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क्या है एक्राय्ड फॉर्मूला? जिसका 7वें वेतन आयोग ने किया था इस्तेमाल, सैलरी में हुआ था बंपर इजाफा - AYKROYD FORMULA

सातवें वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए एक्राय्ड फॉर्मूला का इस्तेमाल किया गया था.

Aykroyd Formula
क्या है एक्राय्ड फॉर्मूला (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 23, 2025, 1:52 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन के लिए काम शुरू कर दिया है. इसके लिए कर्मचारी संगठनों के साथ बैठकों हो रही हैं, जिससे यह तय किया जाएगा कि पे कमीशन किस आधार पर सैलरी, पेंशन और दूसरे भत्ते तय करेगा. वहीं, केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनहोल्डर्स भी इसको लेकर चर्चा कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है पहले के वेतन आयोग वित्तीय भत्तों पर फोकस करते रहे थे, जबकि सातवें वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए एक्राय्ड फॉर्मूला (Aykroyd Formula) का इस्तेमाल किया गया था. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि 8वां वेतन आयोग मे भी एक्राय्ड फॉर्मूले का यूज हो सकता है.

क्या है एक्राय्ड फॉर्मूला?
बता दें कि एक्राय्ड फॉर्मूला डॉ वॉलेस एक्राय्ड ने डिवेलप किया था. इस फॉर्मूले के तहत देश का बेसिक कॉस्ट ऑफ लिविंग कैलकुलेट किया दाता है. इसमें एक औसत कर्मचारी की न्यूट्रिशनल जरूरतों को बेस बनाया जाता है. इसके साथ ही खाना, कपड़े, घर जैसी मूलभूत जरूरतों के आधार पर एक मिनिमम सैलरी तय की जाती है.

7वें वेतन आयोग ने कैसे किया था एक्राय्ड फॉर्मूले का इस्तेमाल?
7वें वेतन आयोग ने एक्राय्ड फॉर्मूला लागू करने के लिए पे स्ट्रक्चर के दो टारगेट चिन्हित किए थे- एक स्किल और योग्य कर्मचारियों को नौकरी में लाना. दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि सरकार की सर्विसेज सस्टेनेबल बनी रहें. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया था कि सरकारी सेवाएं सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नहीं हो, बल्कि इससे कर्मचारी को सामाज में एक स्टेटस मिले.

कितनी बढ़ी थी सैलरी?
रिपोर्ट में एक्राय्ड फॉर्म्यूले का इस्तेमाल कर के केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए मिनिमम सैलरी 18 हजार रुपये महीना तय की गई थी. वहीं, अधिकतम वेतन 2,25,000 प्रति माह और कैबिनेट सचिव और इसी ग्रेड पर के अन्य अधिकारियों के लिए ₹2,50,000 प्रति माह निर्धारित किया गया था. इसमें उस समय की कॉस्ट ऑफ लिविंग को और बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखा गया था.

8वें वेतन आयोग की टर्म ऑफ रेफ्रेस पर नजर
इस बीच केंद्र सरकार कर्मचारी और पेंशनर्स 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के तहत चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उम्मीद है कि सरकार जल्द ही नामों की ऐलान करेगी. ऐसे में सभी की निगाहें टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) पर टिकी हैं, जिसे अभी भी अंतिम रूप दिया जाना है.

कब लागू हुआ था 7 वां वेतन आयोग?
बता दें कि सातवें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में हुआ था. हालांकि, इसकी सिफारिशों 2016 में लागू की गई थीं. जिस समय सरकार ने सांतवा वेतन आयोग लागू किया था. उस समय फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. यानी कर्मचारियों के वेतन में 2.57 बढ़ोतरी हुई थी.

यह भी पढ़ें- 8वां वेतन आयोग: अर्ली पेंशन रिस्टोरेशन, हर पांच साल में पेंशन संशोधन और मिनिमम सैलरी, टर्म ऑफ रेफरेंस पर टिकी निगाहें

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन के लिए काम शुरू कर दिया है. इसके लिए कर्मचारी संगठनों के साथ बैठकों हो रही हैं, जिससे यह तय किया जाएगा कि पे कमीशन किस आधार पर सैलरी, पेंशन और दूसरे भत्ते तय करेगा. वहीं, केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनहोल्डर्स भी इसको लेकर चर्चा कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है पहले के वेतन आयोग वित्तीय भत्तों पर फोकस करते रहे थे, जबकि सातवें वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए एक्राय्ड फॉर्मूला (Aykroyd Formula) का इस्तेमाल किया गया था. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि 8वां वेतन आयोग मे भी एक्राय्ड फॉर्मूले का यूज हो सकता है.

क्या है एक्राय्ड फॉर्मूला?
बता दें कि एक्राय्ड फॉर्मूला डॉ वॉलेस एक्राय्ड ने डिवेलप किया था. इस फॉर्मूले के तहत देश का बेसिक कॉस्ट ऑफ लिविंग कैलकुलेट किया दाता है. इसमें एक औसत कर्मचारी की न्यूट्रिशनल जरूरतों को बेस बनाया जाता है. इसके साथ ही खाना, कपड़े, घर जैसी मूलभूत जरूरतों के आधार पर एक मिनिमम सैलरी तय की जाती है.

7वें वेतन आयोग ने कैसे किया था एक्राय्ड फॉर्मूले का इस्तेमाल?
7वें वेतन आयोग ने एक्राय्ड फॉर्मूला लागू करने के लिए पे स्ट्रक्चर के दो टारगेट चिन्हित किए थे- एक स्किल और योग्य कर्मचारियों को नौकरी में लाना. दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि सरकार की सर्विसेज सस्टेनेबल बनी रहें. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया था कि सरकारी सेवाएं सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नहीं हो, बल्कि इससे कर्मचारी को सामाज में एक स्टेटस मिले.

कितनी बढ़ी थी सैलरी?
रिपोर्ट में एक्राय्ड फॉर्म्यूले का इस्तेमाल कर के केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए मिनिमम सैलरी 18 हजार रुपये महीना तय की गई थी. वहीं, अधिकतम वेतन 2,25,000 प्रति माह और कैबिनेट सचिव और इसी ग्रेड पर के अन्य अधिकारियों के लिए ₹2,50,000 प्रति माह निर्धारित किया गया था. इसमें उस समय की कॉस्ट ऑफ लिविंग को और बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखा गया था.

8वें वेतन आयोग की टर्म ऑफ रेफ्रेस पर नजर
इस बीच केंद्र सरकार कर्मचारी और पेंशनर्स 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के तहत चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उम्मीद है कि सरकार जल्द ही नामों की ऐलान करेगी. ऐसे में सभी की निगाहें टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) पर टिकी हैं, जिसे अभी भी अंतिम रूप दिया जाना है.

कब लागू हुआ था 7 वां वेतन आयोग?
बता दें कि सातवें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में हुआ था. हालांकि, इसकी सिफारिशों 2016 में लागू की गई थीं. जिस समय सरकार ने सांतवा वेतन आयोग लागू किया था. उस समय फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. यानी कर्मचारियों के वेतन में 2.57 बढ़ोतरी हुई थी.

यह भी पढ़ें- 8वां वेतन आयोग: अर्ली पेंशन रिस्टोरेशन, हर पांच साल में पेंशन संशोधन और मिनिमम सैलरी, टर्म ऑफ रेफरेंस पर टिकी निगाहें

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