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हाड़ौती में बाढ़ का खतरा, चंबल के बाद अब कालीसिंध ने मचाया कहर, बचाव की 30 टीम कर रही रेस्क्यू

कोटा जिले में भारी बारिश के कारण चंबल नदी उफान पर है. जिससे प्रदेश के सबसे लंबे ब्रिज गैंता माखीदा के दो स्पान में गैप बढ़ गया है. चंबल नदी के लो लाइन एरिया के पास की कॉलोनियां में पानी घुस गया है. सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी कोटा संभाग के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया है.

Heavy rain in kota
चंबल नदी
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Published : Aug 24, 2022, 11:29 AM IST

Updated : Aug 24, 2022, 2:14 PM IST

कोटा. चंबल नदी के उफान पर होने के चलते प्रदेश के सबसे लंबे ब्रिज के दो स्पान में गेप बढ़ (Heavy rain in kota) गया है. चंबल नदी से भी करीब पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. चंबल के लो लाइन की करीब दो दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां जलमग्न हो गई हैं. जिनमें करीब 10 हजार की आबादी प्रभावित है. ये कॉलोनियां लगातार तीसरे दिन भी पानी की जद में ही बने हुए हैं. इसी तरह से बारां जिले के सीसवाली कस्बे और पलायथा गांव के साथ कोटा जिले के इटावा में भी बाढ़ जैसे हालात बने (Flood Situation in Hadoti) हुए हैं. वहीं जिससे मध्य प्रदेश और झालावाड़ और बारां जिले में भी लगातार हो रही बारिश (Heavy rain in kota) के चलते नदियां उफान पर हैं.

सार्वजनिक निर्माण विभाग बूंदी के अधीक्षण अभियंता वीके जैन का कहना है कि स्पान की रबर गास्केट निकल गई है. ऐसे में इस रास्ते को दोबारा चालू करने के पहले पूरी तरह निरीक्षण करवाया जाएगा. भारी बारिश का खतरा कोटा जिले में बना हुआ है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 में भी भीषण पानी जब छोड़ा गया था, तब इसी तरह से 4 स्पान में गैप आ गया. यह अपने आप ही दुरुस्त हो गए. उनका कहना है कि पुलिया बेयरिंग्स पर बनी हुई है. ऐसे में नीचे पिलर में पानी का बहाव होने के चलते कंपन होता है. जिससे यह स्पान एक तरफ खिसक जाते हैं. जब वापस यातायात चलता है, तो अपनी जगह पर सेट हो जाते हैं.

हाड़ौती में बाढ़ का खतरा

उन्होंने बताया कि हमारे अधिकारी गैंता माखीदा पुलिया तक नहीं पहुंच पाएं हैं. वहां पहुंचने के सभी अप्रोच रोड बारिश के चलते बंद (Heavy rain in kota) हो गए हैं. ऐसे में वहां पर नहीं जा पा रहे हैं. लाखेरी के अधिशासी अभियंता भी मेज नदी के पापड़ी ब्रिज पर पानी होने के चलते नहीं पहुंच पा रहे हैं. कोटा जिले के इटावा के अधिशासी अभियंता मुकेश मीणा को ब्रिज के निरीक्षण के लिए कहा है, लेकिन गैंता में करीब 3 फीट पानी है, जिससे वे भी नहीं पहुंच पा रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री ने किया हवाई सर्वे- सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी कोटा संभाग के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया है. उन्होंने बारां और झालावाड़ के एरिया में हेलीकॉप्टर से सर्वे किया है. राजे ने कहा कि दो दिन से चल रही भारी बारिश के कारण राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं. चंबल नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर आ गया है. राज्य सरकार को जल्द अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर राहत व बचाव कार्य तेज करना चाहिए. झालावाड़ जिले के अकलेरा क्षेत्र में जो 14 लोग जलभराव वाले क्षेत्रों में फंसे हुए थे, उन्हें सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है. वसुंधरा राजे ने लोगों के साथ खड़े रहने की बात कहते हुए लोगों से अपील की है कि इस बाढ़ की विषम परिस्थिति में घबराए नहीं. बाढ़ के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं. करीब आधा दर्जन स्थानों पर लोगों के रुकने की व्यवस्था और खाने-पीने का इंतजाम किए हैं. साथ ही प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.

पढ़ें: हाड़ौती की बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना उतरी मैदान में, हेलीकॉप्टर से किया रेस्क्यू

चंबल के बाद अब कालीसिंध ने मचाया कहर: मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के बाद कालीसिंध नदी बीते कई दिनों से उफान पर थी. साथ ही बारां और झालावाड़ जिले में भी भारी बारिश हुई है. इसके चलते नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है. परवन नदी भी कालीसिंध में मिल जाती है, तो ऐसे में इस नदी के उफान में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. झालावाड़ स्थित कालीसिंध बांध से भी छह लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है. इसके चलते नदी में करीब 10 लाख क्यूसेक से ज्यादा का फ्लो चल रहा है. जिससे बारां जिले के पलायथा गांव की निचली बस्तियों में पानी भर गया है.

