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SPECIAL: हैंगिंग ब्रिज टोल से 6 साल में निर्माण लागत का 90 फीसदी वसूली

नेशनल हाईवे 27 के कोटा बाईपास पर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में हुआ था. इसके साथ ही यहां पर टोल की वसूली भी शुरू हो गई थी. आंकड़ों के अनुसार अब तक यहां निर्माण लागत का 90 फीसदी से ज्यादा की टोल को रूप में वसूला जा चुका है.

Hanging bridge Kota
कोटा हैंगिंग ब्रिज
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Published : Jul 25, 2023, 1:06 PM IST

6 साल में निर्माण लागत का 90 फीसदी वसूल

कोटा. शहर के बाहरी सीमा से गुजर रहे नेशनल हाईवे 27 के कोटा बाईपास पर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में हुआ था. उसी समय से इस पर से गुजरने वाले वाहनों से टोल की वसूली भी शुरू हो गई थी. यहां पर बीते 6 साल से टोल वसूली जा रही है. आंकड़ों के अनुसार निर्माण लागत का 90 फीसदी से ज्यादा की टोल वसूली हो गई है. हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में पूरा हुआ था. उसके निर्माण लागत 214 करोड़ के आसपास थी. जबकि टोल की वसूली भी साल 2017 से ही हो रही है. अब तक करीब टोल से 195 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है.

केबल स्टैड ब्रिज से अब तक की टोल वसूली
केबल स्टैड ब्रिज से अब तक की टोल वसूली

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट कोटा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और जनरल मैनेजर जगदीश गुप्ता का कहना है कि कोटा केबल स्टैड ब्रिज यानी हैंगिंग ब्रिज के साथ कोटा बाईपास का भी निर्माण किया गया था. ऐसे में कोटा बाईपास का टोल भी इसी में वसूला जाता है. साथ ही उनका कहना है कि टोल वसूली का निर्णय मंत्रालय स्तर पर ही तय होता है. एनएचएआई के निर्माण की लागत टोल से ही निकलती है. निर्माण पूरी होने के बाद बाद ही टोल की वसूली शुरू होती है. जबकि निर्माण में लगी राशि का व्यय एनएचएआई पहले कर चुका होता है. इसका ब्याज भी एनएचआई को देना होता है.

रोज गुजरते है इतने वाहन
रोज गुजरते है इतने वाहन

कोटा आरटीओ में रजिस्टर्ड निजी वाहन है फ्री : कोटा शहर की सीमा से ही यह हैंगिंग ब्रिज लगा हुआ है. इस हैंगिंग ब्रिज के दूसरे छोर पर कोटा शहर बसा हुआ है. ऐसे में नेशनल हाइवे से होकर कई वाहन कोटा शहर के एक छोर से दूसरे छोर पर जाते हैं. इसके चलते ही स्थानीय नागरिकों से इस हैंगिंग ब्रिज पर टोल की वसूली का विरोध हुआ था. उसके बाद लोकसभा स्पीकर और कोटा सांसद ओम बिरला ने एनएचएआई के अधिकारियों से बातचीत कर कोटा के नागरिकों को राहत दिलाई थी. उसके बाद से कोटा आरटीओ में रजिस्टर्ड निजी वाहन स्वामियों से हैंगिंग ब्रिज टोल नाके पर टोल की वसूली नहीं होती है.

हैंगिंग ब्रिज से जुड़े फैक्ट
हैंगिंग ब्रिज से जुड़े फैक्ट

पढ़ें राष्ट्रीय राजमार्ग व एक्सप्रेस वे पर चलना होगा महंगा, एक अप्रेल से बढ़ेगा टोल

टोल कर रहे सुरक्षा का काम : एनएचएआई के जीएम जगदीश गुप्ता का कहना है कि हैंगिंग ब्रिज पर टोल प्लाजा की सख्त जरूरत है. इसी के लिए यहां चढ़ने के पहले ही वाहनों से टोल लिया जा रहा है. यह टोल प्लाजा हैंगिंग ब्रिज की सुरक्षा का काम भी कर रहा है. हैंगिंग ब्रिज एक तरह से केबल स्टैड ब्रिज है. ऐसे में यहां से ज्यादा भारी वाहन के गुजरने से ब्रिज को नुकसान भी हो सकता है. इसलिए इस ब्रिज पर चढ़ने के पहले टोल लिया जा रहा है. ताकि वाहनों का वजन भी वहां पर लगे "वे इन मोशन" लिया जा सके. ऐसा होने से भारी वाहनों को ब्रिज से गुजरने नहीं दिया जाता है. कोटा की तरफ से चित्तौड़गढ़ की तरफ जाने रहे वाहनों के लिए नया गांव में टोल प्लाजा है. जबकि इसके विपरीत रूट वाले वाहनों के लिए सकतपुरा में टोल प्लाजा बना है.

यह है यहां से निकल रहे वाहनों का टोल
यह है यहां से निकल रहे वाहनों का टोल

दो हाईवे के वाहन गुजरते हैं यहां से : हैंगिंग ब्रिज ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर में पोरबंदर से सिलचर नेशनल हाईवे 27 पर कोटा शहर की सीमा अर्थात चंबल नदी पर बना है. इसी के साथ कोटा बाईपास भी जुड़ा हुआ है. यह बारां रोड से चित्तौड़गढ़ रोड तक है. दूसरी तरफ इसी हैंगिंग ब्रिज पर से नेशनल हाईवे 52 होकर गुजर रहा है. जो पंजाब के संगरूर से कर्नाटक के अंकोला तक जाता है. ऐसे में बूंदी जिले की सीमा से कोटा में प्रवेश करने के पहले इस बाईपास से होता शंभूपुरा में एनएच 27 से मिलता है. इसके बाद हैंगिंग ब्रिज से होता हुआ कोटा के अनंतपुरा एरिया में वापस झालावाड़ रोड की तरफ अलग हो जाता है. इसी के चलते एनएच 27 और 52 दोनों का ट्रैफिक इस हाईवे से होकर गुजरता है.

