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स्पेशल स्टोरी: इस साल 66 हजार मैट्रिक टन यूरिया खपत का आंकलन, पिछले साल से 11 फीसदी कम

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Published : Oct 22, 2019, 3:06 PM IST

पिछले साल यूरिया की किल्लत और उसके बाद हुई कालाबाजारी से इस साल बचने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने अपनी कमर कस ली. सभी इंस्पेक्टर और फील्ड स्टाफ को निर्देश दिए गए है कि वह ज्यादा से ज्यादा खाद विक्रेताओं के गोदाम और दुकानों का निरीक्षण करें.

Urea consumption kota, यूरिया खपत कोटा

कोटा. पिछले साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव का दौर जारी था और समूचा हाड़ौती अंचल यूरिया की किल्लत झेल रहा था. किसान लंबी कतारों में खड़े थे और उन्हें डिमांड के अनुरूप यूरिया व ड्राई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) नहीं मिल रहा था. ऐसे में महिलाएं हो या बच्चे सभी यूरिया के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहते थे. यहां तक कि हाड़ौती में तो पुलिस कस्टडी में यूरिया का बेचान किया गया था.

इस साल 66 हजार मैट्रिक टन यूरिया खपत का आंकलन

पिछले साल की तरह इस बार यूरिया की किल्लत न हो, इससे बचने का दावा भी कृषि विभाग कर रहा है. विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि हमने सरकार को पहले से ही इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सभी इंस्पेक्टर और फील्ड स्टाफ को निर्देश दिए है कि वे ज्यादा से ज्यादा खाद विक्रेताओं के गोदाम और दुकानों का निरीक्षण करें. साथ ही पोस मशीन के स्टॉक से गोदाम और दुकान के वास्तविक स्टॉक का मिलान भी करें. जिससे यूरिया की कालाबाजारी रुक सके. वहीं किसानों को समय पर खाद मिल जाए.

इस बार कम खपत का आंकलन

पिछली बार कोटा जिले में 74123 मेट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी. उसके अनुपात में इस बार कृषि विभाग निदेशालय ने कोटा जिले के लिए 66000 मैट्रिक टन यूरिया की खपत का आकलन किया है. हालांकि यह करीब 8000 मैट्रिक टन कम है. जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों ने 74000 मैट्रिक टन की ही मांग जिले के लिए की थी. सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) की 22700, म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) 430 व नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश (कॉम्प्लेक्स) 950 मेट्रिक टन खपत का आकलन कृषि विभाग ने किया है.

पढ़ें- कोटाः प्रदेश व्यापी हड़ताल के चलते 23 अक्टूबर को बंद रहेंगे हाड़ौती के 300 पेट्रोल पंप

पड़ोसी जिलों का भार, एडवांस स्टॉकिंग भी शुरू

कृषि विभाग के उप निदेशक रामनिवास पालीवाल का कहना है कि पिछले कई सालों के आंकड़ों को आधार मानकर ही वे खाद की मांग तैयार करते हैं. उसके अनुसार ही लक्ष्य बनाते है, हालांकि, जो भी किसान कृषि उपज मंडी कोटा में अपनी फसल का बेचान करने आते हैं, वह कोटा जिले से ही खाद लेकर जाते हैं. ऐसे में बारां, बूंदी और झालावाड़ के किसान भी कोटा की मांग पर ही निर्भर हैं. हालांकि, हमने एडवांस स्टॉकिंग करवाना शुरू कर दिया है. फिलहाल खाद की कोई कमी नहीं है. आने वाले समय में भी यूरिया की कमी नहीं आने दी जाएगी.

पढ़ें- कोटा: मेडिकल कॉलेज में डेढ़ साल से बनकर तैयार सेंट्रल लाइब्रेरी अभी भी कर रही उद्घाटन का इंतजार, जानें क्यों

जिला कलेक्टर ने लिखा अर्द्धशासकीय पत्र

पिछले साल जो यूरिया और डीएपी की किल्लत हुई थी, उससे बचने के लिए कृषि विभाग ने इस बार पहले से ही जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा से आग्रह कर अर्द्धशासकीय पत्र लिखवाया. सरकार को लिखे इस अर्द्धशासकीय पत्र में सरकार से मांग की गई है कि नवंबर और दिसंबर महीने में ज्यादा से ज्यादा यूरिया जिले को आवंटित हो, ताकि किसानों को समय पर खाद मिल सके.

पढ़ें- कोटा: दशहरे मेले में देर रात तक जमा कवि सम्मेलन का रंग

खाद की पिछले साल खपत और इस साल का आंकलन (मैट्रिक टन)

यूरिया - 74123 - 66000
डीएपी - 22398 - 22700
एसएसपी - 4493 -18000
एमओपी - 920 - 430
कॉम्प्लेक्स - 1205 - 950

कोटा. पिछले साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव का दौर जारी था और समूचा हाड़ौती अंचल यूरिया की किल्लत झेल रहा था. किसान लंबी कतारों में खड़े थे और उन्हें डिमांड के अनुरूप यूरिया व ड्राई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) नहीं मिल रहा था. ऐसे में महिलाएं हो या बच्चे सभी यूरिया के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहते थे. यहां तक कि हाड़ौती में तो पुलिस कस्टडी में यूरिया का बेचान किया गया था.

