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कोटा : प्रशासन की लपरवाही के चलते जर्जर हुआ स्कूल - higher secondary school kota news

कोटा जिले में एक ऐसा उच्च प्राथमिक स्कूल है. जहां बच्चें अपनी पढ़ाई जर्जर भवन में करने को मजबूर है. स्कूल की बिल्डिंग कई साल पुरानी है. जिसकी दीवारें लगभग उखड़ चुकी है और जानवर अंदर घूमते रहते हैं. परन्तु शिक्षा विभाग आंख मूंदे बैठा हुआ है.

बच्चों की जन्दगी खतरे में डाल,जर्जर भवन में दी जा रही शिक्षा
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Published : Aug 6, 2019, 3:10 PM IST

कोटा. यह मामला रामगंज मंडी तहसील के सातलखेड़ी ग्राम पंचायत के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल का है. जहां स्कूल की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो चुकी है. वहीं विद्यालय परिसर में आवारा जानवर घूमते रहते है. अब शिक्षा विभाग पर सवाल यह खड़ा होता है कि कब तक सरकारी स्कूल के ये बच्चें इस तरह से अपनी जान को जोखिम में डालकर पढ़ाई करेंगें.

कोटा के रामगंज मंडी तहसील में बच्चों की जन्दगी खतरे में डाल,जर्जर भवन में दी जा रही शिक्षा

पढे़ंं - यहां पर नगर निगम की पार्किंग स्टैंडों का हालत 'आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया'

मामले का खुलासा तो तब हुआ जब स्कूल का निरीक्षण करने आए निरीक्षणकर्ताओं ने ये बात सबके सामने लाई. इस स्कूल की कमरों की दीवारों के प्लास्टर उखड़ चुके हैं. दीवारों में दरारें नजर आने लगी है. एक तरफ तो सरकार पढ़ाई पर लाखों रुपये खर्च कर नई योजनों को लागू कर रहती है. वहीं धरातल स्तर पर तो विभाग के पास बच्चों को बिठाने तक के लिए जगह नहीं है. वही अभिभावको ने भी बच्चों को फर्श पर बिठाने जाने को लेकर आक्रोश जताया था.

स्कूल के प्रधानाध्यापक का कहना है कि पिछले वर्ष भामाशाहों द्वारा दरियां डोनेट की गई थी. लेकिन इस वर्ष बच्चों के नामांकन में बढ़ोतरी हुई है. इसलिये कुछ बच्चों को बिना दरिपट्टियों के ही बैठना पड़ रहा है. उनका कहना है कि जल्द ही और भी दरी पट्टियों की व्यवस्था कर दी जाएगी.

ये भी पढ़ें - अनुच्छेद 370 खत्म होने पर कोटा में शहीद की पत्नी ने कहा-शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने वाला कदम

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की इस तरह से अनदेखी बच्चों के जीवन को खतरें में डाल रही है. बड़े वायदे करने वाली सरकार स्कूलों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है. ऐसे में इन मासूम बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

कोटा. यह मामला रामगंज मंडी तहसील के सातलखेड़ी ग्राम पंचायत के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल का है. जहां स्कूल की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो चुकी है. वहीं विद्यालय परिसर में आवारा जानवर घूमते रहते है. अब शिक्षा विभाग पर सवाल यह खड़ा होता है कि कब तक सरकारी स्कूल के ये बच्चें इस तरह से अपनी जान को जोखिम में डालकर पढ़ाई करेंगें.

कोटा के रामगंज मंडी तहसील में बच्चों की जन्दगी खतरे में डाल,जर्जर भवन में दी जा रही शिक्षा

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मामले का खुलासा तो तब हुआ जब स्कूल का निरीक्षण करने आए निरीक्षणकर्ताओं ने ये बात सबके सामने लाई. इस स्कूल की कमरों की दीवारों के प्लास्टर उखड़ चुके हैं. दीवारों में दरारें नजर आने लगी है. एक तरफ तो सरकार पढ़ाई पर लाखों रुपये खर्च कर नई योजनों को लागू कर रहती है. वहीं धरातल स्तर पर तो विभाग के पास बच्चों को बिठाने तक के लिए जगह नहीं है. वही अभिभावको ने भी बच्चों को फर्श पर बिठाने जाने को लेकर आक्रोश जताया था.

स्कूल के प्रधानाध्यापक का कहना है कि पिछले वर्ष भामाशाहों द्वारा दरियां डोनेट की गई थी. लेकिन इस वर्ष बच्चों के नामांकन में बढ़ोतरी हुई है. इसलिये कुछ बच्चों को बिना दरिपट्टियों के ही बैठना पड़ रहा है. उनका कहना है कि जल्द ही और भी दरी पट्टियों की व्यवस्था कर दी जाएगी.

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गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की इस तरह से अनदेखी बच्चों के जीवन को खतरें में डाल रही है. बड़े वायदे करने वाली सरकार स्कूलों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है. ऐसे में इन मासूम बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

Intro:रामगंजमंडी तहसील के सातलखेड़ी ग्राम पंचायत में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जहां नाँहिहाल अपनी पढ़ाई जर्जर भवन में बेठ पढ़ने को मजबूर हो रहे है । विधालय में कई साल पुरानी बिल्डिंग है जो कई जगहों से जर्जर व प्लास्टर उखड़ा हुआ नजर आ रहा है। उनकी मरमत के लिये शिक्षा विभाग ने अभी तक ध्यान नही दिया है। Body:रामगंजमंडी तहसील के सातलखेड़ी ग्राम पंचायत में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जहां नाँहिहाल अपनी पढ़ाई जर्जर भवन में बेठ पढ़ने को मजबूर हो रहे है । विधालय में कई साल पुरानी बिल्डिंग है जो कई जगहों से जर्जर व प्लास्टर उखड़ा हुआ नजर आ रहा है। उनकी मरमत के लिये शिक्षा विभाग ने अभी तक ध्यान नही दिया है। वही विद्यालय परिसर में आवारा जानवर घूमते नजर आए ।अब शिक्षा विभाग पर सवाल यह खड़ा होता नजर आ रहा है कि सरकारी स्कूल में नानिहलो कई जन्दगी किंतनी सुरक्षित है। स्कूल भवन के निरक्षण करने पर कई खामिया नजर आई । कई कमरों में दीवारों से प्लास्टर उखड़ा नजर आया तो कई दीवारों में दरारें नजर आई । एक तरफ सरकार पढ़ाई पर लाखों रुपये खर्च कर कई नई योजनों को लागू कर रही है वही विभाग के पास बच्चों को बिठाने के लिये उचित व्यवस्था तक नही हो पा रही है। वही अभ भावको द्वारा बच्चों को फर्स पर बिठाने को लेकर आक्रोश जताया था । लेकिन प्रधानाध्यापक का कहना है कि पिछले वर्ष भामाशाहों द्वारा दरिपट्टिया डोनेट की गई थी लेकिन इस वर्ष बच्चों के नामांकन में बढ़ोतरी हुई है इस इसलिये कुछ बच्चो को बिना दरिपट्टिया पर ही बेठना पड़ रहा है। जल्द ही दरी पट्टियों की व्यवस्था की जाएगी।Conclusion:सरकारी स्कूल में बच्चो को जर्जर भवन में शिक्षा लेते नजर आये । बच्चो की जिंदगी खतरे में डाल विभाग शिक्षा दे रहा है । वही सचूल में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव नजर आ रहा है ।
बाइट- प्रधानाध्यापक उमरावसिंह गुर्जर
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