कोटा. प्रदेश के यूडीएच मंत्री कोटा शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य, स्मार्ट सिटी और नगर विकास न्यास (Kota rotary flyover Project) के तहत करवा रहे हैं. कुन्हाड़ी चौराहे पर महाराणा प्रताप सर्किल के चक्कर लगाता हुआ 27 करोड़ रुपए से रोटरी फ्लाईओवर बनाया गया, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा है. इसके साथ ही चंबल की दोनों पुलिया को तोड़कर अंडरपास बनाया गया था. दावा किया गया था कि नाका चुंगी चौराहे की तरफ से बालिता आने जाने वाले वाहन यहां से गुजर सकेंगे, लेकिन उसका भी उपयोग नहीं हो रहा है.
इसलिए नहीं कर रहे उपयोग: कुन्हाड़ी चौराहे पर महाराणा प्रताप सर्किल पर बनाई रोटरी फ्लाईओवर काम का नहीं है. लोग इस पर चढ़ना भी पसंद नहीं कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह फ्लाईओवर जहां से शुरू हो रहा है, वहीं से एक पुराना रास्ता (जिसे वर्तमान में सर्विस लेन कहा जा सकता) शुरू होता है. साथ ही यह फ्लाईओवर जहां पर घूम कर खत्म हो रहा है, वहां से सर्विस लेन वाला रास्ता सीधा पहुंच रहा है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि जब 500 मीटर ज्यादा चलना पड़ेगा, तो फ्लाईओवर पर चढ़कर कौन अपना फ्यूल खर्च करेगा? लैंडमार्क निवासी कमल नागर का कहना है कि इस फ्लाईओवर को सीधा चंबल-बूंदी रोड से चंबल नदी की पुलिया पर मिला दिया जाता तब लोगों को फायदा भी होता.
बदल दी गई डिजाइन : जब फ्लाईओवर का निर्माण हो रहा था तब (Design of Kota rotary flyover) नगर विकास न्यास ने दावा किया था कि बूंदी व जयपुर की तरफ से आने वाले वाहन इस पर से गुजारे सकेंगे. इस फ्लाईओवर को सीधे चंबल नदी की पुलिया पर मिलाया जाएगा. इससे कुन्हाड़ी चौराहे पर किसी तरह का ट्रैफिक हर्डल नहीं रहेगा. चौराहे का ट्रैफिक का दबाव भी इससे कम हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब इस फ्लाईओवर पर चढ़ने के पहले सूचना प्रेषित की गई है कि यह नांता और सकतपुरा जाने वाले लोगों के लिए है. ऐसे भी अधिकांश लोग फ्लाईओवर के नीचे, सर्विस लेन जा रहे हैं.
फ्लाईओवर और अंडरपास से गुजर रहे इक्का-दुक्का लोग : कोटा में रोटरी फ्लाईओवर 27 करोड़ रुपए से तैयार किया गया है, जबकि 5 करोड़ रुपए से चंबल नदी के दोनों पुल के छोरों पर अंडर पास बनाए गए हैं. फ्लाईओवर और अंडरपास से 1 मिनट में महज एक या दो वाहन से निकलते हैं. जबकि जयपुर से कोटा की तरफ और बालिता से कुन्हाड़ी आने व जाने वाहन 1 मिनट में करीब 50 से 60 गुजर रहे हैं. महाराणा प्रताप सर्किल पर ही व्यवसाय करने वाले व्यापारी रमेश आहूजा का कहना है कि करोड़ों रुपए इस निर्माण में लगाए गए हैं. इसका कोई औचित्य नहीं रह गया. चौराहा संकरा हो गया है, इससे आम जनता को भी परेशानी हो रही है.
विधायक गुंजल ने लगाया था आरोप : पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल भी इस मामले में (Kota Rotary Flyover not in Proper Use) यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर आरोप लगाते हैं. उन्होंने कहा था कि मंत्री धारीवाल ने अपने पुत्र की संपत्ति को मेन रोड पर लाने के लिए ही कुन्हाड़ी चौराहे को यह बदलाव किया है. इसके लिए जिम्मेदार यूआईटी के अधिकारी और आर्किटेक्ट पर कार्रवाई होनी चाहिए. इस निर्माण में आम जनता का जो पैसा व्यर्थ गया है, उसकी रिकवरी भी इन्हीं लोगों से होनी चाहिए. भाजपा नेता बृजेश शर्मा नीटू का कहना है कि लोग सैकड़ों बार इस पुल पर जाकर उतर रहे हैं और देख समझने की कोशिश रहे हैं कि यह बना क्यों है. लोगों के समझ ही नहीं आ रहा है. इस पर तो रिसर्च होनी चाहिए कि पुल का क्या काम है?
