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सांगोद थाने में हिरासत में मौत का मामला, जांच सेवानिवृत्त जज की निगरानी में करवाने की मांग

कोटा के सांगोद थाने में हिरासत में हुई मौत का मामला गरमा गया है. सेवानिवृत्त जज की निगरानी में जांच करवाने की मांग को लेकर मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.

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शाहिद मंसूरी
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Published : May 17, 2021, 10:18 PM IST

सांगोद (कोटा). सांगोद थाने में हिरासत के दौरान हुई शाहिद मंसूरी की मौत के मामले में मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ ने जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जांच सेवानिवृत्त जज की निगरानी में करवाने की मांग की है. संगठन ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ की जा रही जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया है.

संगठन की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य वर्षा सोनी ने प्रेस बयान जारी कर बताया, प्रदेशाध्यक्ष रिटायर्ड जज टीसी राहुल ने मुख्य सचिव को पत्र में लिखा है. मामले में हत्या का आरोप पुलिस कर्मियों पर ही लगा है, इसलिए जांच किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में करवाई जाए. अगर पुलिस विभाग ही इस मामले की जांच करेगा तो जांच की विश्वसनीयता और निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ जाएगी. ई-मेल के जरिए भेजे गए पत्र में संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा है, हिरासत में मौत के मामले गंभीर है, जिसे मानव अधिकार आयोग तथा सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस प्रताड़ना से जोड़ कर देखा है.

यह भी पढ़ें: अजमेर: टेंपो चालक ने कांस्टेबल को मारी टक्कर, गंभीर अवस्था में इलाज जारी

मृतक आरोपी के परिवारजनों के मुताबिक शाहिद मंसूरी को पुलिस ने हिरासत में प्रताड़ित किया, जिससे उसकी मौत हो गई. उन्होंने पत्र में मांग की है, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच तभी निष्पक्ष हो सकती है. जब जांच अधिकारी और जांच की पूरी निगरानी हो.

यह भी पढ़ें: जयपुर: रेनवाल में मामूली सी बात को लेकर परिवार में मारपीट, 5 से अधिक लोग घायल

मामले को लेकर जारी प्रेस बयान में उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के निर्देशानुसार किसी भी व्यक्ति को हिरासत में किसी भी तरीके से प्रताड़ित नहीं किया जाएगा. लेकिन हिरासत में मौत के मामले नहीं थम रहे हैं. मृतक शाहिद मंसूरी के मामले में प्रथम दृष्टया थाने की पुलिस द्वारा शारारिक और मानसिक प्रताड़ना से इनकार नहीं किया जा सकता.

सांगोद (कोटा). सांगोद थाने में हिरासत के दौरान हुई शाहिद मंसूरी की मौत के मामले में मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ ने जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जांच सेवानिवृत्त जज की निगरानी में करवाने की मांग की है. संगठन ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ की जा रही जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया है.

संगठन की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य वर्षा सोनी ने प्रेस बयान जारी कर बताया, प्रदेशाध्यक्ष रिटायर्ड जज टीसी राहुल ने मुख्य सचिव को पत्र में लिखा है. मामले में हत्या का आरोप पुलिस कर्मियों पर ही लगा है, इसलिए जांच किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में करवाई जाए. अगर पुलिस विभाग ही इस मामले की जांच करेगा तो जांच की विश्वसनीयता और निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ जाएगी. ई-मेल के जरिए भेजे गए पत्र में संगठन की प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा है, हिरासत में मौत के मामले गंभीर है, जिसे मानव अधिकार आयोग तथा सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस प्रताड़ना से जोड़ कर देखा है.

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मृतक आरोपी के परिवारजनों के मुताबिक शाहिद मंसूरी को पुलिस ने हिरासत में प्रताड़ित किया, जिससे उसकी मौत हो गई. उन्होंने पत्र में मांग की है, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच तभी निष्पक्ष हो सकती है. जब जांच अधिकारी और जांच की पूरी निगरानी हो.

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मामले को लेकर जारी प्रेस बयान में उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के निर्देशानुसार किसी भी व्यक्ति को हिरासत में किसी भी तरीके से प्रताड़ित नहीं किया जाएगा. लेकिन हिरासत में मौत के मामले नहीं थम रहे हैं. मृतक शाहिद मंसूरी के मामले में प्रथम दृष्टया थाने की पुलिस द्वारा शारारिक और मानसिक प्रताड़ना से इनकार नहीं किया जा सकता.

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