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कोटा में आकर अटका पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे

भारतमाला परियोजना के अधीन बनने वाले 12 लेन के दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर का मामला कोटा में आकर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. सेटलमेंट और सीएडी के भू-अभिलेख के रिकॉर्ड में कैचमेंट एरिया अलग-अलग जगह दर्शाया गया है. ऐसे में जमीन एक्वायर करने का काम अटक गया है. कोटा जिले में 105 किलोमीटर हाईवे बनना है. जिसमें से 17 किलोमीटर केचमेंट एरिया के वजह से दिक्कत आ गई. इसमें जहां पर व्यक्ति का मालिकाना हक दिखाया गया है.

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Published : Mar 6, 2019, 9:37 PM IST

वीरेंद्र सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोटा

कोटा. भारतमाला परियोजना के अधीन बनने वाले 12 लेन के दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर का मामला कोटा में आकर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. सेटलमेंट और सीएडी के भू - अभिलेख के रिकॉर्ड में कैचमेंट एरिया अलग-अलग जगह दर्शाया गया है. ऐसे में जमीन एक्वायर करने का काम अटक गया है. कोटा जिले में 105 किलोमीटर हाईवे बनना है. जिसमें से 17 किलोमीटर केचमेंट एरिया के वजह से दिक्कत आ गई. इसमें जहां पर व्यक्ति का मालिकाना हक दिखाया गया है. वह रेवेन्यू रिकॉर्ड से मिल नहीं पा रहा है. इस कारण भूमि अवाप्ति का काम बंद जैसा ही है. ऐसे में जब तक पूरी कोटा जिले की भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है. इस भारतमाला परियोजना में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाएगा.

वीरेंद्र सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोटा
जानकारी के अनुसार दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कोरिडोर कोटा जिले में बूंदी जिले के कापरेन के बाद चंबल नदी को क्रॉस करता हुआ दीगोद तहसील के कोटरापुरा गांव से प्रवेश करेगा. इसके बाद 105 किलोमीटर लंबा हाइवे कोटा जिले में गुजरेगा जो रामगंजमंडी तहसील के लसूडिया गांव में खत्म होगा.लेकिन इस हाईवे के निर्माण के बीच भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया में दीगोद तहसील के 12 गांव का केचमेंट एरिया में हैं, लेकिन इन 12 गांव का रिकॉर्ड सीएडी और सेटलमेंट विभाग में अलग-अलग दर्ज है. ऐसे में उनकी जमाबंदी और खसरा नंबर मैच नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया अटक गई है. अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए प्रशासन को पत्र लिखा है.इन गांव में है समस्यादीगोद क्षेत्र के केचमेंट एरिया से प्रभावित 12 गांवों में मोराना, झाड़ गांव, झोपड़ियां, खेड़ली तंवरान, नीमली, सुल्तानपुर जालिमपुरा, तोरण, कचोलिया, मेहंदी, कंवरपुरा व देवपुरा की 191 हेक्टेयर जमीन है. जिसकी अब अवाप्ति में दिक्कत आ रही है. इन गांवों मेंभूमि अवाप्त होने पर 17.35 किलोमीटर लंबी सड़क बनेगी.राज्यसरकार के स्तर पर ही होगा समाधानकोटा जिले की भू-प्रबंधन अधिकारी भावना राघव गुर्जर का कहना है कि उन तक यह मुद्दा नहीं आया है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी जब उन्हें इस बात से अवगत कराएंगे तो समस्या का समाधान निकाला जाएगा. सीएडी और सेटलमेंट के रिकॉर्ड में अंतर है, ऐसे में राज्य सरकार स्तर पर इसका समाधान होगा.
भावना राघव गुर्जर, भू प्रबंधन अधिकारी, कोटा

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कोटा वीरेंद्र सिंह का कहना है कि कोटा जिले में 64 गांव की भूमि अवाप्ति का काम चल रहा है. रामगंजमंडी, कनवास और लाडपुरा में भूमि अवाप्ति का काम एडवांस स्टेज पर पहुंच गया है, लेकिन दीगोद तहसील के 12 गांव ऐसे हैं,जो केचमेंट एरिया के गांव है, जहां पर जमीन अवाप्ति में अड़ंगा लगा हुआ है. इसमें प्रगति नहीं हो पा रही है. केचमेंट एरिया के इन गांवों में जहां पर जमीन का मालिकाना हक दिखाया हुआ है. वह जमाबंदी रिकॉर्ड से अलग है. ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार के रेवेन्यू विभाग को अवगत कराया है.

