कोटा. शहर में नॉर्दन बाईपास का काम पूरा होने पर मेट्रो सिटीज की तर्ज पर कोटा में भी रिंग रोड बनाई जाएगी. इसमें एक तरफ नेशनल हाईवे 27 और 52 को जोड़ने वाला फोरलेन का कोटा बाईपास बना हुआ है. जबकि दूसरी तरफ नॉर्दन बाईपास का सपना कई सालों पहले यहां के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने देखा था, लेकिन उसका काम अभी भी अटका हुआ है.
प्रोजेक्ट डायरेक्टर और पीडब्ल्यूडी के एनएच खंड के अधीक्षण अभियंता राजीव अग्रवाल का कहना है कि नॉर्दन बाईपास के फेज 1 का कुछ काम अटका हुआ है. बीते साल नॉर्दन बाईपास के फेज 2 के लिए 175 करोड़ का बजट केंद्र सरकार ने जारी किया था. हाल ही में 25 जनवरी को टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग के एनएच खंड ने निर्माण कंपनी राजाराम कंस्ट्रक्शन के साथ एग्रीमेंट भी किया है. इसमें 1 महीने में 90 फीसदी जमीन उपलब्ध करानी होगी. ऐसा नहीं होने पर निर्माण शुरू नहीं होगा.
पढ़ें. Special: राजस्थान के पहले रोटरी फ्लाईओवर पर चढ़ने से कतरा रहे लोग, दावे से उलट है हकीकत
अभी नॉर्दन बाईपास के भूमि अधिग्रहण का भुगतान महज 48 फीसदी हुआ है. इसमें भी आठ माह लग गए. ऐसे में 1 महीने में सभी लोगों का मुआवजे का भुगतान करना मुश्किल साबित हो रहा है. ऐसे में डर है कि जिस तरह पहले फेज का काम 5 साल से अटका हुआ है, वैसे ही दूसरे फेज का काम भी न अटक जाए. हाल ही में मुआवजा राशि जारी करने की एवज में एक दलाल को एसीबी बूंदी की टीम ने एक लाख रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है.
![Kota Northern Bypass Phase 2](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/kotanorthernbypass_28012023194005_2801f_1674915005_784.jpg)
धीमा चल रहा है भू अवाप्ति का काम : प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव अग्रवाल ने बताया कि नॉर्दन बायपास के फेज 2 की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने पीडब्ल्यूडी के एनएच खंड को सौंपी है. उन्होंने बताया कि भू अवाप्ति काफी धीमी गति से चल रहा है. बीते 8 महीने से यह कार्य चल रहा है, लेकिन अभी केवल 48 फीसदी ही काम हो पाया है. बूंदी के एडीएम सीलिंग को इसके लिए अस्थायी स्टाफ और वाहन उपलब्ध करवा दिया है. साथ ही ऑफिस चलाने के लिए उन्हें राशि जारी की जा रही है. इसके बावजूद भी काम में गति नहीं आ रही है.
इस तरह से बन रहा है नॉर्दन बायपास : नॉर्दन बाईपास दो टुकड़ों में बनकर तैयार होना था. इसमें फेज 1 में 14.4 किलोमीटर की सड़क नेशनल हाईवे 27 के झालीपुरा से गामछ तक बनी थी. इसमें चंबल नदी का एक ब्रिज भी रंगपुर के नजदीक बना है. दूसरे फेज में गामछ से लेकर बल्लोप तक 12.91 किलोमीटर की सड़क बननी है. इसका काम सार्वजनिक निर्माण विभाग के एनएच खंड को सौंपा गया है. यह पूरा निर्माण कार्य 10 मीटर चौड़ी डामर की दो लेन सड़क का है. इसमें 7.5 मीटर का डामर और दोनों तरफ 1.25 मीटर का पेव्ड शोल्डर है.
