कोटा. राजस्थान में विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को संपन्न हो गए जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. एक ओर जहां सियासी दलों के प्रत्याशियों की धड़कने नतीजे को लेकर तेज है. वहीं दूसरी तरफ कोटा में लगो अनजान कॉल्स से परेशान है. लोगों से अनचाहे कॉल कर पूछा जा रहा है कि उन्होंने किस प्रत्याशी को वोट दिया है. राजस्थान के सियासी घमासान में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है.
शिकायत मिलने पर होगा एक्शन: वहीं इस पूरे मामले पर उप जिला निर्वाचन अधिकारी राजकुमार सिंह का कहना है कि इस तरह से किसी नंबर से कोई फोन आ रहा है, तो लोग बाध्य नहीं हो और इस तरह से अपने वोट की जानकारी नहीं दें. निर्वाचन विभाग की भी जिम्मेदारी है कि मतदान को गुप्त रखा जाए. वहीं मतदाता को पूर्ण अधिकार है कि वह अपने मतदान को गुप्त रखे. उन्होंने कहा कि इस तरह से अगर कॉल पर कोई व्यक्ति पूछता है, तो वह बाध्य भी नहीं कर सकता है. उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में अगर कोई शिकायत आएगी, तो उस पर जरूर एक्शन लिया जाएगा.
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हम नहीं करवा रहे हैं किसी तरह का सर्वे: लाडपुरा की भाजपा प्रत्याशी कल्पना देवी का कहना है कि हम किसी तरह का कोई सर्वे टेलिफोनिक नहीं करवा रहे हैं. हमने अपने क्षेत्र के मतदाताओं से आशीर्वाद 25 नवम्बर के पहले मांगा था. लोगों ने हमें आशीर्वाद दिया है, जिसका परिणाम भी 3 दिसंबर को हमारे पक्ष में आएगा. वहीं दूसरी ओर लाडपुरा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी नईमुद्दीन गुड्डू ने बताया कि मैं किसी तरह का कोई सर्व टेलिफोनिक नहीं करवाया है. मैंने तो 25 नवंबर को ही अपना सर्वे कर लिया था. गुड्डू ने बताया कि उन्हें भी कुछ लोगों ने कहा है कि इस तरह से फोन करके, मतदान किसको किया पूछा जा रहा है.
अनजाने कॉल्स से परेशान: कोटा उत्तर, दक्षिण और लाडपुरा के मतदाताओं को फोन करके बार-बार पूछा जा रहा है कि किस प्रत्याशी को आपने मतदान किया है. ज्यादातर अनजाने कॉल में कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के संबंध में ही जानकारी मांग रहे हैं. निर्दलीय और अन्य दलों के संबंध में वह नहीं पूछ रहे हैं. कॉल आने पर रिकॉर्ड वॉइस के जरिए वह डायल पैड पर नंबर दबाने के लिए कहा जा रहा है जिसमें पूछा जा रहा है कि उन्होंने किस प्रत्याशी को मतदान किया है. कुछ जगहों पर सीधा फोन करके ही पूछा जा रहा है कि आपने बीजेपी को वोट दिया है या कांग्रेस को मतदान किया है.
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निर्वाचन विभाग ले सख्त एक्शन: कृषि विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत प्रदीप कुमार गुप्ता का कहना है कि यह एक तरह से मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी जैसा है. अगर किसी भी मतदाता ने गलती से ही बटन प्रेस कर दिया, तो उसके गुप्त मतदान का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. साथ ही इस तरह का सर्वे कौन व्यक्ति करवा रहा है. प्रत्याशी खुद करवा रहे हैं या फिर कोई एजेंसी करवा रही है यह भी संशय के घेरे में है. उन्होंने कहा कि इलेक्शन कमीशन को इस पर सख्त एक्शन लेना चाहिए, ताकि इस तरह से मतदाताओं के साथ हो रही धोखाधड़ी रोकी जा सके. गुप्ता ने बताया कि मुझे लगातार पांच बार फोन किया गया था, तब जाकर मैंने कॉल उठाया और इस तरह से पूछा गया मैं खुद इस संबंध में निर्वाचन विभाग को शिकायत करूंगा.
इस बार काफी बने मतदान के वीडियो: दूसरी तरफ, कई मतदाता भी नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. उन्होंने अपने मतदान के दौरान ईवीएम पर वोट करते समय के वीडियो बना लिए हैं. साथ ही वीवीपेट पर आई हुई पर्ची के वीडियो भी बना लिए है. इनको सोशल मीडिया पर रील्स या स्टेटस पर अपडेट भी कर दिया है. सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए वे बता रहे हैं कि उन्होंने किस पार्टी को मतदान किया है ये पूरी तरह से मतदान को गुप्त रखने की अवहेलना ही है.