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स्पेशल स्टोरी: स्कूल संचालक बोले करेंगे नियमों की पालना, RTO ने कहा बच्चों की सुरक्षा ही प्राथमिकता

प्रदेशभर में ईटीवी भारत की ओर से परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ स्कूल बसों का रियलिटी चेक कराया गया है. जिसके तहत कोटा में भी स्कूली बच्चों का परिवहन करने वाली बसों की स्थिति अच्छी नहीं मिली. इस संबंध में ईटीवी भारत ने स्कूल संचालकों और परिवहन विभाग के अधिकारियों से बात की. इस पर उन्होंने एक ही सुर में कहा कि नियमों की पालना बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है और बाल वाहिनी सड़क पर सुरक्षित चलें यही प्राथमिकता है.

स्कूल बस स्थिति खराब, school buses condition bad
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Published : Sep 5, 2019, 12:33 PM IST

कोटा. ईटीवी भारत ने परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बाल वाहिनी का रियलिटी चेक अभियान चलाया था. इस अभियान में परिवहन विभाग ने एक दर्जन से ज्यादा वाहनों की जांच की. जिनमें से 7 वाहनों के चालान बनाए गए हैं. एक वाहन ऐसा था जो परिवहन विभाग के अधिकारियों को देख कर मौके से भागने में सफल रहा. ऐसे में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने उसका नंबर नोट कर चालान घर पर भेजा है.

कोटा में भी नहीं मिली स्कूल बसों की स्थिति अच्छी

वहीं निजी स्कूल के निदेशक दिनेश विजय ने बताया कि सरकार ने जो नियम बनाए हैं. उनसे बच्चों की सुरक्षा बाल वाहिनी में बढ़ गई है. हमने भी सरकार के नियमों के अनुसार अपनी बसें तैयार की हुई हैं. उनमें जीपीएस भी स्थापित कर दिए हैं. इसके अलावा जो पेरेंट्स अपने बच्चों को वैन में भेजते हैं. उन वैन्स का भी पूरा सत्यापन करवाया हुआ है. साथ ही उन सभी वैन को भी बाल वाहिनी में परिवर्तित करवा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: झालावाड़ः गणेश जी की झांकी सजाने को लेकर मामले ने पकड़ा तूल...3 विधायकों ने SHO के खिलाफ दर्ज करवाई FIR

साथ ही निजी स्कूल के प्रिंसिपल एमएम सिंह का कहना है कि नई बसें जो आतीं हैं, उनका रजिस्ट्रेशन और परमिट पूरी फॉर्मेलिटीज करने के बाद मिलता है. इनको पूरी करने के बाद बाल वाहिनी की दुर्घटना होने की संभावना कम ही है. उन्होंने स्वयं दावा किया कि उनकी जो भी बाल वाहिनी हैं. उनका पूरे नियम कायदे के बाद ही लाइसेंस और परमिट जारी करवाया गया है.

वहीं प्रादेशिक परिवहन अधिकारी प्रकाश सिंह राठौड़ का कहना है कि बाल वाहिनी योजना स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन के लिए लागू की गई है. इसके तहत परिवहन विभाग लगातार रोस्टर बनाकर वाहनों की जांच करता है. कोटा संभाग में जहां 643 बाल वाहिनी संचालित है. उनमें से 427 की जांच परिवहन विभाग पिछले कुछ महीनों में कर चुका है. जिनमें से 200 बाल वाहिनी के चालान भी बनाए गए हैं.

उन्होंने बताया कि बाल वाहिनी का सुनहरा पीला रंग होना चाहिए. खिड़कियों में नियमानुसार जाली लगाई जानी चाहिए, ताकि बच्चे हाथ बाहर नहीं करें. तेज गति से वाहन नहीं चले इसके लिए स्पीड गवर्नर का होना बेहद जरूरी है. पैनिक बटन, सीसीटीवी और जीपीएस भी वाहन में लगा होना चाहिए. साथ ही बस ड्राइवर और कंडक्टर वर्दी में होनें चाहिए और ड्राइवर के पास भारी वाहन चलाने का 5 साल का अनुभव होना जरूरी है. साथ ही बाल वाहिनी में टीचर की मौजूदगी जरूरी है.

यह भी पढ़ें: जलशक्ति अभियान के तहत झालावाड़ में आयोजित किया गया किसान मेला

साथ ही उन्होंने कहा कि वे बाल वाहिनी की सघन जांच करवा रहे हैं. इसमें जो भी चालक नियमों की पालना करता नहीं मिला उनके लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन और परमिट सस्पेंड किया जाएगा. साथ ही बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ बाल वाहिनी में नहीं होने दिया जाएगा. आरटीओ राठौड़ ने बताया कि वर्तमान में तो बाल वाहिनी प्रबंध समिति के अंतर्गत होती है. जिसके अध्यक्ष जिले के एसपी होते है. वही सीधे स्कूलों को दिशा निर्देश दे सकते हैं. लेकिन आने वाले परिवहन कानून के तहत सीधे परिवहन विभाग भी स्कूलों पर कार्रवाई कर सकेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन, परिवहन विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर सकारात्मक कदम उठाएगा तो बाल वाहिनी में बच्चे सुरक्षित होंगे.

