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'नाथी का बाड़ा' से 700 साल पहले हाड़ौती में चलता था 'पोपा बाई का राज', जानें क्या है कहानी

'नाथी का बाड़ा' राजस्थान में हाल में ही सुर्खियों में बना हुआ है. लेकिन एक कहावत और हाड़ौती में कही जाती है 'पोपा बाई का राज' यह भी नाथी बाई के बाड़े की तरह ही है. पोपा बाई का इतिहास नाथी बाई से 700 साल पुराना रहा है. जिनकी उदारता के किस्से काफी पॉपुलर हैं. जानें क्या है 'पोपा बाई का राज' की पूरी कहानी...

पोपा बाई का राज, popa bai ka raaj
पोपा बाई का राज
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Published : Apr 18, 2021, 7:17 PM IST

सांगोद (कोटा). 'नाथी का बाड़ा' राजस्थान में हाल में ही सुर्खियों में बना हुआ है. लेकिन एक कहावत और हाड़ौती में कही जाती है 'पोपा बाई का राज' यह भी नाथी बाई के बाड़े की तरह ही है. सत्ता के इन गलियारों में इस कहावत की भी काफी चर्चा है. पोपा बाई की दान शीलता नाथी बाई के समान है. वही पोपा बाई का इतिहास नाथी बाई से 700 साल पुराना रहा है. पोपा बाई का रावला कोटा जिले के कनवास उपखंड क्षेत्र के आवां कस्बे में स्थित है और वर्तमान में यहाँ सरकारी स्कूल संचालित हो रहा है.

पढ़ें: विधायक अमीन कागजी के बाद कृष्णा पूनिया भी कोरोना की जद में, CM ने की जल्द स्वस्थ होने की कामना

साथ ही कस्बे के चारों ओर प्राचीन शैली के शिव मंदिर बने हुए हैं. जिन्हें पोपा कहते हैं. आज भी खुदाई में पोपा बाई के रावले के अवशेष मिलते हैं. पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अनुसार यहाँ 9वीं से 12वीं शताब्दी की बेशकीमती धरोहर हैं. यहाँ 2020 तक 2 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार का कार्य पूरा होना था, लेकिन अभी तक अटका पड़ा है.

अभी जीर्ण शीर्ण स्थिति में है धरोहर

आवां कस्बे के चारों और बने चार शिवालयों को लोग पोपा कहते हैं. जो पोपा बाई की स्मृति के साक्षी हैं. जो कीर्ति स्तम्भ, पिरामिड साइड से रथ के समान दिखते हैं. इनका रिनोवेशन किया जा रहा है. लेकिन अभी काम बंद है और मूलस्वरूप बदलने के बाद यह पहचान खो चुके हैं.

हजारों साल पुराने साम्राज्य का रहस्य, जमीन के नीचे बसा है शहर

रानी पोपा बाई का रावला आवां को कहा जाता है. यहां सात किमी के दायरे में फैले टीलों में उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के सबसे समृद्ध साम्राज्य के रहस्य आज भी दफन हैं. यह साम्राज्य 21वीं सदी में भी अराजकता का पर्याय ही बन गया. आज भी यहां खड़े होने पर ऐसा महसूस होता है कि जमीन के नीचे कोई बरसों पुराना शहर बसा हो. इतिहासकार प्रो. जगतनारायण कहते हैं कि आवां की बसावट देखकर लगता है कि जमीन के नीचे पुराना शहर सोया हुआ है. जिसका पुरातात्विक महत्व बहुत ज्यादा होगा. अक्सर खुदाई में प्राचीन सभ्यता के साक्ष्य ग्रामीणों को मिलते रहते हैं. इसलिए यहां मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की तरह खुदाई कर इतिहास उजागर करना चाहिए.

पोपा बाई थी महादानी, प्रजा के लिए दान की सारी सम्पत्ति

ग्रामीण बताते हैं कि आज भी लोग पोपा बाई के रावले की बात करते हैं. जहाँ पोपा बाई के पति का शासन था. लेकिन वो युद्ध में वीर गति को प्राप्त हो गए. उनकी पत्नी पुष्पा बाई बाद में पुहुपा बाई और बाद में पोपा बाई के नाम से जाने गई. पोपा बाई निसन्तान थी और पति के निधन के बाद पोपा बाई ने ही यहाँ शासन किया. जो बहुत ही दयालु ओर उदार थी. कोई भी व्यक्ति उनके दर से खाली नहीं लौटता था और हर जरूरतमंद की वो सम्भव मदद करती थी. समाज सेवा में खूब धन खर्च करती थी और अपनी पूरी सम्पत्ति प्रजाहित में लगा दी. जानकारी के अनुसार इतिहासकार जनरल टॉड ने भी अपनी पुस्तक में पोपा बाई के आवां में राज करने का उल्लेख किया है.

