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बाल वैज्ञानिक...9वीं क्लास में पढ़ने वाले सुनील ने बनाया सौर ऊर्जा से चलने वाली रेल का मॉडल

नागौर जिले के छोटे से गांव प्यावा के रहने वाले सुनील ने अपने ही खेत में रेल का एक मॉडल तैयार किया है. इसमें सौर ऊर्जा की मदद से रेल का इंजन पटरियों पर दौड़ता है. इस पूरे मॉडल में सुनील ने अधिकांश आइटम घर में पड़े अनुपयोगी चीजों से बनाए हैं. वह बड़ा होकर लोको पायलट बनना चाहता है.

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Published : Jun 24, 2019, 7:26 PM IST

सुनील ने तैयार किया सौर ऊर्जा से चलने वाली रेल का मॉडल

नागौर. जिले के डीडवाना इलाके के एक छोटे से गांव प्यावा के रहने वाले सुनील ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसे देख हर कोई हैरान और आश्चर्यचकित है. नौवीं क्लास में पढ़ने वाले सुनील ने अपने खेत में भारतीय रेल का एक पूरा मॉडल तैयार किया है. जिसमें सौर ऊर्जा के सहारे इंजन रेल पटरियों पर दौड़ता हैं. सुनील बताता है कि वह डीडवाना स्कूल जाते समय रास्ते से गुजरने वाली पटरी पर दौड़ती ट्रेन को देखता तो उसके मन में भी जिज्ञासा जगी. उसने बारीकी से सब चीजों को नोट किया और फिर अपने खेत में ही लोहे के सरियों से पटरियां बिछा दी.

इसके नीचे बाजरे के डंठल से स्लीपर बनाए. सुनील ने जो मॉडल बनाया है, उसमें रेलवे क्रॉसिंग है और शंटिंग की व्यवस्था भी है. उसने इंजन के पहिए बोतल के ढक्कन से बनाए और उस पर तांबे के तार लपेटे. इन तारों को इंजन में लगी एक मोटर से जोड़ दिया गया. इंजन के इस मॉडल को पटरियों पर रखते हैं.

सुनील ने तैयार किया सौर ऊर्जा से चलने वाली रेल का मॉडल

सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी का एक तार पटरी से और दूसरा तार ऊपर से गुजर रहे लोहे की लाइन से संपर्क में लाया जाता है तो पूरे सिस्टम में करंट प्रवाहित होता है. पटरियों पर रखे इंजन के पहियों में लगे तांबे के तारों से होते हुए यह करंट मोटर तक पहुंचता है और इंजन पटरियों पर दौड़ने लगता है.

इस पूरे मॉडल को बनाने में सुनील ने अधिकांश आइटम घर में पड़े पुराने सामान से बनाए हैं. उसके पिता रतनाराम बताते हैं कि मोटर और कुछ अन्य जरूरी सामान उन्होंने उसे बाजार से खरीद कर लाकर दिया. रतनाराम खेती और मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं. वह चाहते हैं कि सुनील रेलवे में बड़ा अधिकारी बनकर नाम रोशन करे. सुनील भी चाहता है कि वह बड़ा होकर लोको पायलट बने.

नागौर. जिले के डीडवाना इलाके के एक छोटे से गांव प्यावा के रहने वाले सुनील ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसे देख हर कोई हैरान और आश्चर्यचकित है. नौवीं क्लास में पढ़ने वाले सुनील ने अपने खेत में भारतीय रेल का एक पूरा मॉडल तैयार किया है. जिसमें सौर ऊर्जा के सहारे इंजन रेल पटरियों पर दौड़ता हैं. सुनील बताता है कि वह डीडवाना स्कूल जाते समय रास्ते से गुजरने वाली पटरी पर दौड़ती ट्रेन को देखता तो उसके मन में भी जिज्ञासा जगी. उसने बारीकी से सब चीजों को नोट किया और फिर अपने खेत में ही लोहे के सरियों से पटरियां बिछा दी.

