कोटा. बेंगलुरु के रहने वाले अर्णव आदित्य सिंह जेईई एडवांस परीक्षा में नवी रैंक देशभर में लेकर आए हैं. कोटा से ही वह तैयारी कर रहे थे. यहां की कोचिंग संस्थान में कक्षा 11 वीं से ही वह पढ़ रहे थे. साथ ही लॉकडाउन लगने के बाद भी वह ना तो बेंगलुरु गए. उन्होंने कोटा छोड़ा नहीं छोड़ा. कोटा में ही परिवार के साथ रह रहे थे, उनकी मां चुके सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. पूजा सिंह भी अर्णव आदित्य सिंह के लिए अपने करियर को दांव पर लगाया. उन्होंने 2 साल का ब्रेक लिया. अर्णव आदित्य सिंह के साथ में 2 साल कोटा में रही. ताकि वह भी उनकी तरह एक अच्छा इंजीनियर बन सके.
अर्णव आदित्य सिंह का कहना है कि दो साल से फैकल्टी के डायरेक्शन को फॉलो कर रहा था. क्योंकि उन्हें हमसे कई गुना ज्यादा अनुभव है. वहीं स्टूडेंट के लिए मायने भी रखता है. मैंने अंतिम 2 सप्ताह में तैयारी की थी कि दिमाग में किसी भी तरह का कोई प्रेशर नहीं होना चाहिए. इसीलिए मैंने अपने परिवार से लगातार बातचीत जारी रखी है. साथ ही साढ़े 8 घंटे तक की नींद ली. बॉडी और माइंड दोनों फ्रेश रहने पर ही परफॉर्मेंस बेहतर रह सकती है.
कोटा ने पूरा सपोर्ट दिया, लॉकडाउन में भी सेफ रखा
अर्णव आदित्य सिंह का कहना है कि पूरा सपोर्ट कोटा के कोचिंग संस्थान ने दिया. लॉकडाउन के बाद भी मैंने कोटा में ही रह कर पढ़ाई की है. उन्होंने कहा कि मेरे पिता सियाराम सिंह और मां पूजा सिंह दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर बेंगलुरु में है, लेकिन हमने कोटा में ही सफल रहना जरूरी समझा, मेरी मां पूजा सिंह मेरे साथ ही रही. उन्होंने कहा कि बच्चों में अवसाद में जाने की जगह अपने पैरंट्स से बात करनी चाहिए. वह आपको अच्छी तरह से गाइड कर सकते हैं. दिमाग का पूरा प्रेशर गायब हो जाता है. क्योंकि बचपन से ही आपको पेरेंट्स जानते हैं. बच्चों के अवसाद में जाने के सवाल पर कहा कि उन्हें अपने पैरंट्स से बात करनी चाहिए. जिससे दिमाग का पूरा प्रेशर गायब चला हो जाता है. क्योंकि वह बचपन से आपको जानते हैं. उनसे जितना शेयर करेंगे, वह ज्यादा अच्छा है.
जेईई मेन से एडवांस में लगाई लंबी छलांग
जेईई मेन में अर्णव आदित्य सिंह की 49वी रैंक थी, लेकिन के एडवांस में रैंक में काफी छलांग लगाते हुए 9वीं को लेकर आए हैं. उनका कहना है कि जेईई मेन परीक्षा में काफी ईजीपेपर होता है. इसीलिए वहां पर रिजल्ट में उल्टा सीधा हो जाता है, लेकिन मेरा टारगेट जेईई एडवांस क्रेक करना ही था. इसलिए जेईई की 49 वीं रैंक से नहीं काफी अच्छा सुधार मैंने किया है.
उन्होंने कहा कि मैं भविष्य में आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई करना चाहता हूं. साथ ही सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में रिसर्च करना चाहता हूं. क्योंकि 2016 के बाद से ही टेक्नोलॉजी रेगुलेशन चल रहा है. जिसने दुनिया का चेहरा बदल दिया और मैं भी उसी का पार्ट बनना चाहता हूं.
रीक्रिएशन के लिए शतरंज और वीडियो गेम
अर्णव आदित्य सिंह ने 10वीं कक्षा में 96.6 व 12वीं कक्षा में 97.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. वहीं जेईई मेन फर्स्ट अटैम्प्ट में 99.98, सैकंड में 99.99 व थर्ड में 99.99 परसेन्टाइल स्कोर कर ऑल इंडिया रैंक 49 प्राप्त की. अर्णव ने बताया कि मुझे कोटा में एजुकेशन का सबसे डिफरेन्ट कल्चर लगता है. यहां आकर मैंने खुद को हर सब्जेक्ट में मजबूत किया और कोटा जैसी फैकल्टी व सपोर्ट कहीं और देखने को नहीं मिलता. मैंने सब्जेक्टवाइज एप्रोच से पढ़ाई नहीं की. तीनों सब्जेक्ट्स को बराबर समय देते हुए बैलेंस के साथ तैयारी की। होमवर्क और प्रॉब्लम सॉल्विंग शीट्स डेली सॉल्व करता था. इससे मेरे कंसेप्ट्स मजबूत होते चले गए. रोजाना 6 से 7 घंटे सेल्फ स्टडी करता था. अर्णव रीक्रिएशन के लिए छोटे भाई के साथ चैस या वीडियो गेम्स खेलता था. स्वीमिंग, स्केटिंग, साइक्लिंग के अलावा मुझे रोबोटिक्स में काफी इंटरेस्ट है.
अर्णव की शैक्षणिक उपलब्धता
एनटीएसई स्कॉलर अर्णव ने एनटीएसई स्टेज-1 में 6 रैंक हासिल कर कर्नाटक स्टेट में टॉपर. केवीपीवाय एसए स्ट्रीम में ऑल इंडिया रैंक-3 व एसएक्स स्ट्रीम में ऑल इंडिया 35वीं रैंक.
2018 में आईजेएसओ के ओसीएससी कैम्प के लिए चयनित. 2019 में आईजेएसओ की टीम में भारत का प्रतिनिधित्व किया और गोल्ड मैडल हासिल किया. 2020 में फिजिक्स व एस्ट्रोनॉमी ओलंपियाड में ओसीसएसी के लिए चयनित. 2021 में फिजिक्स, कैमिस्ट्री व एस्ट्रोनॉमी ओलंपियाड में ओसीएससी के लिए चयनित होकर फिजिक्स ओलंपियाड में भारतीय टीम में शामिल.
2021 में एपीएचओ टीम के लिए भी चयनित.