नागौर. पंचायतीराज व्यवस्था के तहत सरपंच और वार्डपंच के चुनावों को लेकर इन दिनों प्रदेश भर में सरगर्मियां तेज हैं. दूर गांव-ढाणी में बैठे लोगों की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायतीराज व्यवस्था लागू की गई थी. इसे देशभर में लागू करने की घोषणा 2 अक्टूबर 1959 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नागौर से ही की थी, जिस जगह से उन्होंने यह घोषणा की थी. वहां आज एक चबूतरा बना हुआ है, जो अभी पुलिस लाइन में स्थित है.
एक तरफ नागौर के लोगों को इस बात की खुशी और गर्व है कि गांव-ढाणी के लोगों को सत्ता में भागीदारी दिलाने वाली इस अहम व्यवस्था के आगाज का गवाह यह शहर रहा है. लोगों का मानना है कि यह व्यवस्था लागू होने के बाद गांवों में विकास के काम भी हुए हैं, साथ ही इस बात की नाराजगी भी है कि आज 61 साल बाद भी इस स्थान को वो पहचान नहीं मिली है, जिसका यह वाकई में हकदार है.
लोगों का कहना है कि यहां पंचायतराज से संबंधित ऐसे स्मारक या स्थान का निर्माण होना चाहिए. जिससे इस व्यवस्था के बारे में लोगों को पूरी जानकारी मिले. आने वाली पीढ़ी इस बात पर गर्व कर सके कि यह शहर एक ऐसे पल का गवाह रहा है, जिसने देश भर में पंचायतीराज व्यवस्था लागू होने की नींव रखी थी.
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वहीं नागौर कलेक्टर दिनेश कुमार यादव का कहना है कि पिछले दिनों सरकार ने इस स्थान से संबंधित जानकारी मांगी थी. इससे संभावना जताई जा रही है कि इस जगह को पंचायतीराज व्यवस्था से जुड़े स्थान के रूप में विकसित किया जा सकता है. उनका कहना है कि इस संबंध में एक कार्य योजना भी सरकार को भिजवाई गई है.
बहरहाल, जिले के अधिकारियों से लेकर सत्ता में बैठे नेता तक सभी पंचायतीराज व्यवस्था के तहत सरपंचों के चुनाव में व्यस्त हैं. अब देखना यह है कि इस स्थान को धरोहर के रूप में देखने का नागौर की जनता का सपना कब साकार होता है.