कोटा. ईटीवी भारत ने परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बाल वाहिनी का रियलिटी चेक अभियान चलाया था. इस अभियान में परिवहन विभाग ने एक दर्जन से ज्यादा वाहनों की जांच की. जिनमें से 7 वाहनों के चालान बनाए गए हैं. एक वाहन ऐसा था जो परिवहन विभाग के अधिकारियों को देख कर मौके से भागने में सफल रहा. ऐसे में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने उसका नंबर नोट कर चालान घर पर भेजा है.

कोटा में भी नहीं मिली स्कूल बसों की स्थिति अच्छी

वहीं निजी स्कूल के निदेशक दिनेश विजय ने बताया कि सरकार ने जो नियम बनाए हैं. उनसे बच्चों की सुरक्षा बाल वाहिनी में बढ़ गई है. हमने भी सरकार के नियमों के अनुसार अपनी बसें तैयार की हुई हैं. उनमें जीपीएस भी स्थापित कर दिए हैं. इसके अलावा जो पेरेंट्स अपने बच्चों को वैन में भेजते हैं. उन वैन्स का भी पूरा सत्यापन करवाया हुआ है. साथ ही उन सभी वैन को भी बाल वाहिनी में परिवर्तित करवा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: झालावाड़ः गणेश जी की झांकी सजाने को लेकर मामले ने पकड़ा तूल...3 विधायकों ने SHO के खिलाफ दर्ज करवाई FIR

साथ ही निजी स्कूल के प्रिंसिपल एमएम सिंह का कहना है कि नई बसें जो आतीं हैं, उनका रजिस्ट्रेशन और परमिट पूरी फॉर्मेलिटीज करने के बाद मिलता है. इनको पूरी करने के बाद बाल वाहिनी की दुर्घटना होने की संभावना कम ही है. उन्होंने स्वयं दावा किया कि उनकी जो भी बाल वाहिनी हैं. उनका पूरे नियम कायदे के बाद ही लाइसेंस और परमिट जारी करवाया गया है.

वहीं प्रादेशिक परिवहन अधिकारी प्रकाश सिंह राठौड़ का कहना है कि बाल वाहिनी योजना स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन के लिए लागू की गई है. इसके तहत परिवहन विभाग लगातार रोस्टर बनाकर वाहनों की जांच करता है. कोटा संभाग में जहां 643 बाल वाहिनी संचालित है. उनमें से 427 की जांच परिवहन विभाग पिछले कुछ महीनों में कर चुका है. जिनमें से 200 बाल वाहिनी के चालान भी बनाए गए हैं.

उन्होंने बताया कि बाल वाहिनी का सुनहरा पीला रंग होना चाहिए. खिड़कियों में नियमानुसार जाली लगाई जानी चाहिए, ताकि बच्चे हाथ बाहर नहीं करें. तेज गति से वाहन नहीं चले इसके लिए स्पीड गवर्नर का होना बेहद जरूरी है. पैनिक बटन, सीसीटीवी और जीपीएस भी वाहन में लगा होना चाहिए. साथ ही बस ड्राइवर और कंडक्टर वर्दी में होनें चाहिए और ड्राइवर के पास भारी वाहन चलाने का 5 साल का अनुभव होना जरूरी है. साथ ही बाल वाहिनी में टीचर की मौजूदगी जरूरी है.

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साथ ही उन्होंने कहा कि वे बाल वाहिनी की सघन जांच करवा रहे हैं. इसमें जो भी चालक नियमों की पालना करता नहीं मिला उनके लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन और परमिट सस्पेंड किया जाएगा. साथ ही बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ बाल वाहिनी में नहीं होने दिया जाएगा. आरटीओ राठौड़ ने बताया कि वर्तमान में तो बाल वाहिनी प्रबंध समिति के अंतर्गत होती है. जिसके अध्यक्ष जिले के एसपी होते है. वही सीधे स्कूलों को दिशा निर्देश दे सकते हैं. लेकिन आने वाले परिवहन कानून के तहत सीधे परिवहन विभाग भी स्कूलों पर कार्रवाई कर सकेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन, परिवहन विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर सकारात्मक कदम उठाएगा तो बाल वाहिनी में बच्चे सुरक्षित होंगे.

Intro:प्रदेशभर में ईटीवी भारत की ओर से परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ स्कूल बसों की रियलिटी चेक कराया गया है. जिसके तहत कोटा में भी स्कूली बच्चों का परिवहन करने वाली बसों की स्थिति अच्छी नहीं मिली थी. इस संबंध में ईटीवी भारत में स्कूल संचालकों और परिवहन विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने एक ही सुर में कहा है कि नियमों की पालना बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है और बाल वाहिनी सड़क पर सुरक्षित चलें यही प्राथमिकता है. वह इस पर काम करेंगे.


