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भारी बारिश से किसानों की फसलें हुई खराब... नहीं मिला मुआवजा - कोटा न्यूज

भारी बारिश के कारण किसानों की सोयाबीन और उड़द की फसलों का नुकसान होने से किसान परेशान नजर आए. उन्होंने बताया कि बारिश से फसलों को तैयार करने में लगाई गई रकम की भी भरपाई नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि इस बार सोयाबीन के 10 बीघा खेत से मात्र सवा बोरी ही सोयाबीन निकल पाई है.

कोटा न्यूज, kota news
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Published : Oct 22, 2019, 3:41 PM IST

कोटा (सांगोद). बारिश का दौर थमने के बाद इन दिनों खेतों में किसानों की हलचल बढऩे लगी है. किसानों ने खेतों में अतिवृष्टि के बाद बची फसलों को घर लाने की तैयारी शुरु कर खेतों में उड़द और सोयाबीन की कटाई और उसे तैयार करवाने में जुट गए हैं.

भारी बारिश से किसानों की फसलें हुई नष्ट

इस दौरान जिन किसानों को थोड़ी बहुत उत्पादन की उम्मीद है वो कम्बाइंड मशीनों से फसल तैयार करवा रहे हैं. इस बार उम्मीद के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से किसान खासे निराश हैं. हालत यह है कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल आधा उत्पादन भी नहीं निकल पाया है.किसानों के अनुसार पूर्व में खेतों में प्रति बीघा 3 से 4 बोरी सोयाबीन का औसत उत्पादन होता था लेकिन इस बार अधिकांश खेतों में प्रति बीघा एक से डेढ़ बोरी उत्पादन हो रहा है. किसान बिन्टेश शर्मा ने बताया कि खेत में 10 बीघे में सोयाबीन ओर 6 बीघे में उड़द की फसल बोई थी पर अत्यधित बारिश से फसल नष्ट हो गई. उन्होंने बताया कि इस बार मात्र 10 बीघा खेत में सिर्फ सवा बोरी ही सोयाबीन निकल पाई है.

पढ़ें. निकाय चुनाव के अलावा सत्ता और संगठन में कोई मतभेद नहीं है: मंत्री आंजना

किसानों ने बताया कि उड़द की फसल तो इस सीजन पूरी तरह से नष्ट हो गई है. उन्होंने बताया कि इस फसल के लिए तीस हजार रुपये की लागत तो सिर्फ दवाई छिड़कने ओर कटाई में आई थी. बारिश के कारण फसल नष्ट हो जाने के से मजदूरों के पैसे तक नहीं निकल पा रहे हैं. आगे उन्होंने बताया कि खराब हुई फसलों की बीमा राशि भी नहीं मिल पाई है. वहीं, मुआवजे के लिए भी ऑनलाइन फार्म भी भर दिए गए पर अभी तक मुवावजा राशि नहीं मिली है.

इस संबंध में किसान नंद सिंह ने बताया कि मुनाफे में मैंने 10 हजार रुपये बीघा में खेत किया था, जिसमें सोयाबीन की फसल में पानी भरा होने के कारण फसल गल गई. नंद ने बताया कि एक हजार प्रति बीघा के हिसाब से मजदूरों ने फसल की कटाई की है. उन्होंने बताया कि मुनाफे की रकम के अलावा भी पचास हजार अतिरिक्त भार पड़ा है.

कोटा (सांगोद). बारिश का दौर थमने के बाद इन दिनों खेतों में किसानों की हलचल बढऩे लगी है. किसानों ने खेतों में अतिवृष्टि के बाद बची फसलों को घर लाने की तैयारी शुरु कर खेतों में उड़द और सोयाबीन की कटाई और उसे तैयार करवाने में जुट गए हैं.

भारी बारिश से किसानों की फसलें हुई नष्ट

इस दौरान जिन किसानों को थोड़ी बहुत उत्पादन की उम्मीद है वो कम्बाइंड मशीनों से फसल तैयार करवा रहे हैं. इस बार उम्मीद के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से किसान खासे निराश हैं. हालत यह है कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल आधा उत्पादन भी नहीं निकल पाया है.किसानों के अनुसार पूर्व में खेतों में प्रति बीघा 3 से 4 बोरी सोयाबीन का औसत उत्पादन होता था लेकिन इस बार अधिकांश खेतों में प्रति बीघा एक से डेढ़ बोरी उत्पादन हो रहा है. किसान बिन्टेश शर्मा ने बताया कि खेत में 10 बीघे में सोयाबीन ओर 6 बीघे में उड़द की फसल बोई थी पर अत्यधित बारिश से फसल नष्ट हो गई. उन्होंने बताया कि इस बार मात्र 10 बीघा खेत में सिर्फ सवा बोरी ही सोयाबीन निकल पाई है.

