कोटा. भारत सरकार ने इस साल मोटे अनाज को प्रमोट करने के लिए इस साल को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है. इसी को लेकर पूरे देश में कई कार्यक्रम हो रहे हैं. देशभर में मोटे अनाज के अलग-अलग प्रोडक्ट भी बन रहे हैं. इसी तरह से कोटा में भी मिलेट को प्रोत्साहन देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षित स्वयं सहायता समूह ने कुकीज तैयार किए हैं.
हालांकि, यह कुकीज मोटे अनाज को प्रमोट करने के साथ अच्छा मुनाफा भी इस स्वयं सहायता समूह को दे रहे हैं. इस बिस्किट के बेचने से लागत का 5 गुना मुनाफा स्वयं सहायता समूह को हो रहा है और काफी डिमांड भी आ रही है. दूसरी तरफ एग्रीकल्चर की पूर्व मानव संसाधन निदेशक डॉ. ममता तिवाड़ी ने इस कुकीज का न्यूट्रीशन एनालिसिस भी करवाया है. जिसमें कैल्शियम और आयरन की मात्रा काफी अच्छी मिली है. अब इसको प्रोटीन रिच बनाने के लिए दूसरे मोटे अनाज रागी और सावा मिलाकर फोर्टीफाइड करवाया जाएगा.
14 हजार लागत, 75 हजार की बिक्रीः कोटा के कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेकर अभी तक स्वयं सहायता समूह के जरिए 100 से ज्यादा अलग-अलग प्रोडक्ट बना चुकी गायत्री वैष्णव भी इस कार्य से जुड़ी हैं. उनका कहना है कि हमने 150 किलो के कुकीज तैयार किए थे. इसमें 80 से 90 रुपए किलो का खर्चा आया है. इसके अनुसार करीब 14 हजार रुपए खर्च हुए हैं, लेकिन बिस्किट बेचने पर करीब 75 हजार के आसपास का माल बैठ रहा है. हमने 250 ग्राम की पैकिंग में सेल किया है. जिसकी एमआरपी 150 रुपए है, लेकिन 125 रुपए में हमने इसे बेचा है. बाजार में मोटे अनाज के बिस्किट 600 से 700 रुपए किलो मिल रहे हैं. हम इन्हें 500 रुपए किलो बेच रहे हैं.
कुकीज बने अब टोस्ट, मुफीन और केक बनाएंगेः डॉ. ममता तिवाड़ी ने बताया कि बाजरा के बिस्किट का बहुत अच्छा रिस्पॉन्स आया है. हमारा स्वयं सहायता समूह लगभग डेढ़ क्विंटल बाजरे के बिस्किट तैयार कर चुका है और इनको मार्केट में उतारा है. अब जितने भी मोटे अनाज हैं, उनको एक साथ मिलाकर बिस्किट बनाएंगे. इसमें बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी, कोंदो, जेई मिलाकर बनाएंगे. उन्होंने बताया कि हमारी प्लानिंग है कि स्वयं सहायता समूह से इसके टोस्ट, केक और मुफीन भी तैयार करवाएं.
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तीन बार में मिली सफलता, जयपुर में करवाए तैयारः गायत्री वैष्णव ने बताया कि उन्हें डॉ. तिवाड़ी ने बिस्किट बनाने का तरीका व आइटम की मात्रा बता दी थी. उन्होंने इसके लिए पहले कोटा में ही एक प्लांट में इसे तैयार किया, लेकिन बिस्किट काफी हार्ड बन गए. इसके बाद गायत्री ने अपने घर पर ही माइक्रोवेव में बिस्किट तैयार किए. यह बिस्किट अच्छे बन गए थे. बाद में जयपुर में एक बेकरी में बात कर, वहां पर बिस्किट की सिकाई करवाई है. जयपुर से ही बिस्किट बनकर तैयार होकर आए है. गायत्री का कहना है कि हम चाहते हैं कि स्वयं सहायता समोसे और महिलाएं जोड़कर रोजगार करें. इसका एक पूरा प्लांट हम डालना चाहते हैं, ताकि बिस्किट के लिए एक बड़ा ओवन खरीद कर उसे हम यहीं तैयार कर लें.
डायबिटिक लोगों के लिए तैयार होंगे नमकीन कुकीजः स्वयं सहायता समूह की सदस्य लक्ष्मी का कहना है कि बाजरे के पीसे हुए आटे में घी, इलाइची व शुगर पाउडर को मिलाया है. इसके बाद वनीला एसेंस और चोको पाउडर इसमें डाला है. बाद में आटे की तरह गूथकर बिस्किट का आकार दिया है. बाद में इसे बेकरी के ओवन में तैयार करवाया गया है. यह पूरी तकनीक में 30 से 35 मिनट का समय लगा है. बाजरे के कुकीज को अच्छा रिस्पांस मिला है. इसको हम नमकीन के रूप में भी तैयार करेंगे. कुछ डायबिटिक पेशेंट ने भी इच्छा जाहिर की है, उनको नमकीन में बिस्कुट उपलब्ध करवाएंगे. जिसमें जीरा और अजवाइन डाले जाएंगे.
इसीलिए चॉकलेट फ्लेवर में तैयारः लक्ष्मी ने बताया कि बच्चे ज्यादातर मैदा के बिस्किट खाते हैं, लेकिन यह बिस्किट भी उन्हें स्वादिष्ट लगे, इसीलिए चॉकलेट व चोको चिप्स डाला है. दूसरे फ्लेवर का भी उपयोग इसमें कर रहे हैं. इसका उद्देश्य यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग मोटे अनाज का सेवन करें. वहीं, महिलाएं किचन में मोटे अनाज के ही खाद्य पदार्थ तैयार करें. हमारा युवा भी मोटे अनाज को अपने जीवन में उपयोग करे. अभी वर्तमान में बाजरे का उपयोग किया है. आगे दूसरे मोटे अनाज का भी उपयोग कर कुकीज बनाएंगे.