कोटा. चंबल नदी में कोटा जिले के रंगपुर और बूंदी जिले के केशोरायपाटन के बीच जैसे-जैसे जलस्तर नीचे जा रहा है. बजरी की अवैध खनन का व्यवसाय लगातार दिन-ब-दिन पनप रहा है. हालात ऐसे हैं कि रोज करीब 50 से 100 ट्रॉली रेत केशोरायपाटन के नजदीक से निकाली जा रही है. लाखों रुपए के अवैध कारोबार को रोकने की जिम्मेदारी खनन, वन, परिवहन और पुलिस विभाग की है.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से बजरी पर रोक लगाने के बावजूद चारों ही विभाग मौन है. बजरी माफियाओं में भी इन चारों विभागों में से किसी का भी डर नहीं है. वह खुलेआम बजरी का दोहन कर रहे हैं. इस बात पर ईटीवी भारत ने खनन विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने एक ही रटा रटाया जवाब दिया कि कार्रवाई करेंगे, पहले भी कार्रवाई की है. खनन विभाग के सुपरिंटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर पीएल मीणा का कहना है कि फॉरेस्ट के एरिया का मामला है. यह अवैध बजरी का काम अभी कुछ दिनों से ही शुरू हुआ है. ऐसे में इस पर टीम बनाकर कार्रवाई करेंगे.
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घड़ियाल सेंचुरी में अवैध खनन
सबसे बड़ी बात है कि यह जगह घड़ियाल सेंचुरी में आती है. लेकिन वन विभाग के अधिकारी भी आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं. घड़ियाल सेंचुरी में केशोरायपाटन के बाद का एरिया मुख्य वन संरक्षक सवाई माधोपुर के अधीन आता है. ऐसे में कोटा में स्थानीय वन विभाग के अधिकारी अपना क्षेत्र नहीं होने का हवाला देकर कार्रवाई से बच जाते हैं.
खुले आम हो रहा कारोबार, कार्रवाई जीरो
खनन विभाग के अधिकारियों की बात की जाए तो उन्हें भी इस अवैध बजरी खनन के व्यवसाय से कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक कि पुलिस विभाग के अधिकारी भी सब कुछ देख कर इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. बता दें कि अवैध बजरी को लेकर वाहन शहर के बाहरी मार्ग से होकर गुजरते है, जिन्हें रोकने की जिम्मेदारी कोटा शहर पुलिस की है. वहीं, बजरी माफिया यहां से सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉली और ट्रकों में बजरी भरकर ले जा रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग के लोग भी मौन ही हैं. जैसे उन्हें कोई जानकारी ही नहीं हो.
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नाव के सहारे लेकर आते हैं किनारे
रंगपुर और केशोरायपाटन के बीच में चंबल नदी में काफी गहराई तक रेत का दोहन होता है. इस अवैध गोरखधंधे के लिए बजरी माफिया स्थानीय नागरिकों की मदद लेते हैं. वह बड़ी- बड़ी नाव लेकर चंबल नदी में नीचे उतरते हैं और नीचे से बजरी निकाल निकाल कर नाव में भर लेते हैं. इसके बाद उसी नाव से बजरी को लेकर यह किनारे पर आते हैं और यहां से ट्रैक्टर और ट्रकों में इसे लोड किया जाता है. जिस जगह पर यह बजरी खनन होता है. वहां पर सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्रक और नाव खड़ी रहती है और इन्हें निकालने वाले लोग भी मौजूद होते है. लेकिन चारों विभागों को यह लोग नजर नहीं आते हैं.