Body:कोटा.
कोटा में ईटीवी भारत में परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बाल वाहिनी का रियलिटी चेक अभियान चलाया था. इस अभियान में परिवहन विभाग ने एक दर्जन से ज्यादा वाहनों की जांच की जिनमें से 7 वाहनों के चालान बनाए गए हैं. एक वाहन ऐसा था जो परिवहन विभाग के अधिकारियों को देख कर मौके से भागने में सफल रहा. ऐसे में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने उसके नंबर नोट कर चालान घर पर भेजा है. इस संबंध में ईटीवी भारत में कोटा शहर के स्कूल संचालकों से बात की तो सभी स्कूल संचालकों ने एक स्वर में बात कही है कि बाल वाहिनी में बच्चों को सुरक्षित परिवहन की ही जिम्मेदारी उनकी भी है इसके लिए वे जरूरी कदम उठाएंगे.

निजी स्कूल के निदेशक दिनेश विजय ने बताया कि सरकार ने जो नियम बनाए हैं. उनसे बच्चों की सुरक्षा बाल वाहिनी में बढ़ गई है. हमने भी सरकार के नियम के अनुसार अपनी बसें तैयार की हुई है. जीपीएस भी उन्हें स्थापित कर दिए हैं. इसके अलावा जो पेरेंट्स सीधे अपनी बच्चों को वैन में भेजते हैं. उन वैन का भी पूरा सत्यापन करवाया हुआ है. साथ ही उन सभी वैन को भी बाल वाहिनी में परिवर्तित करवा रहे हैं. इसके अलावा दो टीचर्स की पूरी जिम्मेदारी इस बाल वाहिनी संचालन में लगाई हुई है. वे जितनी भी बाल वाहिनी हमारी है. उनकी सर्टिफिकेट की जांच लगातार करते रहते हैं और उनमें रिन्यूअल से लेकर सभी समस्याओं का समाधान करते हैं. हमारी कोशिश है कि एक भी स्कूल आ रहा एक बच्चा भी सुरक्षित पहुंचे.

निजी स्कूल के प्रिंसिपल एमएम सिंह का कहना है कि बाल वाहिनी एक वाहन नहीं है. इनमें बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए. बाल वाहिनी के रूल्स और रेगुलेशन का कंपलीट फॉलो करना चाहिए. नई बसें जो आ रही है. उनका रजिस्ट्रेशन और परमिट ही पूरी फॉर्मेलिटीज करने के बाद मिलता है. इनको पूरी करने के बाद बाल वाहिनी की दुर्घटना होने की संभावना कम ही है. उन्होंने स्वयं दावा किया कि उनकी जो बाल वाहिनी है. उसका पूरा नियम कायदे के बाद ही लाइसेंस और परमिट जारी करवाया है.
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी प्रकाश सिंह राठौड़ का कहना है कि बाल वाहिनी योजना स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन के लिए लागू की गई है. इसके तहत परिवहन विभाग लगातार रोस्टर बनाकर वाहनों की जांच करता है. कोटा संभाग में जहां 643 बाल वाहिनी संचालित है. उनमें से 427 की जांच परिवहन विभाग पिछले कुछ महीनों में कर चुका है. जिनमें से 200 बाल वाहिनी के चालान भी बनाए गए हैं.

बाल वाहिनी का सुनहरा पीला रंग होना चाहिए. खिड़कियों में नियमानुसार जाली लगाई जानी चाहिए, ताकि बच्चे हाथ बाहर नहीं करें. तेज गति से वाहन नहीं चले इसके लिए स्पीड गवर्नर का होना बेहद जरूरी है. पैनिक बटन, सीसीटीवी और जीपीएस भी वाहन में लगाया गया है. साथ ही बस ड्राइवर और कंडक्टर वर्दी में होना चाहिए और ड्राइवर के पास भारी वाहन चलाने का 5 साल का अनुभव होना जरूरी है. साथ ही बाल वाहिनी में टीचर की मौजूदगी जरूरी है.


Conclusion:उन्होंने कहा कि वे सघन जांच बाल वाहिनी की करवा रहे हैं. इसमें जो भी चालक नियमों की पालना करता नहीं मिला उनके लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन और परमिट को सस्पेंड किया जाएगा साथ ही बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ बाल वाहिनी में नहीं होने दिया जाएगा.
आरटीओ राठौड़ ने बताया कि वर्तमान में तो बाल वाहिनी प्रबंध समिति होती है, जिसके अध्यक्ष जिले के एसपी होते है. वही सीधे स्कूलों को दिशा निर्देश दे सकते हैं, लेकिन आने वाले परिवहन कानून के तहत सीधे परिवहन विभाग भी स्कूलों पर कार्रवाई कर सकेगा.
हालांकि उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन, परिवहन विभाग व शिक्षा विभाग मिलकर सकारात्मक कदम उठाएगा तो बाल वाहिनी में बच्चे सुरक्षित होंगे.




बाइट का क्रम

बाइट-- दिनेश विजय, निजी स्कूल निदेशक (सफेद शर्ट में)
बाइट-- एमएम सिंह, निजी स्कूल प्रिंसिपल (सर पर बाल कम है, लाइनिंग वाली शर्ट में)
बाइट-- प्रकाश सिंह राठौड़, आरटीओ कोटा (चेक वाली शर्ट में)
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