कोटा. शहर में पुलिसकर्मी को ही पुलिस द्वारा फंसाने का मामला सामने आया है. जिसमें बर्खास्त हेड कांस्टेबल रविन्द्र मलिक ने शहर पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक राजेश मेश्राम और गुमानपुरा थाना अधिकारी मनोज सिंह सिकरवार पर गंभीर आरोप लगाए है. जिसमें बर्खास्त हेड कांस्टेबल रविन्द्र मलिक ने शहर पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक राजेश मेश्राम और गुमानपुरा थाना अधिकारी मनोज सिंह सिकरवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रविन्द्र मलिक ने कहा कि 31 फरवरी को पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई कर सबूत जुटाए है, जो कैलेंडर में कहीं होता ही नहीं है और दिव्यांग जो मुंह से बोल नहीं सकता उसके बयान दर्ज किए गए हैं.
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जानकारी के अनुसार कोटा शहर पुलिस के हेड कांस्टेबल रविन्द्र मलिक पर उसके ही रिश्तेदार तेजवीर मलिक ने हनी ट्रैप में फंसाने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. साथ ही अपराधियों से सांठगांठ के आरोप भी मलिक पर लगे थे. हनी ट्रैप व धोखाधड़ी मामले में वह फरार चल रहा था. इसके बाद कोटा शहर एसपी दीपक भार्गव ने हेड कांस्टेबल रविंद्र मलिक को बर्खास्त कर दिया था.
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बर्खास्त हेड कांस्टेबल रविंद्र मालिक ने कोटा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी झूठे मामले में गलत तरीके से साजिश कर उसे फंसा रहे हैं. वहीं मलिक के साथ कांस्टेबल योगेश ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. रविन्द्र मलिक ने कहा कि मैं नार्को टेस्ट के लिए तैयार हूं, मेरे उपर लगाए सभी आरोप गलत हैं. अगर कोई भी आरोप साबित हो तो हर सजा के लिए तैयार हूं. साथ ही पुलिस के अधिकारियों का भी नार्को टेस्ट कराया जाए.
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बता दें कि रविंद्र मलिक ने दस्तावेज भी दिखाए जिनमें एक दस्तावेज के हिसाब से 31 फरवरी 2019 को पुलिस ने कारवाई की है, जबकि फरवरी महीने में कभी 31 तारीख होती ही नहीं है. वहीं एक दिव्यांग व्यक्ति जो मुंह से बोल नहीं सकता उसके भी बयान लिए गए हैं. साथ ही मलिक ने दावा किया है कि अगर जांच हो जाए तो पुलिस के कई अधिकारी इसमें दोषी साबित होंगे.