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मंत्री ने 3 दिन पहले कहा- कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाओ, विभाग के पास VTM और किट ही नहीं - Kota News

प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कुछ दिन पहले मीटिंग लेते हुए कहा था कि कोरोना की 900 जांच रोजाना किए जाएं. इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तैयार भी है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इतने नमूने नहीं ले पा रहा है. विभाग के पास VTM (वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम), आरएनए एक्सट्रैक्शन और टेस्टिंग किट भी पर्याप्त नहीं है, जिसके चलते टेस्टिंग नहीं हो पा रही है.

कोटा में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार धीमी, Speed ​​of corona testing in Kota slowed
कोटा में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार धीमी
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Published : May 9, 2020, 2:11 PM IST

कोटा. कोरोना वायरस का संक्रमण कितना फैल चुका है, इसका पता लगाने के लिए टेस्टिंग ही एक विकल्प है. लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन नमूने ही नहीं ले पा रहा है. पहले से नमूने लेने की गति तो बड़ी है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते अब यह बढ़ नहीं पा रही है.

कोटा में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार धीमी

हालांकि 2 दिन पहले ही प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने मीटिंग लेते हुए कहा था कि 900 जांच रोजाना किए जाएं. इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तैयार भी है. लेकिन संसाधनों की कमी के चलते चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इतने नमूने नहीं ले पा रहा है. विभाग के पास वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम, आरएनए एक्सट्रैक्शन और टेस्टिंग किट भी पर्याप्त नहीं है. इसके चलते टेस्टिंग भी नहीं हो पा रही है.

पढ़ें- स्पेशल: राजस्थान के चक्रव्यूह में उलझा 'कोरोना', रिकवरी रेट में सबको पछाड़ बना सिरमौर

पहले 350 और अब संख्या 550 पहुंची

कोटा में अब तक करीब 8 से 9 हजार नमूनों की जांच हुई हैं. इनमें से 233 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. जिला प्रशासन ने नमूने लेने की जिम्मेदारी कोटा मेडिकल कॉलेज को सौंपी हुई थी. हालांकि अब यह जिम्मेदारी बदलते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को दे दी गई है.

लेकिन पहले भी नमूने कम ही लिए जा रहे थे. पहले 150 से 300 नमूने तक रोज लिए जा रहे थे. वहीं, अब दो दिनों से इसमें थोड़ी बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन संख्या अभी भी टारगेट के आस पास नहीं पहुंची है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि उन्हें 1 हजार टेस्ट रोजाना करवाने हैं. लेकिन इसके लिए संसाधन पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि हम संसाधनों के लिए आरएमएससीएल पर निर्भर है.

प्रदेश में काफी कम टेस्ट हुए कोटा में

जयपुर और जोधपुर के बाद कोटा में सबसे ज्यादा पॉजिटिव के सामने आए हैं. लेकिन टेस्टिंग के मामले में भी कोटा तीसरे नंबर पर ही रहा है. प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेट्री की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार जयपुर में जहां पर 33 हजार से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं. वहीं, जोधपुर में भी 28,000 से ज्यादा आंकड़ा पहुंच गया है.

पढ़ें- ईटीवी भारत ने कोख में पल रहे बच्चे की बचाई जान

लेकिन कोटा में महज 8400 के करीब टेस्ट ही अब तक हुए हैं, जो काफी कम है. जबकि चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का खुद का मानना है कि जितने ज्यादा टेस्ट होंगे उतना ज्यादा संक्रमित लोगों की जानकारी मिलेगी और कोरोना की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी.

नमूने लेने का काम CMHO का, रोज कर देंगे 1000 जांच

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि जितने भी टेस्ट आएंगे उनको करने के लिए हम तैयार हैं. हमने 1 दिन में 850 के आसपास टेस्ट भी किए हैं. हमारे यहां कोई पेंडेंसी नहीं है. दिन में 1000 टेस्ट करने की हमारी क्षमता है, जो हम कर भी देंगे. सैंपलिंग लेने की जिम्मेदारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की है. हम केवल अस्पताल में भर्ती मरीजों और क्वॉरेंटाइन में जाने वाले हमारे स्टाफ के नमूने लेते हैं.

कोटा. कोरोना वायरस का संक्रमण कितना फैल चुका है, इसका पता लगाने के लिए टेस्टिंग ही एक विकल्प है. लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन नमूने ही नहीं ले पा रहा है. पहले से नमूने लेने की गति तो बड़ी है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते अब यह बढ़ नहीं पा रही है.

कोटा में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार धीमी

हालांकि 2 दिन पहले ही प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने मीटिंग लेते हुए कहा था कि 900 जांच रोजाना किए जाएं. इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तैयार भी है. लेकिन संसाधनों की कमी के चलते चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इतने नमूने नहीं ले पा रहा है. विभाग के पास वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम, आरएनए एक्सट्रैक्शन और टेस्टिंग किट भी पर्याप्त नहीं है. इसके चलते टेस्टिंग भी नहीं हो पा रही है.

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पहले 350 और अब संख्या 550 पहुंची

कोटा में अब तक करीब 8 से 9 हजार नमूनों की जांच हुई हैं. इनमें से 233 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. जिला प्रशासन ने नमूने लेने की जिम्मेदारी कोटा मेडिकल कॉलेज को सौंपी हुई थी. हालांकि अब यह जिम्मेदारी बदलते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को दे दी गई है.

लेकिन पहले भी नमूने कम ही लिए जा रहे थे. पहले 150 से 300 नमूने तक रोज लिए जा रहे थे. वहीं, अब दो दिनों से इसमें थोड़ी बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन संख्या अभी भी टारगेट के आस पास नहीं पहुंची है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि उन्हें 1 हजार टेस्ट रोजाना करवाने हैं. लेकिन इसके लिए संसाधन पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि हम संसाधनों के लिए आरएमएससीएल पर निर्भर है.

प्रदेश में काफी कम टेस्ट हुए कोटा में

जयपुर और जोधपुर के बाद कोटा में सबसे ज्यादा पॉजिटिव के सामने आए हैं. लेकिन टेस्टिंग के मामले में भी कोटा तीसरे नंबर पर ही रहा है. प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेट्री की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार जयपुर में जहां पर 33 हजार से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं. वहीं, जोधपुर में भी 28,000 से ज्यादा आंकड़ा पहुंच गया है.

पढ़ें- ईटीवी भारत ने कोख में पल रहे बच्चे की बचाई जान

लेकिन कोटा में महज 8400 के करीब टेस्ट ही अब तक हुए हैं, जो काफी कम है. जबकि चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का खुद का मानना है कि जितने ज्यादा टेस्ट होंगे उतना ज्यादा संक्रमित लोगों की जानकारी मिलेगी और कोरोना की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी.

नमूने लेने का काम CMHO का, रोज कर देंगे 1000 जांच

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि जितने भी टेस्ट आएंगे उनको करने के लिए हम तैयार हैं. हमने 1 दिन में 850 के आसपास टेस्ट भी किए हैं. हमारे यहां कोई पेंडेंसी नहीं है. दिन में 1000 टेस्ट करने की हमारी क्षमता है, जो हम कर भी देंगे. सैंपलिंग लेने की जिम्मेदारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की है. हम केवल अस्पताल में भर्ती मरीजों और क्वॉरेंटाइन में जाने वाले हमारे स्टाफ के नमूने लेते हैं.

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