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नागौर में देश भर के किन्नरों का जमावड़ा शुरू...सम्मेलन में रीति-रिवाज समेत शिक्षा पर भी होगा मंथन

नागौर में अखिल भारतीय किन्नर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है जिसमें देशभर के किन्नर जुट रहे है. किन्नरों के इस महा सम्मेलन में प्रमुख रूप से शिक्षा के मुद्दे पर मंथन हुआ. उपेक्षित यह तबका अब समझ चुका है कि दूसरे बड़े वर्ग से जुड़े रहने के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है.

मगलामुखी किन्नर सम्मेलन
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Published : Mar 30, 2019, 10:58 PM IST

नागौर. अगले कुछ दिनों तक जिले में देश के विभिन्न हिस्सों से आए किन्नरों का जमावड़ा लगा रहेगा. मौका है अखिल भारतीय किन्नर सम्मेलन का जो जिले में शुरू हो चुका है. इस दौरान देशभर के पांच हजार से ज्यादा किन्नरों का यहां जमावड़ा देखने को मिलेगा.

इस दौरान इस समुदाय की परंपरा के हिसाब से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. समुदाय की प्रथाओं और रीति-रिवाज पर भी मंथन होगा. खास बात यह है कि अब तक उपेक्षित रहा समाज का यह तबका भी समझ चुका है कि समाज के दूसरे बड़े वर्ग से जुड़े रहने के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है. इसलिए न केवल बेटियों को पढ़ाने की अपील यह समुदाय कर रहा है, बल्कि कम उम्र के किन्नरों को शिक्षा से जोड़ने की भी कवायद चल रही है.

मगलामुखी किन्नर सम्मेलन

नागौर में 51 साल बाद मगलामुखी किन्नर समाज का अखिल भारतीय सम्मेलन हो रहा है. अजमेर की गद्दीनशीन सलौनी बाई का कहना है कि शिक्षा की उनके जीवन में भी वही भूमिका है, जो समाज के दूसरे तबके के लिए है. इसलिए वे शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील करते हैं.

इसके साथ ही किन्नर समाज में भी शिक्षा को लेकर जागरूकता आई है. ऐसा उनका मानना है. उनका कहना है कि किन्नर समाज के लिए भी शिक्षा बेहद जरूरी है, इसलिए कम उम्र के किन्नरों को शिक्षा दिलाना अब प्राथमिकता में शुमार है.

नागौर. अगले कुछ दिनों तक जिले में देश के विभिन्न हिस्सों से आए किन्नरों का जमावड़ा लगा रहेगा. मौका है अखिल भारतीय किन्नर सम्मेलन का जो जिले में शुरू हो चुका है. इस दौरान देशभर के पांच हजार से ज्यादा किन्नरों का यहां जमावड़ा देखने को मिलेगा.

इस दौरान इस समुदाय की परंपरा के हिसाब से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. समुदाय की प्रथाओं और रीति-रिवाज पर भी मंथन होगा. खास बात यह है कि अब तक उपेक्षित रहा समाज का यह तबका भी समझ चुका है कि समाज के दूसरे बड़े वर्ग से जुड़े रहने के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है. इसलिए न केवल बेटियों को पढ़ाने की अपील यह समुदाय कर रहा है, बल्कि कम उम्र के किन्नरों को शिक्षा से जोड़ने की भी कवायद चल रही है.

मगलामुखी किन्नर सम्मेलन

नागौर में 51 साल बाद मगलामुखी किन्नर समाज का अखिल भारतीय सम्मेलन हो रहा है. अजमेर की गद्दीनशीन सलौनी बाई का कहना है कि शिक्षा की उनके जीवन में भी वही भूमिका है, जो समाज के दूसरे तबके के लिए है. इसलिए वे शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील करते हैं.

इसके साथ ही किन्नर समाज में भी शिक्षा को लेकर जागरूकता आई है. ऐसा उनका मानना है. उनका कहना है कि किन्नर समाज के लिए भी शिक्षा बेहद जरूरी है, इसलिए कम उम्र के किन्नरों को शिक्षा दिलाना अब प्राथमिकता में शुमार है.

Intro:नागौर. अखिल भारतीय मगलामुखी किन्नर सम्मेलन नागौर में शुरू हो चुका है। अब अगले कुछ दिनों तक देश के अलग-अलग हिस्सों के पांच हजार से अधिक किन्नर नागौर में जुटेंगे। इस दौरान इस समुदाय की परंपरा के हिसाब से कई कार्यक्रम होंगे। इस समुदाय की प्रथाओं और रीति-रिवाज पर भी मंथन होगा। खास बात यह है कि अब तक उपेक्षित रहा समाज का यह तबका भी समझ चुका है कि समाज के दूसरे बड़े वर्ग से जुड़े रहने के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। इसलिए न केवल बेटियों को पढ़ाने की अपील यह समुदाय कर रहा है। बल्कि कम उम्र के किन्नरों को शिक्षा से जोड़ने की भी कवायद चल रही है।


Body:नागौर में 51 साल बाद मगलामुखी किन्नर समाज का अखिल भारतीय सम्मेलन हो रहा है। अजमेर की गद्दीनशीन सलौनी बाई का कहना है कि शिक्षा की उनके जीवन में भी वही भूमिका है। जो समाज के दूसरे तबके के लिए है। इसलिए वे शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील करते हैं। खासकर बेटियों को पढ़ाने का संदेश वे समाज के हर वर्ग को देते हैं। इसके साथ ही किन्नर समाज में भी शिक्षा को लेकर जागरूकता आई है। ऐसा उनका मानना है। उनकी गुरु ने उन्हें भी पढ़ाया-लिखाया। वे 10वीं पास है। उनका कहना है कि किन्नर समाज के लिए भी शिक्षा बेहद जरूरी है। इसलिए कम उम्र के किन्नरों को शिक्षा दिलाना अब प्राथमिकता में शुमार है।


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