कोटा. राज्य सरकार ने विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पारित किया था, जिसे लेकर चिकित्सक पूरे प्रदेश में अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी तरह से कोटा में भी बीते दो सप्ताह से विरोध प्रदर्शन जारी है और निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज पूरी तरह से बंद हो गया है. इसी क्रम में बुधवार को चिकित्सकों ने इस बिल की शव यात्रा निकाल अपना विरोध प्रकट किया.
सभी चिकित्सक धरना स्थल विज्ञान नगर फ्लाईओवर के नीचे एकत्रित हुए, जहां से शीला चौधरी रोड मोड़ तक घूमते हुए वापस आ गए. इस दौरान चिकित्सकों ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत गुरुवार को कोटा दौरे पर आ रहे हैं. ऐसे में उनको भी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. अब हम उग्र आंदोलन करेंगे. ऐसे में काले झंडे दिखाने के साथ सीएम का रास्ता भी रोक सकते हैं.
सरकार वार्ता को लेकर भ्रम फैला रही है : यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक एंड हॉस्पिटल एसोसिएशन ऑफ कोटा के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि इस काले बिल को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. हम सरकार को मजबूर करेंगे कि इस बिल को वापस लिया जाए. चिकित्सकों में काफी आक्रोश है. इसका परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा.
मुख्यमंत्री की कोटा विजिट को लेकर डॉ. जायसवाल ने कहा कि हमारे तरफ से वार्ता के द्वार खुले हुए हैं. सरकार जब भी हमें बुलाना चाहती है, हम लोग तैयार हैं.
शिष्टमंडल जयपुर लेवल पर भी तैयार है, जबकि सरकार दुष्प्रचार कर रही है. कह रही है कि वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन वास्तविकता में सरकार चिकित्सकों को वार्ता के लिए नहीं बुला रही है. चिकित्सक हर स्तर पर वार्ता के लिए तैयार है, उनको वार्ता का न्योता दिया है. आज हमने शव यात्रा सरकार की निकाली है. हम आंदोलन को और उग्र करेंगे, जब तक हमारी मांग को वापस नहीं लिया जाता, हम लोग पूरे राज्य में आंदोलन जारी रखेंगे. सभी चिकित्सक लोग संगठित हैं. सरकार को सोचना चाहिए कि चिकित्सक सड़क पर खड़ा है, वह किसी भी स्तर पर जा सकता है.
मरीजों की मौत पर बोले- हमें दुख है : यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक एंड हॉस्पिटल एसोसिएशन ऑफ कोटा के सचिव डॉ. अमित व्यास ने मरीजों की मौत के सवाल पर कहा कि
हमें दुख है कि मरीजों की जान जा रही है. मरीज काफी परेशान है व हमारी मजबूरियां हैं. सरकार ने मजबूर किया है कि सड़क पर आ जाए और इस तरह के आंदोलन करें.
हमारे शिष्टमंडल ने समय-समय पर जाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, हमें मूर्ख बनाया गया हैं. जबकि स्वास्थ्य सचिव डॉ. पृथ्वी ने आश्वस्त किया था कि बिल को पहले आपको दिखाएंगे. उसके बाद इसको सार्वजनिक करेंगे, लेकिन हमारे साथ धोखा किया है. हमने जितने भी सुझाव एसोसिएशन ने दिए हैं, उनमें से एक भी नहीं माना गया है. केवल वादे किए है. मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि 50 बेड के अस्पताल वाली बात कहीं थी. अब कह रहे हैं इसका नियम बना देंगे, लेकिन जब विधानसभा में पेश हो गया तब नियम का क्या होगा. इसके चलते चिकित्सक समुदाय पर तलवार लटकी हुई है.
केवल सीएम से ही करेंगे वार्ता, कोटा में दिखाएंगे काले झंडे : डॉ. व्यास ने कहा कि वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन हम वार्ता उसी से करेंगे जो डिसीजन लेने में सक्षम है. क्योंकि मुख्य सचिव, फाइनेंस सेक्रेट्री, चिकित्सा सचिव व मंत्री से भी वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है. हर आदमी कहता है कि सीएम से बात करेंगे. ऐसे में हम एक बार डायरेक्ट सीएम साहब से ही बात करेंगे, तभी इस चीज का कोई हल निकले की उम्मीद है. कोटा में सीएम आ रहे हैं, हम रास्ता रोक व काले झंडे भी हम दिखा सकते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इस विरोध के चलते सभी अस्पताल बंद है और अस्पतालों में काम करने वाले कार्मिकों के परिवार का भी गुजारा मुश्किल से हो पा रहा है, साथ ही अस्पताल के आसपास जितने दुकानें संचालित होती थी, वह भी पूरी तरह बंद है.