कोटा. भारतमाला परियोजना के अधीन बनने वाले 12 लेन के दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर का मामला कोटा में आकर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. सेटलमेंट और सीएडी के भू - अभिलेख के रिकॉर्ड में कैचमेंट एरिया अलग-अलग जगह दर्शाया गया है. ऐसे में जमीन एक्वायर करने का काम अटक गया है. कोटा जिले में 105 किलोमीटर हाईवे बनना है. जिसमें से 17 किलोमीटर केचमेंट एरिया के वजह से दिक्कत आ गई. इसमें जहां पर व्यक्ति का मालिकाना हक दिखाया गया है. वह रेवेन्यू रिकॉर्ड से मिल नहीं पा रहा है. इस कारण भूमि अवाप्ति का काम बंद जैसा ही है. ऐसे में जब तक पूरी कोटा जिले की भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है. इस भारतमाला परियोजना में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाएगा.

वीरेंद्र सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोटा
जानकारी के अनुसार दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कोरिडोर कोटा जिले में बूंदी जिले के कापरेन के बाद चंबल नदी को क्रॉस करता हुआ दीगोद तहसील के कोटरापुरा गांव से प्रवेश करेगा. इसके बाद 105 किलोमीटर लंबा हाइवे कोटा जिले में गुजरेगा जो रामगंजमंडी तहसील के लसूडिया गांव में खत्म होगा.लेकिन इस हाईवे के निर्माण के बीच भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया में दीगोद तहसील के 12 गांव का केचमेंट एरिया में हैं, लेकिन इन 12 गांव का रिकॉर्ड सीएडी और सेटलमेंट विभाग में अलग-अलग दर्ज है. ऐसे में उनकी जमाबंदी और खसरा नंबर मैच नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया अटक गई है. अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए प्रशासन को पत्र लिखा है.इन गांव में है समस्यादीगोद क्षेत्र के केचमेंट एरिया से प्रभावित 12 गांवों में मोराना, झाड़ गांव, झोपड़ियां, खेड़ली तंवरान, नीमली, सुल्तानपुर जालिमपुरा, तोरण, कचोलिया, मेहंदी, कंवरपुरा व देवपुरा की 191 हेक्टेयर जमीन है. जिसकी अब अवाप्ति में दिक्कत आ रही है. इन गांवों मेंभूमि अवाप्त होने पर 17.35 किलोमीटर लंबी सड़क बनेगी.राज्यसरकार के स्तर पर ही होगा समाधानकोटा जिले की भू-प्रबंधन अधिकारी भावना राघव गुर्जर का कहना है कि उन तक यह मुद्दा नहीं आया है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी जब उन्हें इस बात से अवगत कराएंगे तो समस्या का समाधान निकाला जाएगा. सीएडी और सेटलमेंट के रिकॉर्ड में अंतर है, ऐसे में राज्य सरकार स्तर पर इसका समाधान होगा.
भावना राघव गुर्जर, भू प्रबंधन अधिकारी, कोटा

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कोटा वीरेंद्र सिंह का कहना है कि कोटा जिले में 64 गांव की भूमि अवाप्ति का काम चल रहा है. रामगंजमंडी, कनवास और लाडपुरा में भूमि अवाप्ति का काम एडवांस स्टेज पर पहुंच गया है, लेकिन दीगोद तहसील के 12 गांव ऐसे हैं,जो केचमेंट एरिया के गांव है, जहां पर जमीन अवाप्ति में अड़ंगा लगा हुआ है. इसमें प्रगति नहीं हो पा रही है. केचमेंट एरिया के इन गांवों में जहां पर जमीन का मालिकाना हक दिखाया हुआ है. वह जमाबंदी रिकॉर्ड से अलग है. ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार के रेवेन्यू विभाग को अवगत कराया है.

