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कोटा : सर्पदंश पीड़िता की मौत, परिजनों का आरोप अस्पताल में समय पर नहीं मिला उपचार

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Published : Jun 2, 2019, 7:00 PM IST

कोटा जिले में सांप के काटने से 10 साल की बच्ची की मौत की घटना सामने आई है. मृतका के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में बच्ची का तत्काल उपचार शुरू किया जाता तो उसकी जान बच सकती थी.

सर्पदंश पीड़िता की मौत, परिजनों का आरोप अस्पताल में समय पर नहीं मिला उपचार

कोटा. सबको बेहतर और चिकित्सा सुविधा का दावा करने वाले राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के एक अस्पताल से हैरान करने वाली घटना सामने आई है. यह खबर स्वास्थ्य महकमे को आईना दिखाने वाली है. इस खबर को देखने के बाद शायद जिम्मेदारों को अस्पतालों में चल रही लापरवाही का थोड़ा अहसास हो जाए. एक घटना में सामने आया है कि रात के समय सरकारी अस्पताल शायद भगवान भरोसे ही चलता है. दरअसल, शनिवार देर रात कोटा जिले के कैथून इलाके में रहने वाली एक 10 साल की बच्ची को घर पर सोते समय सांप ने काट लिया था.

सर्पदंश पीड़िता की मौत, परिजनों का आरोप अस्पताल में समय पर नहीं मिला उपचार

परिजन बच्ची को लेकर तत्काल कैथून के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में उन्हें ना तो डॉक्टर मिला और ना ही स्टाफ ने पीड़ित बच्ची को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगाया. सिर्फ खानापूर्ति के लिए उसे कुछ देर भर्ती रखा और कोटा के जेके लोन अस्पताल के लिए रैफर कर दिया.

उनका कहना रहा कि जब वे उसे वहां से उसे अस्पताल लाने लगे तो पहले 108 एंबुलेंस ने काफी समय खराब कर दिया. परिजन खुद 108 एंबुलेंस के ड्राइवर को लेने गए. उसे घर से लेकर आए. इसके बाद बच्ची को कोटा के लिए रैफर किया गया. परिजनों का आरोप था कि जब वे कोटा के जेके लोन अस्पताल पहुंचे तो वहां उन्हें स्ट्रेचर तक नहीं मिला.

पीड़ित बच्ची का पिता अपने कंधे पर अपनी मासूम बच्ची को लेकर अस्पताल में भागता रहा, लेकिन तब तक बच्ची की सांसें उसका साथ छोड़ चुकी थी. इसके बाद बच्ची के शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. मृतक बच्ची के परिजनों का कहना रहा कि उन्हें स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया और वह शव को कंधे पर रखकर ही मोर्चरी तक लेकर पहुंचे.

वहीं सूचना मिलने पर पहुंची कैथून थाना पुलिस ने मृतका का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है.

कोटा. सबको बेहतर और चिकित्सा सुविधा का दावा करने वाले राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के एक अस्पताल से हैरान करने वाली घटना सामने आई है. यह खबर स्वास्थ्य महकमे को आईना दिखाने वाली है. इस खबर को देखने के बाद शायद जिम्मेदारों को अस्पतालों में चल रही लापरवाही का थोड़ा अहसास हो जाए. एक घटना में सामने आया है कि रात के समय सरकारी अस्पताल शायद भगवान भरोसे ही चलता है. दरअसल, शनिवार देर रात कोटा जिले के कैथून इलाके में रहने वाली एक 10 साल की बच्ची को घर पर सोते समय सांप ने काट लिया था.

सर्पदंश पीड़िता की मौत, परिजनों का आरोप अस्पताल में समय पर नहीं मिला उपचार

परिजन बच्ची को लेकर तत्काल कैथून के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में उन्हें ना तो डॉक्टर मिला और ना ही स्टाफ ने पीड़ित बच्ची को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगाया. सिर्फ खानापूर्ति के लिए उसे कुछ देर भर्ती रखा और कोटा के जेके लोन अस्पताल के लिए रैफर कर दिया.