इसके नीचे बाजरे के डंठल से स्लीपर बनाए. सुनील ने जो मॉडल बनाया है, उसमें रेलवे क्रॉसिंग है और शंटिंग की व्यवस्था भी है. उसने इंजन के पहिए बोतल के ढक्कन से बनाए और उस पर तांबे के तार लपेटे. इन तारों को इंजन में लगी एक मोटर से जोड़ दिया गया. इंजन के इस मॉडल को पटरियों पर रखते हैं.

सुनील ने तैयार किया सौर ऊर्जा से चलने वाली रेल का मॉडल

सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी का एक तार पटरी से और दूसरा तार ऊपर से गुजर रहे लोहे की लाइन से संपर्क में लाया जाता है तो पूरे सिस्टम में करंट प्रवाहित होता है. पटरियों पर रखे इंजन के पहियों में लगे तांबे के तारों से होते हुए यह करंट मोटर तक पहुंचता है और इंजन पटरियों पर दौड़ने लगता है.

इस पूरे मॉडल को बनाने में सुनील ने अधिकांश आइटम घर में पड़े पुराने सामान से बनाए हैं. उसके पिता रतनाराम बताते हैं कि मोटर और कुछ अन्य जरूरी सामान उन्होंने उसे बाजार से खरीद कर लाकर दिया. रतनाराम खेती और मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं. वह चाहते हैं कि सुनील रेलवे में बड़ा अधिकारी बनकर नाम रोशन करे. सुनील भी चाहता है कि वह बड़ा होकर लोको पायलट बने.

Intro:नागौर जिले के छोटे से गांव प्यावा के रहने वाले सुनील ने अपने खेत में ही रेल का एक मॉडल तैयार किया है। इसमें सौर ऊर्जा की मदद से से रेल का इंजन पटरियों पर दौड़ता है। इस पूरे मॉडल में सुनील ने अधिकांश आइटम घर में पड़े अनुपयोगी चीजों से बनाए हैं। वह बड़ा होकर लोको पायलट बनना चाहता है।


Body:नागौर. राजस्थान में एक कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को साकार किया है नागौर जिले के डीडवाना इलाके में के एक छोटे से गांव प्यावा में रहने वाले सुनील ने। नौवीं क्लास में पढ़ने वाले सुनील ने अपने खेत में भारतीय रेल का एक पूरा मॉडल तैयार किया है। जिसमें सौर ऊर्जा के सहारे इंजन और रेल पटरियों पर दौड़ते हैं।
सुनील बताता है कि वह डीडवाना स्कूल जाते समय रास्ते से गुजरने वाली पटरी पर दौड़ती ट्रेन को देखता तो उसके मन में जिज्ञासा जागी। उसने बारीकी से सब चीजों को नोट किया और फिर अपने खेत में ही लोहे के सरिया से पटरिया बिछा दी। इसके नीचे बाजरे के डंठल से स्लीपर बनाए। सुनील ने जो मॉडल बनाया है उसमें रेलवे क्रॉसिंग है और शंटिंग की व्यवस्था भी है। उसने इंजन के पहिए बोतल के ढक्कन से बनाए और उस पर तांबे के तार लपेटे इन तारों को इंजन में लगी एक मोटर से जोड़ दिया। इंजन के इस मॉडल को पटरियों पर रखते हैं। सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी का एक तार पटरी से और दूसरा तार ऊपर से गुजर रहे लोहे की लाइन से संपर्क में लाया जाता है तो पूरे सिस्टम में करंट प्रवाहित होता है। पटरियों पर रखे इंजन के पहियों में लगे तांबे के तारों से होते हुए यह करंट मोटर तक पहुंचता है और इंजन पटरियों पर दौड़ने लगता है।


Conclusion:इस पूरे मॉडल को बनाने में सुनील ने अधिकांश आइटम घर में पड़े पुराने सामान से बनाए हैं। उसके पिता रतनाराम बताते हैं कि मोटर और कुछ अन्य जरूरी सामान उन्होंने उसे बाजार से खरीद कर लाकर दिया। रतनाराम खेती और मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं। वह चाहते हैं कि सुनील रेलवे में बड़ा अधिकारी बनकर नाम रोशन करे। सुनील भी चाहता है कि वह बड़ा होकर लोको पायलट बने।
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बाइट 1- सुनील, जिसने रेल का मॉडल बनाया।
बाइट 2- सुनील के पिता।
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