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इस सीट पर एक वोट से हारी थी कांग्रेस, भाजपा के इस नेता ने बनाया सबसे अधिक मतों से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड - सीट पर चुनावी समीकरण

Rajasthan assembly Election 2023, राजस्थान में एक वोट से भी फैसला हुआ है, जिसमें मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव हार गए थे और उनके सामने भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह चौहान विजयी हुए थे. हालांकि, तब कई बार रिकाउंटिंग भी हुई थी. वहीं, बीते 15 सालों में सबसे बड़ी जीत कैलाश मेघवाल की रही, जिन्होंने भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से 74542 वोटों से चुनाव जीता था.

Rajasthan assembly Election 2023
Rajasthan assembly Election 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 13, 2023, 7:31 PM IST

राजस्थान के चुनावी रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं इन नेताओं के नाम

कोटा. राजस्थान में राजनीतिक दल प्रत्येक सीट पर चुनावी समीकरण बैठाने की जुगत में हैं. एक-एक वोट पाने के लिए नेता मशक्कत कर रहे हैं. मतदाताओं के पैर पकड़ने से लेकर उन्हें रिझाने की हर संभव कोशिश की जा रही है. हर मतदाता को मनाने और अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए रणनीतियां तैयार हो रही हैं. इसी बीच ईटीवी भारत ने बीते तीन चुनाव के आंकड़ों के आधार पर राजस्थान के सियासी समीकरण का आकलन किया, जिसमें पाया गया कि यहां एक वोट से भी हार-जीत के फैसले हुए हैं.

विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष सीपी जोशी महज एक वोट के अंतर से चुनाव हार गए थे और भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह चौहान तब चुनाव जीते थे. हालांकि, तब कई बार रिकाउंटिंग भी हुई थी. वहीं, बीते 15 सालों में सबसे बड़ी जीत कैलाश मेघवाल की हुई, जिन्होंने भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से 74542 वोटों से जीत दर्ज की थी.

Rajasthan assembly Election 2023
बड़े अंतर की जीत

चंद वोटों के मार्जिन से जीते चुनाव : नजदीकी मुकाबले में चुनाव जीतने वालों की बात करें तो भाजपा नेता कल्याण सिंह चौहान महज एक वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. उन्होंने 2008 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को शिकस्त दी थी. इसके अलावा गोविंद सिंह डोटासरा 2008 में लक्ष्मणगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश जोशी से 34 वोटों से चुनाव जीते थे. इसी क्रम में नसीराबाद से कांग्रेस के महेंद्र सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सांवरलाल जाट को 71 वोटों से हराया था. वहीं, जयपुर की चौमूं विधानसभा सीट से भगवान लाल सैनी ने रामलाल शर्मा को 135 वोटों से शिकस्त दी थी तो भीलवाड़ा की आसींद सीट से 2018 में जब्बर सिंह ने कांग्रेस के मनीष मेवाड़ा को 154 वोटों से पराजित किया था.

Rajasthan assembly Election 2023
इन नेताओं ने बनाए हार-जीत के रिकॉर्ड

इसे भी पढ़ें - Special : नारों से छवि चमकाने का रिवाज हुआ पुराना, अब नेता के गाने सेट कर रहे चुनावी माहौल

कैलाश मेघवाल व पीआर मीणा के नाम बड़ी जीत का रिकॉर्ड : बीते 15 सालों में राजस्थान में सबसे बड़ी जीत का सेहरा भाजपा से निलंबित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश चंद्र मेघवाल के नाम है. उन्होंने 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महावीर प्रसाद को भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से 74542 वोटों चुनाव हराया था. वहीं, इस सूची में अगला नाम कांग्रेस के पृथ्वीराज मीणा का है, जिन्होंने 2018 के चुनाव में टोडाभीम सीट से भाजपा प्रत्याशी रमेशचंद को 73126 वोटों से पराजित किया था. वहीं, घनश्याम तिवाड़ी ने साल 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी संजय बाफना को 65350 वोटों से जयपुर की सांगानेर सीट से हराया था तो भाजपा के ही बनवारी लाल सिंघल ने अलवर शहर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र शर्मा को 62229 वोट से मात दी थी. पांचवीं बड़ी जीत का सेहरा बारां जिले की छबड़ा सीट से 2013 में चुने गए प्रताप सिंह सिंघवी के नाम है. उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रत्याशी मानसिंह धनोरिया को 61835 वोटों से चुनाव हराया था. इसके अलावा बड़े अंतर से जीतने वाले कैंडिडेट में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, मंत्री उदयलाल आंजना और विधायक सिद्धि कुमारी शामिल हैं.