6 साल में निर्माण लागत का 90 फीसदी वसूल

कोटा. शहर के बाहरी सीमा से गुजर रहे नेशनल हाईवे 27 के कोटा बाईपास पर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में हुआ था. उसी समय से इस पर से गुजरने वाले वाहनों से टोल की वसूली भी शुरू हो गई थी. यहां पर बीते 6 साल से टोल वसूली जा रही है. आंकड़ों के अनुसार निर्माण लागत का 90 फीसदी से ज्यादा की टोल वसूली हो गई है. हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में पूरा हुआ था. उसके निर्माण लागत 214 करोड़ के आसपास थी. जबकि टोल की वसूली भी साल 2017 से ही हो रही है. अब तक करीब टोल से 195 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है.

केबल स्टैड ब्रिज से अब तक की टोल वसूली
केबल स्टैड ब्रिज से अब तक की टोल वसूली

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट कोटा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और जनरल मैनेजर जगदीश गुप्ता का कहना है कि कोटा केबल स्टैड ब्रिज यानी हैंगिंग ब्रिज के साथ कोटा बाईपास का भी निर्माण किया गया था. ऐसे में कोटा बाईपास का टोल भी इसी में वसूला जाता है. साथ ही उनका कहना है कि टोल वसूली का निर्णय मंत्रालय स्तर पर ही तय होता है. एनएचएआई के निर्माण की लागत टोल से ही निकलती है. निर्माण पूरी होने के बाद बाद ही टोल की वसूली शुरू होती है. जबकि निर्माण में लगी राशि का व्यय एनएचएआई पहले कर चुका होता है. इसका ब्याज भी एनएचआई को देना होता है.

रोज गुजरते है इतने वाहन
रोज गुजरते है इतने वाहन

कोटा आरटीओ में रजिस्टर्ड निजी वाहन है फ्री : कोटा शहर की सीमा से ही यह हैंगिंग ब्रिज लगा हुआ है. इस हैंगिंग ब्रिज के दूसरे छोर पर कोटा शहर बसा हुआ है. ऐसे में नेशनल हाइवे से होकर कई वाहन कोटा शहर के एक छोर से दूसरे छोर पर जाते हैं. इसके चलते ही स्थानीय नागरिकों से इस हैंगिंग ब्रिज पर टोल की वसूली का विरोध हुआ था. उसके बाद लोकसभा स्पीकर और कोटा सांसद ओम बिरला ने एनएचएआई के अधिकारियों से बातचीत कर कोटा के नागरिकों को राहत दिलाई थी. उसके बाद से कोटा आरटीओ में रजिस्टर्ड निजी वाहन स्वामियों से हैंगिंग ब्रिज टोल नाके पर टोल की वसूली नहीं होती है.

हैंगिंग ब्रिज से जुड़े फैक्ट
हैंगिंग ब्रिज से जुड़े फैक्ट

पढ़ें राष्ट्रीय राजमार्ग व एक्सप्रेस वे पर चलना होगा महंगा, एक अप्रेल से बढ़ेगा टोल

टोल कर रहे सुरक्षा का काम : एनएचएआई के जीएम जगदीश गुप्ता का कहना है कि हैंगिंग ब्रिज पर टोल प्लाजा की सख्त जरूरत है. इसी के लिए यहां चढ़ने के पहले ही वाहनों से टोल लिया जा रहा है. यह टोल प्लाजा हैंगिंग ब्रिज की सुरक्षा का काम भी कर रहा है. हैंगिंग ब्रिज एक तरह से केबल स्टैड ब्रिज है. ऐसे में यहां से ज्यादा भारी वाहन के गुजरने से ब्रिज को नुकसान भी हो सकता है. इसलिए इस ब्रिज पर चढ़ने के पहले टोल लिया जा रहा है. ताकि वाहनों का वजन भी वहां पर लगे "वे इन मोशन" लिया जा सके. ऐसा होने से भारी वाहनों को ब्रिज से गुजरने नहीं दिया जाता है. कोटा की तरफ से चित्तौड़गढ़ की तरफ जाने रहे वाहनों के लिए नया गांव में टोल प्लाजा है. जबकि इसके विपरीत रूट वाले वाहनों के लिए सकतपुरा में टोल प्लाजा बना है.

यह है यहां से निकल रहे वाहनों का टोल
यह है यहां से निकल रहे वाहनों का टोल

दो हाईवे के वाहन गुजरते हैं यहां से : हैंगिंग ब्रिज ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर में पोरबंदर से सिलचर नेशनल हाईवे 27 पर कोटा शहर की सीमा अर्थात चंबल नदी पर बना है. इसी के साथ कोटा बाईपास भी जुड़ा हुआ है. यह बारां रोड से चित्तौड़गढ़ रोड तक है. दूसरी तरफ इसी हैंगिंग ब्रिज पर से नेशनल हाईवे 52 होकर गुजर रहा है. जो पंजाब के संगरूर से कर्नाटक के अंकोला तक जाता है. ऐसे में बूंदी जिले की सीमा से कोटा में प्रवेश करने के पहले इस बाईपास से होता शंभूपुरा में एनएच 27 से मिलता है. इसके बाद हैंगिंग ब्रिज से होता हुआ कोटा के अनंतपुरा एरिया में वापस झालावाड़ रोड की तरफ अलग हो जाता है. इसी के चलते एनएच 27 और 52 दोनों का ट्रैफिक इस हाईवे से होकर गुजरता है.

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