कोटा. शुक्रवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक पूरे सवा साल बाद हुई. जो पूरे दिन हंगामें में ही गुजर गया. पार्षदों ने अपने काम करवाने के बजाय मान मनुहार और अधिकारियों पर आरोप-प्रत्यारोप में ही निकाल दिया. पार्षदों इसी बात पर हंगामा करते रहें कि यह अधिकारी हमारा फोन नहीं उठाता, फाइलों पर साइन नहीं होते. इन्हीं हंगामे के बीच घंटों बीत गए.
इसी बीच नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका एक पार्क में मिट्टी जाने के मामले की जानकारी सदन को बताई तो इस बात को लेकर काफी हंगामा हो गया. उद्यान समिति के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष आपस में उलझ गए. उन्हें उपमहापौर और पार्षदों ने बीच बचाव कर शांत कराया. वहीं नगर निगम में रोड लाइटों को लेकर भी खासा हंगामा हुआ.
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पार्षद नरेंद्र हाड़ा ने बिजली कंपनी ई ई एस एल कंपनी के प्रोजेक्ट इंजीनियर की बदतमीजी और फोन नहीं उठाने पर सदन में सवाल उठाया. पार्षद नरेंद्र सिंह हाडा ने दिल्ली कंपनी के प्रतिनिधि को सदन में सरेआम माफी मांगने की बात कही. उसके बाद जब प्रतिनिधि अपनी सफाई सदन में पेश करने लगे तो पार्षद हाड़ा उसे लेकर महापौर के पास पहुंचे. जहां पर निगम उपायुक्त ने बीच-बचाव कर विद्युत कंपनी के प्रतिनिधि को बचाया. जिसके बाद बिजली प्रतिनिधि ने सदन में सब से माफी मांगी और कहा की आगे इस तरह की कोई गलती नहीं होगी.
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बोर्ड बैठक में सभी पार्षदों ने आरोप लगाते हुए बताया कि अभी तक पिछले साल की बोर्ड बैठक की प्रोसीडिंग भी नहीं आई है. बिना एजेंटों के बोर्ड बैठक में हंगामा ही होता रहा. वहीं उसके बाद गौशाला अवैध निर्माण जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई. साथ ही शहर में सूअरों एवं आवारा मवेशी और नंदी गायों को पकड़ने के लिए भी सदन में चर्चा हुई.