Rajasthan assembly Election 2023
कम अंतर की जीत

इसे भी पढ़ें - भाजपा भी सींचने लगी वंशवाद की बेल, डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर परिवारवाद को बढ़ावा, सीपी जोशी ने कही ये बात

34 वोट से चुनाव जीते थे डोटासरा : राजस्थान के बड़े नेताओं की जीत-हार की गणित की बात की जाए तो इसमें मुख्यमंत्री, भाजपा-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और बड़े ओहदे पर रहने वाले नेता शामिल हैं. इनमें सर्वाधिक बड़ी जीत का रिकॉर्ड वसुंधरा राजे सिंधिया के नाम है, जिन्होंने साल 2013 में 60896 वोटों से चुनाव जीता था. दूसरे स्थान पर सचिन पायलट हैं, जो 2018 में 54179 वोट से जीते थे. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री यूनुस खान को हराया था. वहीं, सबसे कम वोट से जीत का रिकॉर्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नाम है, जो महज 34 वोटों से चुनाव जीते थे. इस सूची में अगला नाम राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का है. वो साल 2018 में चूरू सीट से महज 1850 वोट से चुनाव जीते थे और उन्होंने कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को शिकस्त दी थी.

Rajasthan assembly Election 2023
सीएम, भाजपा-कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व बड़े नेता

1000 से कम वोटों से जीते चुनाव : राजस्थान में ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता रहा है. ऐसे में साल 2008 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर हुई थी और कांग्रेस सत्ता में आई थी, लेकिन 16 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्होंने 1000 से भी कम वोटों से चुनाव जीता था. वहीं, 2013 में यह संख्या घटकर महज पांच रह गई, जबकि 2008 में वापस बढ़कर 9 हो गई थी. इसी तरह से 2008 में 1 से 2 हजार वोट से जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या 15 थी, जबकि 2013 में यह एक रह गई और 20018 में वापस बढ़कर सात हो गई थी.

इसे भी पढ़ें - मिलिए सियासत के 'पोपटलाल' से, 12 बार हारने के बाद भी फिर उतरे मैदान में, चुनाव की खातिर संपत्ति तक बेच डाली

2008 के चुनाव में बना ये रिकॉर्ड : राजस्थान में बड़े अंतर से जीत के कई परिणाम सामने आए हैं. साल 2013 और 2018 में 50 हजार से भी ज्यादा मतों से 10 प्रत्याशी जीते थे. इनमें 2013 में 6 और 2018 में 4 प्रत्याशी थे, जबकि 2008 के चुनाव में एक भी प्रत्याशी ऐसा नहीं था, जो 50 हजार से ज्यादा वोट से जीता हो. इसी तरह से 40 हजार से ज्यादा वोट से जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या गिनी जाए तो 2008 के चुनाव में केवल एक प्रत्याशी ऐसा था, जिसे सफलता मिली थी. वहीं, 2013 के चुनाव में 40 से 50 हजार वोट से जीतने वाले 14 प्रत्याशी थे तो 2018 में यह संख्या कम होकर सात रह गई थी.

राजस्थान के चुनावी रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं इन नेताओं के नाम

कोटा. राजस्थान में राजनीतिक दल प्रत्येक सीट पर चुनावी समीकरण बैठाने की जुगत में हैं. एक-एक वोट पाने के लिए नेता मशक्कत कर रहे हैं. मतदाताओं के पैर पकड़ने से लेकर उन्हें रिझाने की हर संभव कोशिश की जा रही है. हर मतदाता को मनाने और अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए रणनीतियां तैयार हो रही हैं. इसी बीच ईटीवी भारत ने बीते तीन चुनाव के आंकड़ों के आधार पर राजस्थान के सियासी समीकरण का आकलन किया, जिसमें पाया गया कि यहां एक वोट से भी हार-जीत के फैसले हुए हैं.

विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष सीपी जोशी महज एक वोट के अंतर से चुनाव हार गए थे और भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह चौहान तब चुनाव जीते थे. हालांकि, तब कई बार रिकाउंटिंग भी हुई थी. वहीं, बीते 15 सालों में सबसे बड़ी जीत कैलाश मेघवाल की हुई, जिन्होंने भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से 74542 वोटों से जीत दर्ज की थी.

Rajasthan assembly Election 2023
बड़े अंतर की जीत

चंद वोटों के मार्जिन से जीते चुनाव : नजदीकी मुकाबले में चुनाव जीतने वालों की बात करें तो भाजपा नेता कल्याण सिंह चौहान महज एक वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. उन्होंने 2008 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को शिकस्त दी थी. इसके अलावा गोविंद सिंह डोटासरा 2008 में लक्ष्मणगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश जोशी से 34 वोटों से चुनाव जीते थे. इसी क्रम में नसीराबाद से कांग्रेस के महेंद्र सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सांवरलाल जाट को 71 वोटों से हराया था. वहीं, जयपुर की चौमूं विधानसभा सीट से भगवान लाल सैनी ने रामलाल शर्मा को 135 वोटों से शिकस्त दी थी तो भीलवाड़ा की आसींद सीट से 2018 में जब्बर सिंह ने कांग्रेस के मनीष मेवाड़ा को 154 वोटों से पराजित किया था.