Intro:कोटा.
भारतमाला परियोजना के अधीन बनने वाले 12 लेन के दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे कॉरिडोर का मामला कोटा में आकर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. सेटलमेंट और सीएडी के भू अभिलेख के रिकॉर्ड में कैचमेंट एरिया अलग-अलग जगह दर्शाया गया है. ऐसे में जमीन एक्वायर करने का काम अटक गया है. कोटा जिले में 105 किलोमीटर हाईवे बनना है जिसमें से 17 किलोमीटर केचमेंट एरिया के वजह से दिक्कत आ गई. इसमें जहां पर व्यक्ति का मालिकाना हक दिखाया गया है. वह रेवेन्यू रिकॉर्ड से मिल नहीं पा रहा है. इस कारण भूमि अवाप्ति का काम बंद जैसा ही है. ऐसे में जब तक पूरी कोटा जिले की भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है. इस भारतमाला परियोजना में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाएगा.


Body:जानकारी के अनुसार दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कोरिडोर कोटा जिले में बूंदी जिले के कापरेन के बाद चंबल नदी को क्रॉस करता हुआ दीगोद तहसील के कोटरापुरा गांव से प्रवेश करेगा. इसके बाद 105 किलोमीटर लंबा हाइवे कोटा जिले में गुजरेगा जो रामगंजमंडी तहसील के लसूडिया गांव में खत्म होगा, लेकिन इस हाईवे के निर्माण के बीच भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया में दीगोद तहसील के 12 गांव का केचमेंट एरिया में है, लेकिन इन 12 गांव का रिकॉर्ड सीएडी और सेटलमेंट विभाग में अलग-अलग दर्ज है. ऐसे में उनकी जमाबंदी और खसरा नंबर मैच नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया अटक गई है. अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए प्रशासन को पत्र लिखा है.

इन गांव में है समस्या
दीगोद क्षेत्र के केचमेंट एरिया से प्रभावित 12 गांवों में मोराना, झाड़ गांव, झोपड़ियां, खेड़ली तंवरान, नीमली, सुल्तानपुर जालिमपुरा, तोरण, कचोलिया, मेहंदी, कंवरपुरा व देवपुरा की 191 हेक्टेयर जमीन है. जिसकी अब आपकी में दिक्कत आ रही है. इन गांवों में से जो भूमि अवाप्त होने पर 17.35 किलोमीटर लंबी सड़क बनेगी.

राज्यसरकार के स्तर पर ही होगा समाधान
कोटा जिले की भू प्रबंधन अधिकारी भावना राघव गुर्जर का कहना है कि उन तक यह मुद्दा नहीं आया है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी जब उन्हें इस बात से अवगत कराएंगे तो समस्या का समाधान निकाला जाएगा. सीएडी और सेटलमेंट के रिकॉर्ड में अंतर है, ऐसे में राज्य सरकार स्तर पर इसका समाधान होगा.


Conclusion:नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कोटा वीरेंद्र सिंह का कहना है कि कोटा जिले में 64 गांव की भूमि अवाप्ति का काम चल रहा है. रामगंजमंडी, कनवास व लाडपुरा में भूमि अवाप्ति का काम एडवांस स्टेज पर पहुंच गया है, लेकिन दीगोद तहसील के 12 गांव ऐसे हैं. जो केचमेंट एरिया के गांव है, जहां पर जमीन अवाप्ति में अड़ंगा लगा हुआ है. इसमें प्रगति नहीं हो पा रही है. केचमेंट एरिया के इन गांवों में जहां पर जमीन का मालिकाना हक दिखाया हुआ है. वह जमाबंदी रिकॉर्ड से अलग है. ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार के रेवेन्यू विभाग को अवगत कराया है.


बाइट-- वीरेंद्र सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोटा
बाइट-- भावना राघव गुर्जर, भू प्रबंधन अधिकारी, कोटा
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