कोटा (सांगोद). बारिश का दौर थमने के बाद इन दिनों खेतों में किसानों की हलचल बढऩे लगी है. किसानों ने खेतों में अतिवृष्टि के बाद बची फसलों को घर लाने की तैयारी शुरु कर खेतों में उड़द और सोयाबीन की कटाई और उसे तैयार करवाने में जुट गए हैं.
इस दौरान जिन किसानों को थोड़ी बहुत उत्पादन की उम्मीद है वो कम्बाइंड मशीनों से फसल तैयार करवा रहे हैं. इस बार उम्मीद के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से किसान खासे निराश हैं. हालत यह है कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल आधा उत्पादन भी नहीं निकल पाया है.किसानों के अनुसार पूर्व में खेतों में प्रति बीघा 3 से 4 बोरी सोयाबीन का औसत उत्पादन होता था लेकिन इस बार अधिकांश खेतों में प्रति बीघा एक से डेढ़ बोरी उत्पादन हो रहा है. किसान बिन्टेश शर्मा ने बताया कि खेत में 10 बीघे में सोयाबीन ओर 6 बीघे में उड़द की फसल बोई थी पर अत्यधित बारिश से फसल नष्ट हो गई. उन्होंने बताया कि इस बार मात्र 10 बीघा खेत में सिर्फ सवा बोरी ही सोयाबीन निकल पाई है.
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किसानों ने बताया कि उड़द की फसल तो इस सीजन पूरी तरह से नष्ट हो गई है. उन्होंने बताया कि इस फसल के लिए तीस हजार रुपये की लागत तो सिर्फ दवाई छिड़कने ओर कटाई में आई थी. बारिश के कारण फसल नष्ट हो जाने के से मजदूरों के पैसे तक नहीं निकल पा रहे हैं. आगे उन्होंने बताया कि खराब हुई फसलों की बीमा राशि भी नहीं मिल पाई है. वहीं, मुआवजे के लिए भी ऑनलाइन फार्म भी भर दिए गए पर अभी तक मुवावजा राशि नहीं मिली है.
इस संबंध में किसान नंद सिंह ने बताया कि मुनाफे में मैंने 10 हजार रुपये बीघा में खेत किया था, जिसमें सोयाबीन की फसल में पानी भरा होने के कारण फसल गल गई. नंद ने बताया कि एक हजार प्रति बीघा के हिसाब से मजदूरों ने फसल की कटाई की है. उन्होंने बताया कि मुनाफे की रकम के अलावा भी पचास हजार अतिरिक्त भार पड़ा है.