कोटा. शहर में बढ़ रहे कोचिंग छात्रों के आत्महत्या के मामले के बाद पुलिस और प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों (Increasing Cases Of Suicide in Kota) के साथ मंगलवार को मीटिंग बुलाई. इसमें प्रशासनिक और पुलिस उपाधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी मौजूद रहे. करीब 2 घंटे तक चली मीटिंग में आत्महत्या के मामले को लेकर चर्चा की गई.
जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि कोचिंग संस्थानों को दी गई गाइडलाइन की तो पालना (Guidelines for Coachings in Kota) हो रही है. लेकिन अलग से कोचिंग संस्थानों को 15 दिन में फुलप्रूफ सिस्टम बनाने के लिए निर्देशित किया है. इसके लिए कोचिंग संस्थानों को बेसिक स्ट्रक्चर चेंज करने होंगे. यह बदलाव 10 से 15 दिन में ही करना होगा. जिससे पढ़ाई का प्रेशर कम किया जाए, जैसे स्कूल व कॉलेज में बिना प्रेशर के बच्चे पढ़ रहे हैं, वैसे ही पढ़ें. बच्चों की काउंसलिंग लगातार हो.
क्लास में कुछ मिस हो गया तो, ऑटो रिकॉर्डेड लेक्चर उसे तुरंत किसी सिस्टम पर मिल जाए. जिससे वह दोबारा सुनकर उसे समझ सकें. साइकोलॉजिकली गलत फील करने पर भी उसे समझाया जाए. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट, फैकल्टी, हॉस्टल और पेरेंट्स के बीच कम्युनिकेशन गैप कम हो. बच्चे के लिए एंटरटेनमेंट का माहौल भी होना चाहिए. क्लास से बच्चा गायब हो तो, तुरंत परिजनों को सूचित किया जाना चाहिए. आईजी प्रसन्न खमेसरा ने कहा सरकार कि जारी गाइडलाइन की पूरी मॉनिटरिंग करते रहें और अपने सिस्टम को बेहतर बनाएं. इस मीटिंग में उन पुलिस अधिकारियों को भी बुलाया गया था जो कोचिंग स्टूडेंट से जुड़े मामले और सुसाइड में जांच कर चुके हैं.
दोनों बच्चे नहीं जा रहे थे कोचिंग, पेरेंट्स को भी हुआ था कन्वेः कलेक्टर ने कहा कि आत्महत्या करने वाले एक छात्र को लेकर लगातार एक महीने से कोचिंग संस्थान से जानकारी दी जा रही थी कि बच्चा कोचिंग नहीं पहुंच रहा है. लेकिन उसके पेरेंट्स उससे मिलने नहीं आए. साथ ही दूसरे बच्चे की बहन भी कोटा में ही रहती थी और रोज उससे मिलती भी थी. पेरेंट्स भी अगर अपने बच्चे को पढ़ाई में पिछड़ने और कोचिंग नहीं जाने पर तुरंत टैकल करेंगे, तो अच्छा रहेगा. उन्होंने कहा कि अधिकांश पेरेंट्स भी बच्चे को प्रेशराइज करते हैं. कलेक्टर ओपी बुनकर का कहना है कि आत्महत्या का आंकड़ा अन्य सालों की तरह नहीं बढ़ा है, लेकिन एक साथ तीन सुसाइड होने से माहौल बना है. यह संख्या इसीलिए बढ़ रही है, क्योंकि सभी पेरेंट्स की प्राथमिकता कोटा रहती है, कोटा में इस साल बच्चों की संख्या भी ज्यादा है.
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आत्महत्याओं के लिए कलेक्टिव सिस्टम दोषीः कलेक्टर ने कहा कि एक से दो केस हर दिन फीस रिफंड के आते हैं. जिनको हम फीस वापस दिलवा रहे हैं. इन आत्महत्याओं के लिए पूरा कलेक्टिव सिस्टम ही जिम्मेदार है, किसी एक व्यक्ति या संस्थान को दोषी नहीं मान सकते हैं. इसमें कोचिंग, हॉस्टल, पेरेंट्स या बच्चा दोषी नहीं है. इसके लिए सभी को समन्वित होकर प्रयास करने होंगे. कोचिंग संस्थान को भी यह ध्यान रखना होगा कि कोई घटना हो जाए तो मानवता रखते हुए बच्चे के परिजनों को शव ले जाने की व्यवस्था की जाए. तुरंत बच्चे की फीस रिफंड कर दी जाए और तुरन्त मौके पर पहुंचने की संवेदनशीलता बनाए रखनी चाहिए.
एफआईआर दर्ज करने की एमएलए ने की मांगः भरत सिंह ने आत्महत्या के मामले में जिला कलेक्टर को भी पत्र भेजा है और उसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री को बतौर गृहमंत्री भेजी है. इसमें उन्होंने कहा कि कोटा में लगातार कोचिंग छात्रों की आत्महत्या पढ़ाई के प्रति दबाव के कारण सामने आ रही है. इसमें पुलिस जांच की कई प्रकरणों में फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत कर देती है, जबकि कोचिंग संस्थान की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है.
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कोचिंग संस्था के राजनीतिक रसूख बहुत मजबूत हैं व प्रशासन भी इनसे प्रभावित रहता है, क्योंकि बड़ी संख्या में अधिकारी कोटा में केवल बच्चों को कोचिंग के लिए पोस्टिंग करवाते हैं. ऐसे में कोचिंग संस्थान की भूमिका की जांच करें और उनके प्रथम दृष्टया और उनके खिलाफ भी उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाए. एमएलए सिंह का कहना है कि शहर का कोचिंग हब कोचिंग एक व्यवसाय और लाभकारी धंधा हो गया है.
सुसाइड के मामले में आएंगे एनसीपीसीआर के चेयरमैन : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो 18 दिसम्बर को कोटा दौरे पर आएंगे. कानूनगो को कोटा में कोचिंग छात्रों की समस्याओं से संबंध में चर्चा करेंगे. हाल ही में कोचिंग छात्रों के सुसाइड के मामले बढ़ गए हैं. ऐसे में कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण कर स्टूडेंट से मुलाकात करेंगे. कानूनगो कोटा में सुबह 10 बजे जिला प्रशासन, सीएमएचओ और बाल अधिकार से संबंधित अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.