Heavy rain in kota
सेना ने संभाला मोर्चा

इसके अलावा इस नदी के किनारे पर स्थित बारां जिले के सीसवाली कस्बे में भी हालात विकट हो गए हैं. वहां बाढ़ जैसे हालात बने हुए है. घरों में 5 से 7 फीट पानी प्रवेश कर गया है. किनारे के हालात ज्यादा खराब हैं. वहां पर पूरे मकान डूब गए हैं. लोग पूरी तरह से बाढ़ की जद में आ गए हैं. दूसरी तरफ इटावा कस्बे में भी इसी तरह के हालात हो गए हैं. कालीसिंध नदी से एक सहायक नदी सूखनी निकल पार्वती नदी में मिलती है. यह इटावा कस्बे में होकर गुजर रही है. ऐसे में इसका जलस्तर काफी बढ़ गया है. इटावा के बाजारों में भी नदी से 2 किलोमीटर दूर करीब 3 से 4 फीट पानी है. नदी के किनारे पर तो एक से दो मंजिल तक के मकान डूबे हुए हैं.

पढ़ें: कोटा में कई गांव बने टापू, खाने पीने का सामान बहा, बाढ़ राहत में जुटी 25 टीमें

पानी को तरस रहा कोटा शहर: चंबल नदी (Chambal river in spate) में कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते पीएचईडी ने अपने पंपों को नदी से बाहर निकाल लिया था. क्योंकि भारी पानी की निकासी के चलते उन्हें नुकसान होने की आशंका थी. इसके चलते ही कोटा शहर की जलापूर्ति प्रभावित हो गई है. कोटा के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर पिछले 3 दिनों से पानी नहीं पहुंच रहा है. ऐसे में लोग टैकरों से पानी की सप्लाई मंगवा रहे हैं. दूसरी तरफ पीने के पानी का भी संकट खड़ा हो गया है. इसको लेकर लोग पानी के कैंपर मंगवा रहे हैं. करीब 14 लाख की पूरी आबादी ही इससे प्रभावित है. कई लोग ऐसे हैं, जिनके घरों पर पीने का पानी भी मौजूद नहीं है. दूसरी तरफ कोटा शहर में चंबल नदी के किनारे किलो लाइन की कई कॉलोनियों में पानी भरा हुआ है. इन इलाकों की सप्लाई निजी बिजली कंपनी कोटा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने प्रशासन के निर्देश पर बंद कर दी है. ऐसे में इनसे जुड़ी हुई अन्य कॉलोनियों की बिजली सप्लाई एहतियातन बंद कर दी गई है. ताकि करंट का खतरा लोगों को नहीं हो. इसके चलते करीब 2 हजार घरों में बिजली नहीं पहुंच रही है.

इधर, चंबल में खतरे के खिलाड़ी बन रहे लोग: एक तरफ चंबल नदी का रौद्र रूप नजर आ रहा है. दूसरी तरफ कई लोग अपनी जान के साथ खेल कर खतरों के खिलाड़ी बन रहे हैं. सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग चंबल नदी के किनारों पर पहुंच रहे हैं और नदी में दूर से ही छलांग लगाकर डुबकी लगा रहे हैं. ऐसे में अगर चंबल नदी के बहाव में बह जाते हैं. तो इनकी जान भी जा सकती है. लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना यह लोग जा रहे हैं. प्रशासन भी काफी प्रयास कर रहा है. इसके बावजूद भी लोग रामपुरा, लाडपुरा, पाटनपोल, चश्मे की बावड़ी, घंटाघर इलाके से रिवर फ्रंट क्रॉस कर नदी पर पहुंच रहे हैं. इसी तरह से कुन्हाड़ी इलाके में भी सकतपुरा, कुन्हाड़ी, बालिता, नयापुरा में भी लोग इसी तरह अठखेलियां करते कई जगह नजर आ रहे हैं.

प्रभारी मंत्री आकर लेंगे जायज- कोटा जिले में बाढ़ और अतिवृष्टि से हालात बिगड़े हुए हैं. इटावा कस्बा आज पूरी तरह से बाढ़ प्रभावित होकर डूबा हुआ है. करीब दो दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ के मुहाने पर हैं. इनमें से कुछ गांव टापू बने हुए हैं. बड़ी संख्या में कच्चे पक्के मकानों की क्षति हुई है, जिनमें सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं. ऐसे में जिले के प्रभारी मंत्री परसादी लाल मीणा आज कोटा और गुरुवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेंगे. परसादी लाल मीणा दौसा से कोटा के लिए शाम 6:00 बजे रवाना होंगे यहां पर रात्रि 9:00 बजे आकर सर्किट हाउस में विश्राम करेंगे. वहीं, गुरुवार को सुबह बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेकर समीक्षा बैठक लेंगे.