Rajasthan assembly Election 2023
इन नेताओं ने बनाए हार-जीत के रिकॉर्ड

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कैलाश मेघवाल व पीआर मीणा के नाम बड़ी जीत का रिकॉर्ड : बीते 15 सालों में राजस्थान में सबसे बड़ी जीत का सेहरा भाजपा से निलंबित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश चंद्र मेघवाल के नाम है. उन्होंने 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महावीर प्रसाद को भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से 74542 वोटों चुनाव हराया था. वहीं, इस सूची में अगला नाम कांग्रेस के पृथ्वीराज मीणा का है, जिन्होंने 2018 के चुनाव में टोडाभीम सीट से भाजपा प्रत्याशी रमेशचंद को 73126 वोटों से पराजित किया था. वहीं, घनश्याम तिवाड़ी ने साल 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी संजय बाफना को 65350 वोटों से जयपुर की सांगानेर सीट से हराया था तो भाजपा के ही बनवारी लाल सिंघल ने अलवर शहर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र शर्मा को 62229 वोट से मात दी थी. पांचवीं बड़ी जीत का सेहरा बारां जिले की छबड़ा सीट से 2013 में चुने गए प्रताप सिंह सिंघवी के नाम है. उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रत्याशी मानसिंह धनोरिया को 61835 वोटों से चुनाव हराया था. इसके अलावा बड़े अंतर से जीतने वाले कैंडिडेट में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, मंत्री उदयलाल आंजना और विधायक सिद्धि कुमारी शामिल हैं.

Rajasthan assembly Election 2023
कम अंतर की जीत

इसे भी पढ़ें - भाजपा भी सींचने लगी वंशवाद की बेल, डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर परिवारवाद को बढ़ावा, सीपी जोशी ने कही ये बात

34 वोट से चुनाव जीते थे डोटासरा : राजस्थान के बड़े नेताओं की जीत-हार की गणित की बात की जाए तो इसमें मुख्यमंत्री, भाजपा-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और बड़े ओहदे पर रहने वाले नेता शामिल हैं. इनमें सर्वाधिक बड़ी जीत का रिकॉर्ड वसुंधरा राजे सिंधिया के नाम है, जिन्होंने साल 2013 में 60896 वोटों से चुनाव जीता था. दूसरे स्थान पर सचिन पायलट हैं, जो 2018 में 54179 वोट से जीते थे. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री यूनुस खान को हराया था. वहीं, सबसे कम वोट से जीत का रिकॉर्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नाम है, जो महज 34 वोटों से चुनाव जीते थे. इस सूची में अगला नाम राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का है. वो साल 2018 में चूरू सीट से महज 1850 वोट से चुनाव जीते थे और उन्होंने कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को शिकस्त दी थी.

Rajasthan assembly Election 2023
सीएम, भाजपा-कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व बड़े नेता

1000 से कम वोटों से जीते चुनाव : राजस्थान में ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता रहा है. ऐसे में साल 2008 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर हुई थी और कांग्रेस सत्ता में आई थी, लेकिन 16 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्होंने 1000 से भी कम वोटों से चुनाव जीता था. वहीं, 2013 में यह संख्या घटकर महज पांच रह गई, जबकि 2008 में वापस बढ़कर 9 हो गई थी. इसी तरह से 2008 में 1 से 2 हजार वोट से जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या 15 थी, जबकि 2013 में यह एक रह गई और 20018 में वापस बढ़कर सात हो गई थी.

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2008 के चुनाव में बना ये रिकॉर्ड : राजस्थान में बड़े अंतर से जीत के कई परिणाम सामने आए हैं. साल 2013 और 2018 में 50 हजार से भी ज्यादा मतों से 10 प्रत्याशी जीते थे. इनमें 2013 में 6 और 2018 में 4 प्रत्याशी थे, जबकि 2008 के चुनाव में एक भी प्रत्याशी ऐसा नहीं था, जो 50 हजार से ज्यादा वोट से जीता हो. इसी तरह से 40 हजार से ज्यादा वोट से जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या गिनी जाए तो 2008 के चुनाव में केवल एक प्रत्याशी ऐसा था, जिसे सफलता मिली थी. वहीं, 2013 के चुनाव में 40 से 50 हजार वोट से जीतने वाले 14 प्रत्याशी थे तो 2018 में यह संख्या कम होकर सात रह गई थी.

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