![Kota Northern Bypass Phase 2](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/kotanorthernbypass_28012023194005_2801f_1674915005_1051.jpg)
पढ़ें. कोटा बनेगा पर्यटन सिटी: किशोर सागर तालाब में बोट विद रेस्टोरेंट्स, चंबल नदी में चलेगा क्रूज
टेंडर स्वीकृति के लिए भेजेंगे : फेज 1 का काम साल 2014 में शुरू हुआ था, लेकिन 2018 में काम अटक गया. यूआईटी के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र राठौर ने बताया कि बचे हुए कार्य की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है और वर्क आर्डर जारी करने की स्वीकृति के लिए मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड ट्रांसपोर्ट के जयपुर दफ्तर भेजा जाएगा. किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जा रहा है. झालीपुरा की तरफ 800 मीटर के टुकड़े पर सड़क बननी है. रेलवे ओवर ब्रिज का काम भी बाकी है.
कैंप मोड पर बांटने की बात कह रहे अधिकारी : नॉर्दन बाईपास के फेस 2 का काम बूंदी जिले के पास है. वहां के कार्यवाहक एडीएम सीलिंग मुकेश चौधरी का कहना है कि 78.38 करोड़ का 48 फीसदी यानी 37.57 करोड़ मुआवजा दिया जा चुका है. इसमें सबसे बड़ी समस्या ये बताना है कि किसान का कितना रकबा गया. साथ ही कई लोगों के वारिसान की रिपोर्ट बाकी है. इसके लिए तहसीलदार को रिपोर्ट भिजवाने के लिए कहा है. रिपोर्ट आते ही किसानों को तुरंत भुगतान किया जाएगा. ठेकेदार को काम शुरू करना है. ऐसे में भुगतान में भी तेजी लाएंगे और कैंप मोड पर मुआवजे दिए जाएंगे. पहले फेज का काम नगर विकास न्यास के पास था.
अधिकारी संजय नामदेव का कहना है कि मुआवजा सालों पुराना है. हाल ही में आर्बिट्रेटर के फैसले के बाद बढ़ा हुआ मुआवजा किसानों को दिया जा रहा है. इसमें अधिकांश को मुआवजा मिल चुका है. कुछ किसानों को समस्या आ रही है. करीब 30 करोड़ का मुआवजा दिया जाना था. इसमें से दो से चार करोड़ का ही मुआवजा दिया जाना शेष है.
पढ़ें. Special : राजस्थान का पहला शहर जहां नहीं होगी सड़क पर बसों की पार्किंग, जानें वजह
यह होंगे फायदे :
1. सभी तरफ से आने वाले रास्ते जुड़ेंगे : नॉर्दन बाईपास बन जाने के बाद कोटा में आने वाले सभी मार्ग आपस में बाहरी रूप से कनेक्ट हो जाएंगे. इसमें बूंदी, केशोरायपाटन, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, कैथून, बारां और रावतभाटा जाने वाले मार्ग पर जुड़ जाएंगे. ऐसे में दूसरे शहर जाने वाले वाहनों को कोटा शहर में प्रवेश से मुक्ति मिलेगी.
2. समय, दूरी और टोल की बचत : बारां की तरफ से जयपुर जाने वाले वाहनों को इस नॉर्दन बाईपास के बन जाने से सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा. उन्हें वर्तमान में या तो कोटा शहर का भारी यातायात के बीच निकलना पड़ता है या फिर हैंगिंग ब्रिज क्रॉस करके जाना पड़ता है. उन्हें यहां पर टोल भी चुकाना पड़ता है. दूसरी तरफ उन्हें 18 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. झालीपुरा के पास जिस जगह से नॉर्दन बाईपास की शुरुआत हो रही है, वहां पर हैंगिंग ब्रिज होकर जयपुर रोड पर बल्लोप की दूरी 45 किलोमीटर है. जबकि नॉर्दन बाईपास के जरिए गामछ होकर बल्लोप की दूरी 27 किलोमीटर है. ऐसे में इन सभी लोगों को 18 किलोमीटर कम गुजरना होगा. हालांकि टोल बनेगा, लेकिन केवल दो लेन सड़क होने के चलते लोगों को कम टोल चुकाना होगा. इसमें समय की बचत भी होगी.