सांगोद (कोटा). 'नाथी का बाड़ा' राजस्थान में हाल में ही सुर्खियों में बना हुआ है. लेकिन एक कहावत और हाड़ौती में कही जाती है 'पोपा बाई का राज' यह भी नाथी बाई के बाड़े की तरह ही है. सत्ता के इन गलियारों में इस कहावत की भी काफी चर्चा है. पोपा बाई की दान शीलता नाथी बाई के समान है. वही पोपा बाई का इतिहास नाथी बाई से 700 साल पुराना रहा है. पोपा बाई का रावला कोटा जिले के कनवास उपखंड क्षेत्र के आवां कस्बे में स्थित है और वर्तमान में यहाँ सरकारी स्कूल संचालित हो रहा है.

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साथ ही कस्बे के चारों ओर प्राचीन शैली के शिव मंदिर बने हुए हैं. जिन्हें पोपा कहते हैं. आज भी खुदाई में पोपा बाई के रावले के अवशेष मिलते हैं. पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अनुसार यहाँ 9वीं से 12वीं शताब्दी की बेशकीमती धरोहर हैं. यहाँ 2020 तक 2 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार का कार्य पूरा होना था, लेकिन अभी तक अटका पड़ा है.

अभी जीर्ण शीर्ण स्थिति में है धरोहर

आवां कस्बे के चारों और बने चार शिवालयों को लोग पोपा कहते हैं. जो पोपा बाई की स्मृति के साक्षी हैं. जो कीर्ति स्तम्भ, पिरामिड साइड से रथ के समान दिखते हैं. इनका रिनोवेशन किया जा रहा है. लेकिन अभी काम बंद है और मूलस्वरूप बदलने के बाद यह पहचान खो चुके हैं.

हजारों साल पुराने साम्राज्य का रहस्य, जमीन के नीचे बसा है शहर

रानी पोपा बाई का रावला आवां को कहा जाता है. यहां सात किमी के दायरे में फैले टीलों में उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के सबसे समृद्ध साम्राज्य के रहस्य आज भी दफन हैं. यह साम्राज्य 21वीं सदी में भी अराजकता का पर्याय ही बन गया. आज भी यहां खड़े होने पर ऐसा महसूस होता है कि जमीन के नीचे कोई बरसों पुराना शहर बसा हो. इतिहासकार प्रो. जगतनारायण कहते हैं कि आवां की बसावट देखकर लगता है कि जमीन के नीचे पुराना शहर सोया हुआ है. जिसका पुरातात्विक महत्व बहुत ज्यादा होगा. अक्सर खुदाई में प्राचीन सभ्यता के साक्ष्य ग्रामीणों को मिलते रहते हैं. इसलिए यहां मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की तरह खुदाई कर इतिहास उजागर करना चाहिए.

पोपा बाई थी महादानी, प्रजा के लिए दान की सारी सम्पत्ति

ग्रामीण बताते हैं कि आज भी लोग पोपा बाई के रावले की बात करते हैं. जहाँ पोपा बाई के पति का शासन था. लेकिन वो युद्ध में वीर गति को प्राप्त हो गए. उनकी पत्नी पुष्पा बाई बाद में पुहुपा बाई और बाद में पोपा बाई के नाम से जाने गई. पोपा बाई निसन्तान थी और पति के निधन के बाद पोपा बाई ने ही यहाँ शासन किया. जो बहुत ही दयालु ओर उदार थी. कोई भी व्यक्ति उनके दर से खाली नहीं लौटता था और हर जरूरतमंद की वो सम्भव मदद करती थी. समाज सेवा में खूब धन खर्च करती थी और अपनी पूरी सम्पत्ति प्रजाहित में लगा दी. जानकारी के अनुसार इतिहासकार जनरल टॉड ने भी अपनी पुस्तक में पोपा बाई के आवां में राज करने का उल्लेख किया है.

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