उनका कहना रहा कि जब वे उसे वहां से उसे अस्पताल लाने लगे तो पहले 108 एंबुलेंस ने काफी समय खराब कर दिया. परिजन खुद 108 एंबुलेंस के ड्राइवर को लेने गए. उसे घर से लेकर आए. इसके बाद बच्ची को कोटा के लिए रैफर किया गया. परिजनों का आरोप था कि जब वे कोटा के जेके लोन अस्पताल पहुंचे तो वहां उन्हें स्ट्रेचर तक नहीं मिला.

पीड़ित बच्ची का पिता अपने कंधे पर अपनी मासूम बच्ची को लेकर अस्पताल में भागता रहा, लेकिन तब तक बच्ची की सांसें उसका साथ छोड़ चुकी थी. इसके बाद बच्ची के शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. मृतक बच्ची के परिजनों का कहना रहा कि उन्हें स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया और वह शव को कंधे पर रखकर ही मोर्चरी तक लेकर पहुंचे.

वहीं सूचना मिलने पर पहुंची कैथून थाना पुलिस ने मृतका का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है.

Intro:कोटा.
सबको इलाज का अधिकार देने का दावा करने वाले सरकारी अस्पतालों को यह खबर देखना बेहद जरूरी है. यह खबर स्वास्थ्य महकमे को आईना दिखाने वाली है. इस खबर को देखने के बाद चाय जिम्मेदारों को थोड़ी शर्म आ जाए. रात को चिकित्सा विभाग भगवान भरोसे चलता है. अस्पताल में डॉक्टर होता है ना इमरजेंसी इंजेक्शन और ना इमरजेंसी में मरीज को स्ट्रेचर मिलता है.

दरअसल देर रात कोटा जिले के कैथून इलाके में रहने वाली 10 वर्षीय बच्ची को घर पर सोते समय सांप ने काट लिया. जिसे लेकर परिजन कैथून सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे, जहां उन्हें ना तो डॉक्टर मिला, नाही स्टाफ ने उसे एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन लगाए. उसे खानापूर्ति के लिए कुछ देर भर्ती किया और कोटा के जेके लोन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. जब परिजन उसे एमबीएस अस्पताल लाने लगे तो पहले 108 एंबुलेंस में काफी समय खराब कर दिया. परिजन खुद 108 एंबुलेंस के ड्राइवर को लेने गए, उसको घर से लेकर आए, इसके बाद बच्ची को कोटा के लिए रेफर किया गया. जब कोटा के जेके लोन अस्पताल पहुंचे तो वहां कोई स्ट्रेचर तक उन्हें नसीब नहीं हुआ. ऐसे में पीड़ित बच्ची के पिता अपने कंधे पर अपनी मासूम बच्ची को लेकर अस्पताल में भागता रहा, लेकिन इसी बीच बच्ची के सांसो ने उसका साथ छोड़ दिया. उसके जीवन की डोर टूट गई.


Body:इसके बाद बच्ची के शव को जेके लोन अस्पताल से एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में शिफ्ट करवाया गया. इस दौरान भी परिजनों को स्ट्रेचर नहीं उपलब्ध कराया गया और वह शव को कंधे पर लेकर ही मोर्चरी तक लेकर आए. सूचना मिलने पर पहुंची कैथून थाना पुलिस ने एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में उसका पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों के हवाले कर दिया है.
बच्चे लक्ष्मी की मौत तो हो गई है, लेकिन इलाज के अभाव में 10 साल की मासूम लक्ष्मी की मौत हमारे स्वास्थ्य महकमे की असली तस्वीर को बेपर्दा कर गई है. जिम्मेदारों को बेनकाब कर गई है. सबको बता गई है कि सरकारी सिस्टम के सामने क्यों दम तोड़ने को मजबूर हैं ग्रामीण इलाके की जिंदगी.


Conclusion:पैकेज में बाइट का क्रम
बाइट-- गोपाल, बच्ची के पिता
बाइट-- सत्यनारायण, बच्ची के परिजन
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