कोटा. चंबल नदी के उफान पर होने के चलते प्रदेश के सबसे लंबे ब्रिज के दो स्पान में गेप बढ़ (Heavy rain in kota) गया है. चंबल नदी से भी करीब पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. चंबल के लो लाइन की करीब दो दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां जलमग्न हो गई हैं. जिनमें करीब 10 हजार की आबादी प्रभावित है. ये कॉलोनियां लगातार तीसरे दिन भी पानी की जद में ही बने हुए हैं. इसी तरह से बारां जिले के सीसवाली कस्बे और पलायथा गांव के साथ कोटा जिले के इटावा में भी बाढ़ जैसे हालात बने (Flood Situation in Hadoti) हुए हैं. वहीं जिससे मध्य प्रदेश और झालावाड़ और बारां जिले में भी लगातार हो रही बारिश (Heavy rain in kota) के चलते नदियां उफान पर हैं.

सार्वजनिक निर्माण विभाग बूंदी के अधीक्षण अभियंता वीके जैन का कहना है कि स्पान की रबर गास्केट निकल गई है. ऐसे में इस रास्ते को दोबारा चालू करने के पहले पूरी तरह निरीक्षण करवाया जाएगा. भारी बारिश का खतरा कोटा जिले में बना हुआ है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 में भी भीषण पानी जब छोड़ा गया था, तब इसी तरह से 4 स्पान में गैप आ गया. यह अपने आप ही दुरुस्त हो गए. उनका कहना है कि पुलिया बेयरिंग्स पर बनी हुई है. ऐसे में नीचे पिलर में पानी का बहाव होने के चलते कंपन होता है. जिससे यह स्पान एक तरफ खिसक जाते हैं. जब वापस यातायात चलता है, तो अपनी जगह पर सेट हो जाते हैं.

हाड़ौती में बाढ़ का खतरा

उन्होंने बताया कि हमारे अधिकारी गैंता माखीदा पुलिया तक नहीं पहुंच पाएं हैं. वहां पहुंचने के सभी अप्रोच रोड बारिश के चलते बंद (Heavy rain in kota) हो गए हैं. ऐसे में वहां पर नहीं जा पा रहे हैं. लाखेरी के अधिशासी अभियंता भी मेज नदी के पापड़ी ब्रिज पर पानी होने के चलते नहीं पहुंच पा रहे हैं. कोटा जिले के इटावा के अधिशासी अभियंता मुकेश मीणा को ब्रिज के निरीक्षण के लिए कहा है, लेकिन गैंता में करीब 3 फीट पानी है, जिससे वे भी नहीं पहुंच पा रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री ने किया हवाई सर्वे- सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी कोटा संभाग के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया है. उन्होंने बारां और झालावाड़ के एरिया में हेलीकॉप्टर से सर्वे किया है. राजे ने कहा कि दो दिन से चल रही भारी बारिश के कारण राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं. चंबल नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर आ गया है. राज्य सरकार को जल्द अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर राहत व बचाव कार्य तेज करना चाहिए. झालावाड़ जिले के अकलेरा क्षेत्र में जो 14 लोग जलभराव वाले क्षेत्रों में फंसे हुए थे, उन्हें सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है. वसुंधरा राजे ने लोगों के साथ खड़े रहने की बात कहते हुए लोगों से अपील की है कि इस बाढ़ की विषम परिस्थिति में घबराए नहीं. बाढ़ के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं. करीब आधा दर्जन स्थानों पर लोगों के रुकने की व्यवस्था और खाने-पीने का इंतजाम किए हैं. साथ ही प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.

पढ़ें: हाड़ौती की बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना उतरी मैदान में, हेलीकॉप्टर से किया रेस्क्यू

चंबल के बाद अब कालीसिंध ने मचाया कहर: मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के बाद कालीसिंध नदी बीते कई दिनों से उफान पर थी. साथ ही बारां और झालावाड़ जिले में भी भारी बारिश हुई है. इसके चलते नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है. परवन नदी भी कालीसिंध में मिल जाती है, तो ऐसे में इस नदी के उफान में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. झालावाड़ स्थित कालीसिंध बांध से भी छह लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है. इसके चलते नदी में करीब 10 लाख क्यूसेक से ज्यादा का फ्लो चल रहा है. जिससे बारां जिले के पलायथा गांव की निचली बस्तियों में पानी भर गया है.

