कोटा. सांगोद से कांग्रेस विधायक और सूबे के पूर्व मंत्री भरत सिंह अपने मुद्दों को पत्र के जरिए उठाते रहे हैं. वो लगातार अपने क्षेत्र से लेकर प्रदेश तक के (wrote one thousand letters to CM) छोटे-बड़े मुद्दों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय व प्रदेश के मंत्रियों के साथ ही मुख्य सचिव, डीजीपी, आईएएस, आईपीएस से लेकर कई अधिकारियों तक को पत्र लिखते रहे हैं. साथ ही उनके पत्रों पर एक्शन के भी दावे करते रहे हैं.
लेकिन इन सबके बीच विधायक के पत्र सोशल मीडिया में (Bharat Singh dominates social media) खासा चर्चा के केंद्र में रहे हैं. यहां तक कि विपक्षी बीजेपी के नेता भी उनके पत्रों के जरिए मुख्यमंत्री गहलोत सहित कांग्रेस सरकार पर हमले करते रहे हैं. इसी क्रम में बीते दिनों लोकसभा स्पीकर से लेकर बीजेपी के कई अन्य नेताओं ने तो भरत सिंह को पत्र सम्राट की संज्ञा देने के साथ ही उन्हें चिट्ठी मंत्री तक बनाने की मांग कर दी है.
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हालांकि, ईटीवी भारत ने जब भरत सिंह से उनके पत्रों और उन पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा. प्रश्न किया कि सोशल मीडिया पर भी खत क्यों डाले! इस पर विधायक जी मुस्कुराकर बोले- मैं तो सीएम को हजारों की संख्या में पत्र लिख चुका हूं. लेकिन जिन्हें वे पत्र लिखते हैं, वो पत्र पर कुंडली मारकर न बैठ जाएं, लिहाजा वो पब्लिक डोमेन में भी उन पत्रों को डाल देते हैं.
तिवाड़ी बोले 'ये तो धक्के से चलने वाली कार': बीते दिनों लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी बिना नाम लिए उन पर हमला बोला था. जिसमें उन्होंने कहा था कि पत्र लिखने से काम नहीं होता है. समस्याओं को समझकर उसे सुलझाने की दिशा में काम करने की जरूरत होती है. ताकि आम जनता को राहत मिल सके. इधर, सांगोद दौरे पर आए राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने भी भरत सिंह के पत्र को आधार बना सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह सरकार नहीं, बल्कि धक्के से चलने वाली कार है. विधायक भरत सिंह अपने पत्रों के जरिए सरकार को धक्के लगा रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बात भी नहीं मान रही है.
सांगोद के पूर्व विधायक हीरालाल नागर भी सीएम गहलोत से मांग कर चुके हैं कि राजस्थान में नए सिरे से चिट्ठी विभाग का गठन किया हो, जिसका मंत्री भरत सिंह को बनाया जाए. इसी तरह कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा भी भरत सिंह को चिट्ठी सम्राट की उपाधि दे चके हैं.
कंटेंट पर चुप्पी: विपक्ष के हमले का जवाब भी भरत सिंह देते हैं. कहते हैं- पत्र लिखने पर सवाल उठाए जा रहे हैं. यह उनका अधिकार है, लेकिन पत्र के कंटेंट पर कोई नहीं बोलता. पत्र की सच्चाई को छुपाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वो इससे हार मानने वाले नहीं हैं. वो रोजाना अपने कार्यालय में बैठकर मुद्दों व समस्याओं पर पत्र लिखते हैं, ताकि समस्याओं को उठा उसके समाधान की दिशा में कुछ किया जा सके. उन्होंने आगे कहा कि इससे बेहतर कोई माध्यम नहीं है.
भ्रष्टाचारियों के पोस्टर लगाने की मांग: विधायक भरत सिंह आमतौर पर रोज 3 से 4 पत्र लिखते हैं. जिनमें अधिकांश सीएम को लिखते हैं. उन्होंने बीते 4 साल में 1000 से ज्यादा पत्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे हैं. भरत सिंह अपने पत्रों के जरिए भ्रष्टाचारियों के पोस्टर लगाने, महात्मा गांधी के फोटो को नोट से हटाने, रिश्वतखोरी को सीधे नौकरी से बर्खास्त करने, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, सोरसन, रामगढ़ विषधारी और शेरगढ़ अभ्यारण के विकास और सड़कों को दुरुस्त करने तक की मांग कर चुके हैं.
पूर्व विधायक बोले- नेगेटिव व्यक्ति: सांगोद के पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने कहा कि भरत सिंह केवल मीडिया में बने रहने के लिए पत्र लिखते हैं. उन्हें नेगेटिव बात उठाने में विशेषज्ञता हासिल है. उन्होंने अपने सियासी जीवन में इस तरह का नेगेटिव व्यक्ति पहले नहीं देखा था. उन्हें धरातल और वर्तमान की आवश्यकता से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने सांगोद क्षेत्र में कोई काम नहीं किया है. यहां तक कि पूर्व विधायक नागर ने उनके पिता जुझार सिंह पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह बीते 50 सालों से सांगोद एरिया का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इन्होंने कोई परियोजना सांगोद एरिया के लिए स्वीकृत नहीं करवाई है.
नागर ने कहा कि भरत सिंह 2009 में मंत्री थे, तब भंवरासा बांध से सांगोद एरिया का पानी काटकर कालीसिंध प्लांट को दे दिया गया. इस पर भी वो मौन रहे, जबकि इस पानी से सांगोद विधानसभा क्षेत्र के 17000 हेक्टेयर एरिया में सिंचाई होनी थी. सांगोद एरिया में सभी योजनाएं बीजेपी शासन की है. जिनमें सावन-भादो, हरिश्चंद्र सागर बांध और परवन वृहद सिंचाई योजना शामिल है.
करीबी अवैध खनन में लगे: भरत सिंह तो कार्यों में रोड़ा अटका आते हैं. वर्तमान में परवन योजना के पाइप नहीं डालने दिए जा रहे हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों को धमकाया जा रहा है. भरत सिंह क्षेत्र के बाहर के मुद्दे उठाते हैं. जिनमें अवैध खनन भी शामिल है, लेकिन सांगोद इलाके में इनके ही करीबी अवैध खनन में संलिप्त हैं.