कोटा. सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व की बाघिन टी- 114 की मौत के बाद उसके दो शावकों को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के लिए भेजा गया था. जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में रखा हुआ है. यहां पर ही वन विभाग के अधिकारी और चिकित्सकों की मौजूदगी में उनका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. उन्हें यहां रहते हुए करीब 6 महीने के आस-पास हो गए हैं, उनकी उम्र करीब 8 से 9 महीने के बीच है. इसके बावजूद भी उन्हें अभी शिफ्ट नहीं किया गया है. अब इन लोगों के लिए जगह भी छोटी पड़ रही है. इसके बावजूद इनकी शिफ्टिंग पर फैसला नहीं किया जा रहा है.
वन्य जीव चिकित्सक डॉ. तेजेंद्र रियाड़ का कहना है कि 8 से 9 माह के शावक अपनी मां के साथ करीब 10 किलोमीटर रोज चलता हैय इस पूरे मामले पर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के कार्यवाहक फील्ड डायरेक्टर बीजो जॉय का कहना है कि उन्होंने हाल ही में कार्यभार संभाला है. इन दोनों शावकों के लिए पहले से ही कमेटी बनी हुई है. जिसके संबंध में भी जानकारी जुटाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि शेड्यूल वन के यह दोनों शावक हैं. इनकी शिफ्टिंग चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के निर्देश पर ही होगी. हम उनके निर्देश मिलते ही इन्हें शिफ्ट कर लेंगे.
कमेटी ने की बड़े एंक्लोजर में शिफ्ट करने की सिफारिश : कोटा के वन्यजीव डीसीएफ सुनील गुप्ता का कहना है कि हमें इनके पालने की जिम्मेदारी दी गई थी, वह काम हम कर रहे हैं. इनके लिए बनी हुई कमेटी ने बड़े एंक्लोजर में शिफ्ट करने के लिए सिफारिश की है. इस कमेटी में उनके साथ एसीएफ आरबी मित्तल, रेंजर दुर्गेश कुमार, डॉ. तेजेंद्र रियाड़, आरवीटीआर के डीसीएफ संजीव शर्मा, डब्लूडब्लूआई के डॉ. अभिषेक और रिटायर डीसीएफ दौलत सिंह है. इस कमेटी का मानना है कि वर्तमान एंक्लोजर छोटा पड़ रहा है. इसके लिए सीसीएफ वन्यजीव को लिखेंगे. सीसीएफ इस सिफारिश को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन तक भेजेंगे. उनके निर्णय आने के बाद ही इन्हें शिफ्ट किया जाएगा. इनकी शिफ्टिंग का निर्णय एनटीसीए की जगह चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जयपुर को ही लेना है.
मुकुंदरा सबसे मुफीद, नजदीक भी : मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में सॉफ्ट एंक्लोजर 28 वर्ग किमी का है. जिसमें इन शावकों को छोड़ दिया जाए तो भी ये दिन भर में 10 किलोमीटर चल भी सकते हैं. जब इन्हें रणथंभौर से शिफ्ट किया गया था, तब आदेश में भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की बात लिखी गई थी. अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के नजदीक भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व है. ऐसे में दोनों शावकों को शिफ्ट करने के लिए सबसे मुफीद जगह मुकुंदरा ही है.
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शावकों को वाइल्ड और अनटच रखा : डॉ. रियाड़ के अनुसार दोनों शावकों को अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के एंक्लोजर में नाइट शेल्टर दिए हुए हैं. दिन के समय दोनों नाइट शेल्टर में आराम करते हैं. दोनों को जंगली बनाए रखने के लिए जंगल जैसा ही कराल एरिया बनाया हुआ. वे कभी कभी कराल एरिया में भी आराम करते रहते हैं साथ ही कराल एरिया में भी घूमते हैं. बायोलॉजिकल पार्क मंगलवार को पर्यटको के लिए बंद रहता है. ऐसे में सोमवार रात से बुधवार सुबह तक इन्हें एंक्लोजर में छोड़ दिया जाता है. इन्हें मनुष्य से दूर रखना ही हमारी प्राथमिकता है. अभी तक हम इसमें सफल भी रहे हैं क्योंकि कोई वन कार्मिक भी इनके नजदीक नहीं जाता है. इनको डिस्प्ले एरिया से भी दूर रखा हुआ है. इनकी सुरक्षा के लिए भी सीसीटीवी से मॉनिटरिंग की जाती है.
आसानी से कर रहे हैं शिकार : दोनों शावक रूटीन में शिकार करने भी लग गए हैं. पहले इन्हें मुर्गा दिया जाता था, बीच में खरगोश और अब इन्हें बकरा दिया जाने लगा है. दोनों शिकार को किल कर लेते हैं और अपना पेट भी भर लेते हैं. उनके लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था भी की गई है. बायोलॉजिकल पार्क के डीसीएफ सुनील गुप्ता का कहना है कि अब इनके लिए हमने टेंडर भी किया है. जिसके जरिए हमें लगातार दोनों शावकों के लिए जानवर उपलब्ध होगा. इनको कब क्या खिलाना पिलाना है. उसकी पूरी जिम्मेदारी डॉक्टरों की टीम ही देख रही है.
उम्र के अनुसार बढ़ रहा है वजन, डेढ़ साल में होंगे वयस्क : डॉ. रियाड़ा का कहना है कि दोनों शावकों में एक मेल और एक फीमेल है. दोनों शावकों को 31 जनवरी की रात को यहां लाया गया था. तब मेल का वजन 7 किलो 200 ग्राम और फीमेल का 4 किलो 900 ग्राम था. अब मेल शावक का वजन करीब 65 किलो व फीमेल शावक का वजन 50 किलो के आसपास है. दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं. इनके स्केट (मल) के नमूने हर महीने लिए जा रहे हैं. जिनकी जांच रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आ रही है. डॉक्टरों के मुताबिक वर्तमान में दोनों का वजन उम्र के अनुसार ठीक-ठाक है. हालांकि एक टाइगर करीब डेढ़ साल में वयस्क हो जाता है. इनमें मेल टाइगर का वजन 160 से 230 किलो के आसपास और फीमेल का वजन 130 से 180 के आसपास होता है. ऐसे में इनके वजन बढ़ने में अभी काफी समय लगेगा. इनकी पर्याप्त मॉनिटरिंग की भी जरूरत रहेगी. क्योंकि आमतौर पर शावक अपनी मां के साथ ही सब कुछ सीखता है.