Heavy rain in kota
सेना ने संभाला मोर्चा

इसके अलावा इस नदी के किनारे पर स्थित बारां जिले के सीसवाली कस्बे में भी हालात विकट हो गए हैं. वहां बाढ़ जैसे हालात बने हुए है. घरों में 5 से 7 फीट पानी प्रवेश कर गया है. किनारे के हालात ज्यादा खराब हैं. वहां पर पूरे मकान डूब गए हैं. लोग पूरी तरह से बाढ़ की जद में आ गए हैं. दूसरी तरफ इटावा कस्बे में भी इसी तरह के हालात हो गए हैं. कालीसिंध नदी से एक सहायक नदी सूखनी निकल पार्वती नदी में मिलती है. यह इटावा कस्बे में होकर गुजर रही है. ऐसे में इसका जलस्तर काफी बढ़ गया है. इटावा के बाजारों में भी नदी से 2 किलोमीटर दूर करीब 3 से 4 फीट पानी है. नदी के किनारे पर तो एक से दो मंजिल तक के मकान डूबे हुए हैं.

पढ़ें: कोटा में कई गांव बने टापू, खाने पीने का सामान बहा, बाढ़ राहत में जुटी 25 टीमें

पानी को तरस रहा कोटा शहर: चंबल नदी (Chambal river in spate) में कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते पीएचईडी ने अपने पंपों को नदी से बाहर निकाल लिया था. क्योंकि भारी पानी की निकासी के चलते उन्हें नुकसान होने की आशंका थी. इसके चलते ही कोटा शहर की जलापूर्ति प्रभावित हो गई है. कोटा के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर पिछले 3 दिनों से पानी नहीं पहुंच रहा है. ऐसे में लोग टैकरों से पानी की सप्लाई मंगवा रहे हैं. दूसरी तरफ पीने के पानी का भी संकट खड़ा हो गया है. इसको लेकर लोग पानी के कैंपर मंगवा रहे हैं. करीब 14 लाख की पूरी आबादी ही इससे प्रभावित है. कई लोग ऐसे हैं, जिनके घरों पर पीने का पानी भी मौजूद नहीं है. दूसरी तरफ कोटा शहर में चंबल नदी के किनारे किलो लाइन की कई कॉलोनियों में पानी भरा हुआ है. इन इलाकों की सप्लाई निजी बिजली कंपनी कोटा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने प्रशासन के निर्देश पर बंद कर दी है. ऐसे में इनसे जुड़ी हुई अन्य कॉलोनियों की बिजली सप्लाई एहतियातन बंद कर दी गई है. ताकि करंट का खतरा लोगों को नहीं हो. इसके चलते करीब 2 हजार घरों में बिजली नहीं पहुंच रही है.

इधर, चंबल में खतरे के खिलाड़ी बन रहे लोग: एक तरफ चंबल नदी का रौद्र रूप नजर आ रहा है. दूसरी तरफ कई लोग अपनी जान के साथ खेल कर खतरों के खिलाड़ी बन रहे हैं. सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग चंबल नदी के किनारों पर पहुंच रहे हैं और नदी में दूर से ही छलांग लगाकर डुबकी लगा रहे हैं. ऐसे में अगर चंबल नदी के बहाव में बह जाते हैं. तो इनकी जान भी जा सकती है. लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना यह लोग जा रहे हैं. प्रशासन भी काफी प्रयास कर रहा है. इसके बावजूद भी लोग रामपुरा, लाडपुरा, पाटनपोल, चश्मे की बावड़ी, घंटाघर इलाके से रिवर फ्रंट क्रॉस कर नदी पर पहुंच रहे हैं. इसी तरह से कुन्हाड़ी इलाके में भी सकतपुरा, कुन्हाड़ी, बालिता, नयापुरा में भी लोग इसी तरह अठखेलियां करते कई जगह नजर आ रहे हैं.

प्रभारी मंत्री आकर लेंगे जायज- कोटा जिले में बाढ़ और अतिवृष्टि से हालात बिगड़े हुए हैं. इटावा कस्बा आज पूरी तरह से बाढ़ प्रभावित होकर डूबा हुआ है. करीब दो दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ के मुहाने पर हैं. इनमें से कुछ गांव टापू बने हुए हैं. बड़ी संख्या में कच्चे पक्के मकानों की क्षति हुई है, जिनमें सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं. ऐसे में जिले के प्रभारी मंत्री परसादी लाल मीणा आज कोटा और गुरुवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेंगे. परसादी लाल मीणा दौसा से कोटा के लिए शाम 6:00 बजे रवाना होंगे यहां पर रात्रि 9:00 बजे आकर सर्किट हाउस में विश्राम करेंगे. वहीं, गुरुवार को सुबह बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेकर समीक्षा बैठक लेंगे.

Last Updated : Aug 24, 2022, 2:14 PM IST
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