उदयपुर : झीलों की नगरी उदयपुर में जल प्रबंधन व संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘‘वाटर विजन-2047‘‘ की शुरुआत हुई. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटील और देश के विभिन्न राज्यों से जल मंत्री इस सम्मेलन में मौजूद रहे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया. उदयपुर में राज्य जल मंत्रियों के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम भजनलाल ने कहा कि जल संरक्षण के उपायों को अपनाकर हमें जल आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर होना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और समृद्ध भविष्य मिल सके. उन्होंने जोर देकर कहा कि जल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक सुव्यवस्थित रोडमैप आवश्यक है, जिसमें कृषि, शहरी जल प्रबंधन और तकनीकी नवाचार जैसे प्रमुख पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए.
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मुख्यमंत्री शर्मा ने इस आयोजन के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री का आभार व्यक्त किया और इसे सहयोगात्मक संघवाद की उत्कृष्ट मिसाल बताया. उन्होंने कहा कि संवैधानिक रूप से जल राज्यों का विषय है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से यह राज्यों के बीच समन्वय एवं सहयोग का विषय बन गया है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में जल आत्मनिर्भरता की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन के तहत देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने का प्रयास किया है, जिससे राजस्थान के करोड़ों लोगों को लाभ मिला है. राज्य सरकार शेष परिवारों को नल कनेक्शन देने के लिए भी तेजी से कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश के विकास एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और इसी कारण जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना की गई, जिससे जल संबंधी परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सके.
राम जल सेतु लिंक परियोजना : मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवनरेखा है. इसके माध्यम से 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी और 3 करोड़ से अधिक लोगों को पेयजल उपलब्ध होगा. उन्होंने बताया कि कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम के तहत प्रवासी राजस्थानी प्रदेश के 60,000 गांवों में भूजल पुनर्भरण के लिए रिचार्ज वैल बनाने में योगदान दे रहे हैं. राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय अपना रही है, जिनमें कम पानी में उगने वाली फसलों को प्रोत्साहित करना, शहरी जल प्रबंधन, सीवरेज के पानी के शुद्धिकरण एवं पुनः उपयोग के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल, जल गुणवत्ता और स्रोतों की निगरानी के लिए तकनीक का उपयोग शामिल है.
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जल प्रबंधन के लिए प्रभावी कार्ययोजना : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटील ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने के विजन पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने स्वच्छता पर जोर दिया, जिसके तहत 12 करोड़ शौचालय बनाए गए और 60 करोड़ लोगों को लाभ मिला. इससे डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई. जल जीवन मिशन के तहत अब देश के 15 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए 25 लाख महिलाओं को किट और प्रशिक्षण दिया गया है. इसी तरह, वर्षा जल संग्रहण के लिए कैच द रेन अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें प्रवासी नागरिक भी भूजल पुनर्भरण के लिए योगदान दे रहे हैं.
राजस्थान को मिलेगा अधिक जल : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटील ने कहा कि राम जल सेतु परियोजना (संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना) के तहत राजस्थान को अधिक जल मिलेगा. इस परियोजना से राज्य को पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी. उन्होंने यह भी बताया कि यमुना जल समझौते के तहत राजस्थान और हरियाणा के बीच त्वरित निर्णय लिए जाने से यमुना का अतिरिक्त जल राजस्थान में लाया जा सकेगा.
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ओडिशा के मुख्यमंत्री बोले जिम्मेदारी बढ़ीः ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने कहा कि ओडिशा में महानदी, गोदावरी, नर्मदा और ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियां बहती हैं, जिससे जल संरक्षण की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि ओडिशा में पर्याप्त वर्षा होती है, लेकिन इसका वितरण असमान है, इसलिए जल सुरक्षित राज्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बाढ़ नियंत्रण और जल संरक्षण परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है. उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा की महिला स्वयं सहायता समूह भूजल पुनर्भरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बोले- अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर : त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि त्रिपुरा का 70 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है और अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. उनकी सरकार सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जिससे कृषि उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि हो सके. जल संग्रहण की सीमित क्षमता को देखते हुए सतही जल आधारित सिंचाई परियोजनाओं की संभावनाएं कम हैं, इसलिए वर्षा जल संरक्षण संरचनाओं और छोटे सिंचाई बांधों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
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कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कही ये बात : सम्मेलन में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव, केंद्रीय जल संसाधन सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जल कलश सेरेमनी में सहभागिता की.
सीएम व केंद्रीय मंत्री ने बोरवैल का किया पूजनः मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ पहुंचे. उन्होंने महाराणा प्रताप की विशाल प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के साथ केन्द्र के परिसर में कर्म भूमि से मातृभूमि अभियान के तहत जल संचय-जन भागीदारी के अंतर्गत बोरवैल का पूजन करके शुभारंभ किया. जल संरक्षण जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत आमजन एवं संस्थाओं को जोड़ने के क्रम में प्रताप गौरव केंद्र में रिचार्ज वैल का निर्माण किया जा रहा है. इस अवसर पर राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी भी मौजूद रहे.