया जाएगा और उसे दूर करने की कोशिश की जाएगी.
![Only 35% of all students in STEM related fields of study are women](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23514245_wm.jpg)
साइंस लीडरशिप में भारत की महिलाएं
सीता कोलमैन-कम्मुला (Seetha Coleman-Kammula): सीता कोलमैन एक केमिस्ट, एनवायरमेंटलिस्ट और विसनेस वूमेन थीं. वह सिंपली सस्टेन (Simply Sustain) की फाउंडर हैं. यह कंपनी इस बात पर फोकस करती है कि कोई भी प्रॉडक्ट पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाए जाएं. वह और उनकी कंपनी इस चीज का मूल्यांकन करती हैं कि प्रॉडक्ट्स का लाइफ साइकिल और वेस्ट प्रॉडक्ट्स का भविष्य में पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इसे आसान शब्दों में समझें तो सीता कोलमैन-कम्मुला की कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि प्रॉडक्ट बनाने की प्रक्रिया स्वच्छ पर्यावरण के प्रति जागरुक हो और भविष्य में इसका कोई नुकसान ना हो पाए.
सुधा मूर्ति (Sudha Murthy): साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सुधा मूर्ति का नाम काफी लोकप्रिय है. वह साइंस एंड टेक फील्ड की सबसे लोकप्रिय महिलाओं में से एक है. वह एक जानी-मानी लेखक भी हैं. उन्होंने एक से अधिक क्षेत्रों में अपनी काबिलियत साबित की है. वह देश और दुनिया की लोकप्रिय कंपनी इंफोसेज़ फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं और Gates Foundation की पब्लिक हेल्थ केयर इनिशिएटीव की सदस्य भी हैं. वह इंजीनियरिंग की एक टीचर हैं. इसके अलावा वह कन्नड़ और इंग्लिश भाषा की लेखक भी हैं.
निगार शाजी (Nigar Shaji): निगार शाजी भारतीय एयरोस्पेस की एक इंजीनियर हैं. उन्होंने 1987 में इसरो ज्वाइम किया था और उसके बाद से देश के कई अंतरिक्ष कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक आदित्य-एल1 (Aditya-L1) मिशन है. यह सूर्य की खोज करने वाला भारत का पहला सौर मिशन है, जिसकी प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी थीं.
सुधा भट्टाचार्य (Sudha Bhattacharya): सुधा भट्टाचार्य जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पर्यावरण विज्ञान विधालय (School of Environmental Sciences) की प्रोफेसर हैं. उन्होंने आणविक परजीवविज्ञान (Molecular parasitology) में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
सुनीता सरावगी (Sunita Sarawagi): IIT बॉम्बे में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर, सुनीता को डेटाबेस और डेटा माइनिंग में उनके अभूतपूर्व शोध के लिए जाना जाता है।
टेसी थॉमस (Tessy Thomas): टेसी थॉमस को 'मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया' के नाम से भी जाना जाता है. टेसी ने भारत के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
गगनदीप कांग (Gagandeep Kang): गगनदीप भारत की एक मशहूर माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं. गगनदीप 2019 में रॉयल सोसाइटी की फैलो के रूप में चुनी गई भारत की पहली महिला थी.
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