कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार को पुलिस ने पास करने की एवज में फिजिकल होने के मामले में गिरफ्तार कर लिया. इस मसले पर विश्वविद्यालय की छवि खराब हुई है. खूब हंगामा हुआ. सैकड़ों की संख्या में मौजूद स्टूडेंट्स ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. मांग गिरीश परमार को बर्खास्त करने की है.
सवाल ये है कि क्या विवि ऐसा कुछ कदम उठाएगी? इसमें संदेह है. क्यों? क्योंकि इतिहास ही कुछ ऐसा है. शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई न करने की परम्परा यहां पुरानी है. विवि का रवैया बेहद गैर जिम्मेदाराना रहा है. गिरीश परमार केस को ही ले लें. एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ पहले भी शिकायतें आईं लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया. परमार ही क्यों अन्य कई हैं जो अपनी करतूतों की वजह से चर्चा में रहे.
पूर्व HOD मामला और न्याय- ऐसा ही मामला परमार के ही डिपार्टमेंट इलेक्ट्रॉनिक्स के पूर्व एचओडी और वर्तमान में डीन फैकल्टी अफेयर्स राजीव गुप्ता के खिलाफ सामने आया था. इसमें पीड़िता संविदा कार्मिक का साफ कहना है कि उसे मुकदमा दर्ज कराने के बाद पुलिस से भी न्याय नहीं मिला, पुलिस ने इस मामले में जांच में लीपापोती कर मुकदमे में एफआर लगा दी. दूसरी तरफ राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की वुमन सेल को दी शिकायत से भी कोई नतीजा नहीं निकला.
नौकरी गई, सदमे में मां बाप- पीड़िता का कहना है कि उसके बुजुर्ग मां-बाप और अन्य परिजन भी इस सदमे में चले गए. उसकी राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से संविदा की नौकरी भी चली गई. इसके बाद परमार पीड़िता को बार-बार फोटो भेजता था. पीड़िता का यह भी कहना है कि उनकी जिस शिकायत पर एफआर लगाई गई है, उस पर दोबारा खुलवाने के लिए भी वे प्रार्थना पत्र कोर्ट में दे चुकी हैं.
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यह है पूरा मामला- मामले के अनुसार संविदा कार्मिक ने अगस्त 2020 में आईपीसी 354, 341 और 504 में मुकदमा इलेक्ट्रॉनिक्स के तत्कालीन एचओडी राजीव गुप्ता के खिलाफ न्यायालय के जरिए दर्ज करवाया था. इस FIR में पीड़िता ने कहा था कि 27 जुलाई 2020 को तत्कालीन एचओडी राजीव गुप्ता ने अपने कार्यालय में डॉक्यूमेंट दिखाने के लिए बुलाया था और मेरा हाथ पकड़ लिया.
इस घटना के बाद एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार ने फोन पर मुझे धमकाया और यह कहा था कि मैं जॉब स्वेच्छा से छोड़ रही हूं, ऐसा लिख कर दे, नहीं तो उसकी एक माह की सैलरी खाते में नहीं दी जाएगी. शिकायत में संविदा कार्मिक ने यह बताया है कि बिना कारण राजीव गुप्ता बार-बार उन्हें अपने चेंबर में बुलाते थे, साथ ही अजीब तरीके से उसे देखते थे. जिससे उसे असहज महसूस होता था और इस तरह की परेशानी के चलते वह मानसिक तनाव में चली गई थी. इस संबंध में अगस्त महीने में एफआईआर नंबर 79/2020 दर्ज हुई थी. इसमें संविदा कार्मिक के न्यायालय में 164 के बयान भी हुए थे.
विवि ने FIR बाद भी नहीं लिया संज्ञान- राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की लचर प्रणाली का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि एचओडी के खिलाफ कैंपस में ही कार्यरत संविदा कार्मिक ने छेड़छाड़ की शिकायत पुलिस थाने में दे दी थी, जिस पर मुकदमा भी दर्ज हो गया, लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए कार्रवाई नहीं की. आखिर में एफआईआर दर्ज होने के बाद पीड़िता ने 14 अगस्त 2020 को विश्वविद्यालय प्रबंधन को भी शिकायत दी थी, जिसकी जांच वुमन सेल में हुई. पीड़िता के बयान लिए गए लेकिन एक्शन नहीं लिया गया.
'सिस्टम का दोष'- संविदा कर्मी की शिकायत के मामले में पूछने पर वाइस चांसलर एसके सिंह ने जवाब दिया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है. उसके बारे में जानकारी लेंगे. अगर पहले इसमें कार्रवाई हुई है, तो उसको भी देखेंगे. कार्रवाई नहीं हुई होगी, तब उसमें क्या किया जा सकता है, यह देखेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि हॉस्टल के वॉर्डन को भी बदला जाएगा.
जब पूछा गया कि इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट के तत्कालीन एचओडी की शिकायत हुई थी. यह फेल पास करने का सिस्टम डिपार्टमेंट में चल रहा था, तब एचओडी की भी जिम्मेदारी बनती है या नहीं. ऐसे में क्या पूरे डिपार्टमेंट की जांच होगी, इस पर वीसी एसके सिंह का कहना है कि जब इस तरह के कांड हो रहे हैं, तब पूरे सिस्टम की ही गलती है. इसमें पूरे सिस्टम का ही दोष है.