पढ़ें. कोटा: फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाने पर व्यापारियों ने जताया रोष, UIT के खिलाफ किया प्रदर्शन
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के लिए मुसीबत बना : पूर्व विधायक का कहना है कि कुन्हाड़ी महाराणा प्रताप सर्किल (people not travelling on Kota rotary flyover) अब एक्सीडेंटल जोन जैसा भी बन गया है. उन्होंने पेट्रोल पंप के सामने से पुलिया के नीचे कट दिया गया है. यह सीधा जयपुर से कोटा की तरफ जा रहे मार्ग से मिला हुआ है. इसके अलावा बालिता की तरफ से कुन्हाड़ी जाने वाले कई वाहन भी रॉन्ग साइड जा रहे हैं. इसके चलते दुर्घटना का डर बना हुआ रहता है. कुन्हाड़ी से बालिता वाले वाहन भी चौराहे पर आ रहे हैं. इसके चलते कुन्हाड़ी सर्किल के नीचे जाम जैसे हालात बने रहते हैं. पुलिस कर्मियों के लिए यह मुसीबत भरा हो गया है. व्यापारी अतुल जैन का कहना है कि कई बार जेसीबी या अन्य बड़े वाहनों को लगाकर ट्रैफिक को डायवर्ट करने की भी कोशिश की गई, लेकिन लोग इस पर चढ़ते ही नहीं हैं.
निर्माण के पहले यूआईटी ने किया दावा और हकीकत :
दावा : जयपुर की तरफ से आने वाले वाहन जिनको कोटा में प्रवेश करना है, वह रेलवे ओवरब्रिज से उतरते ही रोटरी फ्लाईओवर पर चढ़ेंगे. यह फ्लाईओवर कुन्हाड़ी चौराहे पर जब पहुंचेगा, तब रोटरी की तरह टर्न होता हुआ चंबल नदी की तरफ आने वाली पुलिया के पहले खत्म हो जाएगा. यह फ्लाईओवर महाराणा प्रताप की प्रतिमा के चक्कर लगाते हुए रोटरी के साथ ही नीचे उतरेगा. इसके बाद वाहन चंबल नदी की नई पुलिया से कोटा शहर की तरफ जा सकेंगे.
हकीकत : पुराना रास्ता जिसे सर्विस लेन कहा जा सकता है, वह फ्लाईओवर के साथ ही शुरू होता है और रोटरी फ्लाईओवर खत्म होने पर उसमें जाकर मिल रहा है. इस कारण जयपुर से आने वाले वाहन फ्लाईओवर पर नहीं चल रहे.
दावा : जयपुर की तरफ से आने वाले वाहन जो कि बालिता की तरफ जाते हैं, उन्हें रेलवे और ब्रिज उतरने के बाद किसी भी फ्लाईओवर पर नहीं चढ़ना है. यह सीधा रास्ता स्लिप लेन से होता हुआ बालिता की तरफ चले जाएंगे.
हकीकत : यह लोग पुराने रास्ते का उपयोग कर रहे हैं. उनके लिए पहले भी मुफीद यही रास्ता था और अब भी.
दावा : जयपुर की तरफ से जो लोग आ रहे हैं और उन्हें कुन्हाड़ी की तरफ जाना है. ऐसे लोग पहले फ्लाईओवर पर चलेंगे और फ्लाईओवर के नीचे उतरते ही उन्हें रोटरी के रास्ते से कुन्हाड़ी की तरफ जाने का मार्ग मिलेगा.
हकीकत : यह लोग भी पुराने रास्ते का उपयोग ही कर रहे हैं. कोई भी व्यक्ति फ्लाईओवर पर नहीं चल रहा.
दावा : चंबल नदी के दोनों पुलिया के अंतिम छोर के पहले ही अंडरपास का निर्माण किया जा रहा है. इसके जरिए कुन्हाड़ी की तरफ से आने वाले वाहन सीधे बालिता की तरफ चले जाएंगे.
हकीकत : इन अंडरपास का उपयोग कोई नहीं कर रहा है. सभी वाहन महाराणा प्रताप सर्किल के पुराने चौराहे पर दिए गए कट से ही निकल रहे हैं.
दावा : कोटा शहर की तरफ से जयपुर जाने वाले लोगों के लिए महाराणा प्रताप प्रतिमा के चारों तरफ बनने वाली रोटरी के चक्कर लगाकर स्लिप लेन से निकल जाएंगे. यह लोग जैसे ही चंबल की पुलिया से उतरेंगे, तुरंत स्लिप लेन का उपयोग कर लेंगे.
हकीकत : यह लोग बताएं रास्ते से ही जा रहे हैं.
दावा : कुन्हाड़ी की तरफ से जो लोग बालिता की तरफ भी जाएंगे, उनके लिए रोटरी के साथ अभी जो वर्तमान में रास्ता चौराहे पर होकर गुजर रहा है, उसका उपयोग भी कर सकेंगे.
हकीकत : यही पुराना रास्ता था, जिसका उपयोग कर रहे हैं.
दावा : बालिता से कोटा शहर की तरफ आने वाले लोग जैसे ही महाराणा प्रताप चौराहे पर पहुंचेंगे, उन्हें कोटा जाने के लिए पुलिया के कोने से रास्ता दिया गया है. इसके अलावा अगर उन्हें कुन्हाड़ी जाना है, तो वे रोटरी के चक्कर लगाकर जा सकते हैं और साथ ही अंडरपास का उपयोग भी कर सकते हैं.
हकीकत : अंडर पास का उपयोग कोई भी नहीं कर रहा.
इस संबंध में जब यूडीएच के सेक्रेटरी राजेश जोशी और अन्य अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. वे इस मामले से बचते हुए नजर आए.