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किसानों ने बताया कि उड़द की फसल तो इस सीजन पूरी तरह से नष्ट हो गई है. उन्होंने बताया कि इस फसल के लिए तीस हजार रुपये की लागत तो सिर्फ दवाई छिड़कने ओर कटाई में आई थी. बारिश के कारण फसल नष्ट हो जाने के से मजदूरों के पैसे तक नहीं निकल पा रहे हैं. आगे उन्होंने बताया कि खराब हुई फसलों की बीमा राशि भी नहीं मिल पाई है. वहीं, मुआवजे के लिए भी ऑनलाइन फार्म भी भर दिए गए पर अभी तक मुवावजा राशि नहीं मिली है.

इस संबंध में किसान नंद सिंह ने बताया कि मुनाफे में मैंने 10 हजार रुपये बीघा में खेत किया था, जिसमें सोयाबीन की फसल में पानी भरा होने के कारण फसल गल गई. नंद ने बताया कि एक हजार प्रति बीघा के हिसाब से मजदूरों ने फसल की कटाई की है. उन्होंने बताया कि मुनाफे की रकम के अलावा भी पचास हजार अतिरिक्त भार पड़ा है.

Intro:Body:सांगोद(कोटा)
मोतीलाल सुमन

स्पेशल स्टोरी

किसान के हाल बेहाल मुनाफा छोड़ मजदूरी भी नही निकल पा रही

बारिश का दौर थमने के बाद इन दिनों खेतों में किसानों की हलचल बढऩे लगी है। किसान खेतों में अतिवृष्टि के बाद बची फसलों को घर लाने की तैयारी में है। किसान खेतों में उड़द व सोयाबीन की कटाई व उसे तैयार करवाने में जुटे है। जिन किसानों को थोड़ी बहुत उत्पादन की उम्मीद है वो कम्बाइंड मशीनों से फसल तैयार करवा रहे है। वहीं जहां बारिश से फसलें ज्यादा प्रभावित हुई वहां किसान श्रमिकों के भरोसे फसलों की कटाई करवाने में जुटे है। इस बार उम्मीद के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से किसान खासे निराश है। हालत यह है कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल आधा उत्पादन भी नहीं निकल रहा। अतिवृष्टि ने सारी फसलों को बरबाद कर दिया। किसानों की माने तो पूर्व में खेतों में प्रति बीघा 3 से 4 बोरी सोयाबीन का औसत उत्पादन होता है। लेकिन इस बार अधिकांश खेतों में प्रति बीघा एक से डेढ़ बोरी उत्पादन हो रहा है।किसान बिन्टेश शर्मा ने बताया कि खेत मे दस बिगा की सोयाबीन ओर 6 बिगा खेत मे उडद की फसल बोई थी पर अत्यधित बारिश से फसल नष्ट हो गई और जो थोड़ी बहुत खेत मे बची है वो भी मात्र 10 बिगा खेत मे सिर्फ सवा बोरी ही सोयाबीन निकल पाई ओर चारा भी नाम मात्र ही निकल पाया है उडद की फसल तो बिल्कुल नस्ट हो गई है जिसमे तीस हजार रुपये की लागत तो सिर्फ दवाई छिड़कने ओर कटाई की है। मजदूरो के पैसे तक नही नही निकल पा रहे है । बीमा राशि भी नही मिल पाई है वही मुवावजे के लिए भी ऑनलाइन फार्म भी भर दिए पर अभी तक मुवावजा राशि नही मिल पाई है। वही दूसरी ओर किसान नंद सिंह ने बताया कि मुनाफे में मेने 10 हजार रुपये बिगा में खेत किया था जिसमे आदि सोयाबीन तो पानी भरा रहने के कारण गल चुकी है जो बची है उसमें 1 कट्टा पर बिगा ही निकल पा रही है जिसमे एक हजार प्रति बिगा के हिसाब से मजूरों ने फसल की कटाई की है मुनाफे की रकम के अलावा भी पचास हजार अतिरिक्त भार पड़ा है अब तो भूखे मरने जैसी नोबत हो गई है ।गिने चुने किसानों के ही सोयाबीन का उत्पादन प्रति बीघा दो क्विंटल से ज्यादा हो रहा है। जो भी अपने आप को खुशकिस्मत मान रहे है। कई खेतों में तो हालत यह है कि कटाई का भी खर्चा उत्पादन से नहीं निकल रहा।
बाईट बिन्टेश शर्मा किसान
बाईट नंद सिंह किसान
बाईट लीलाधर किसान
बाईट शांति बाई किसानConclusion:
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