कोटा. कूनो सेंचुरी में बीते साल चीता को बसाया गया था. यह पहला फेज था, इसके बाद दूसरे फेज में एक बार फिर साउथ अफ्रीका और नामीबिया से चीता लाने की बात चल रही है. इन्हें दूसरी सेंचुरी में बसाया जाना है. इनके लिए हाड़ौती के वन्यजीव एक्सपर्ट का मानना है कि बारां जिले का शेरगढ़ और कोटा का मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व सबसे बेहतर ऑप्शन है. क्योंकि चीता दौड़ लगाता है और वह काफी लंबी दूरी एक बार में तय कर लेता है. जिसके लिए उसे बेहतर ग्रास लैंड की जरूरत होती है.
कोटा के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शारदा प्रसाद सिंह का कहना है कि कूनो सेंचुरी में तो ग्रास लैंड तैयार किए गए हैं, जबकि शेरगढ़ में काफी अच्छे ग्रास लैंड पहले से ही हैं. ऐसे में यह सबसे मुफीद जगह थी, साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से कूनो सेंचुरी में वनस्पति और पेड़ पौधे हैं. वैसी ही वनस्पति और पेड़ पौधे शेरगढ़ अभयारण्य में भी है. सहायक वन संरक्षक राजबिहारी मित्तल के अनुसार शेरगढ़ में धोक, बांस, जामुन, तेंदु, अर्जुन, सालर, पलाश, टेंसू करौंदे व सागवान के पेड़ हैं. उनके अनुसार फलदार पौधों की मौजूदगी के चलते यह काफी अच्छा हैबिटेट है.
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शेरगढ़ में मौजूद हैं पैंथर : चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शारदा प्रसाद सिंह का कहना है कि शेरगढ़ में 6 के आसपास पैंथर की संख्या है और केवल एक ही गांव को लोकेट करना है. जिसके लोकेशन का प्रोसेस भी चलाया हुआ है. जहां पर सुरता पडाको गांव है, जिसके लिए बारां जिला प्रशासन को उन्होंने पत्र भी भेजा हुआ है. यह 2022 से प्रक्रिया शुरू हो गई थी. इस गांव में 84 परिवारों का भी लोकेशन होना. शेरगढ़ के जंगलों में नीलगाय, लोमड़ी, काले हिरण, सांभर, खरगोश अनेक पक्षियों का बसेरा है.
बारां जिले से लगती है कूनो सेंचुरी : मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो सेंचुरी बारां जिले से लगती हुई है. बारां जिले के समरानिया, शाहबाद और केलवाड़ा के जंगलों से ही कुनो सेंचुरी का जंगल मिला हुआ है, जहां पर चीता को छोड़ा हुआ है. दोनों जगह पर एक जैसे ही वनस्पति है और ऐसी ही वनस्पति शेरगढ़ अभयारण्य की भी है. शाहाबाद के जंगलों में पहले बाघ के होने के प्रमाण भी हैं. इसके अलावा भी पैंथर की बड़ी संख्या में साइटिंग वहां पर होती रहती है.
एंक्लोजर चीता के लिए है मददगार : सांगोद के विधायक और स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के भरत सिंह मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीता बसाने की मांग कर चुके हैं. उनका कहना है कि नामीबिया और साउथ अफ्रीका से आए एक्सपर्ट ने इसे मुफीद बताया था. जिस तरह से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की फेंसिंग हो रखी है. वैसे ही साउथ अफ्रीका में भी जंगलों की फेंसिंग हो रखी है. ऐसे में जो फेंसिंग वाले बड़े एंक्लोजर होते हैं, वहां पर अच्छी तरह से चीता को रखा जा सकता है और उनकी आबादी को भारत में बढ़ाने में यह काफी मददगार भी होगा.
साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट बोले थे- भारत में भी उनके जैसा जंगल : सीसीएफ शारदा प्रसाद सिंह का कहना है कि साल 2022 में नामीबिया और साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट इन जंगलों को देखने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने साफ कहा था कि शेरगढ़ सेंचुरी को काफी बेहतर बताया था. हालांकि, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को उन्होंने चीता के लिए आदर्श जगह बताई थी, साथ ही कहा था कि वह इस जंगल को देखकर यह अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि साउथ अफ्रीका में खड़े हैं या फिर इंडिया में. चीता बसाने के लिए उपयुक्त भी इसे ही बताया गया था. इसमें सावन भादो का एरिया भी उन्होंने देखा था.
राज्य सरकार बनाकर भेजे शेरगढ़ का प्रस्ताव : बाघ मित्र संस्था के बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि परवन नदी के किनारे स्थित प्राचीन कोषवर्द्धन के किले को जहां पुरातत्व की दृष्टि से सजाया संवारा जा रहा है. वहीं, जंगल पाडाखोह के जंगल में हमेशा पानी की उलब्धता के लिए झील में जल संरक्षण का काम हो रहा है. नदी के पास अमलावदा वन खंड में नवनिर्मित एनीकट में टैंकर में पानी डाला जाता है, जहां पैंथर पानी पीने आते हैं. अटरू के बडोरा के निकट बारापाटी के जंगल में वन विभाग से ट्रैक भी तैयार किए हैं. उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि प्रस्ताव बना कर केंद्र को भेजा जाए, ताकि चीता के लाने से बारां व झालावाड़ ही नहीं, संपूर्ण हाड़ौती का पर्यटन विकास होना सुनिश्चित है.