इस साल 66 हजार मैट्रिक टन यूरिया खपत का आंकलन

पिछले साल की तरह इस बार यूरिया की किल्लत न हो, इससे बचने का दावा भी कृषि विभाग कर रहा है. विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि हमने सरकार को पहले से ही इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सभी इंस्पेक्टर और फील्ड स्टाफ को निर्देश दिए है कि वे ज्यादा से ज्यादा खाद विक्रेताओं के गोदाम और दुकानों का निरीक्षण करें. साथ ही पोस मशीन के स्टॉक से गोदाम और दुकान के वास्तविक स्टॉक का मिलान भी करें. जिससे यूरिया की कालाबाजारी रुक सके. वहीं किसानों को समय पर खाद मिल जाए.

इस बार कम खपत का आंकलन

पिछली बार कोटा जिले में 74123 मेट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी. उसके अनुपात में इस बार कृषि विभाग निदेशालय ने कोटा जिले के लिए 66000 मैट्रिक टन यूरिया की खपत का आकलन किया है. हालांकि यह करीब 8000 मैट्रिक टन कम है. जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों ने 74000 मैट्रिक टन की ही मांग जिले के लिए की थी. सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) की 22700, म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) 430 व नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश (कॉम्प्लेक्स) 950 मेट्रिक टन खपत का आकलन कृषि विभाग ने किया है.

पढ़ें- कोटाः प्रदेश व्यापी हड़ताल के चलते 23 अक्टूबर को बंद रहेंगे हाड़ौती के 300 पेट्रोल पंप

पड़ोसी जिलों का भार, एडवांस स्टॉकिंग भी शुरू

कृषि विभाग के उप निदेशक रामनिवास पालीवाल का कहना है कि पिछले कई सालों के आंकड़ों को आधार मानकर ही वे खाद की मांग तैयार करते हैं. उसके अनुसार ही लक्ष्य बनाते है, हालांकि, जो भी किसान कृषि उपज मंडी कोटा में अपनी फसल का बेचान करने आते हैं, वह कोटा जिले से ही खाद लेकर जाते हैं. ऐसे में बारां, बूंदी और झालावाड़ के किसान भी कोटा की मांग पर ही निर्भर हैं. हालांकि, हमने एडवांस स्टॉकिंग करवाना शुरू कर दिया है. फिलहाल खाद की कोई कमी नहीं है. आने वाले समय में भी यूरिया की कमी नहीं आने दी जाएगी.

पढ़ें- कोटा: मेडिकल कॉलेज में डेढ़ साल से बनकर तैयार सेंट्रल लाइब्रेरी अभी भी कर रही उद्घाटन का इंतजार, जानें क्यों

जिला कलेक्टर ने लिखा अर्द्धशासकीय पत्र

पिछले साल जो यूरिया और डीएपी की किल्लत हुई थी, उससे बचने के लिए कृषि विभाग ने इस बार पहले से ही जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा से आग्रह कर अर्द्धशासकीय पत्र लिखवाया. सरकार को लिखे इस अर्द्धशासकीय पत्र में सरकार से मांग की गई है कि नवंबर और दिसंबर महीने में ज्यादा से ज्यादा यूरिया जिले को आवंटित हो, ताकि किसानों को समय पर खाद मिल सके.

पढ़ें- कोटा: दशहरे मेले में देर रात तक जमा कवि सम्मेलन का रंग

खाद की पिछले साल खपत और इस साल का आंकलन (मैट्रिक टन)

यूरिया - 74123 - 66000
डीएपी - 22398 - 22700
एसएसपी - 4493 -18000
एमओपी - 920 - 430
कॉम्प्लेक्स - 1205 - 950

Intro:पिछले साल यूरिया की किल्लत और उसके बाद हुई कालाबाजारी से इस बार बचने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने कमर कस ली. उन्होंने सभी इंस्पेक्टर और फील्ड स्टाफ को निर्देश दिया है कि वे ज्यादा से ज्यादा खाद विक्रेताओं के गोदाम और दुकानों का निरीक्षण करें. साथ ही जो पोएस मशीन के स्टॉक से गोदाम व दुकान का वास्तविक स्टॉक का मिलान भी करें, जिससे यूरिया की कालाबाजारी रुक सके. वहीं किसानों को समय पर खाद मिल जाए.


Body:कोटा.
पिछले साल नवंबर दिसंबर में विधानसभा चुनाव का दौर प्रदेश में जारी था और समूचा हाड़ौती अंचल यूरिया की किल्लत झेल रहा था. किसान लंबी कतारों में खड़े थे और उन्हें डिमांड के अनुरूप यूरिया व ड्राई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) नहीं मिल रहा था. ऐसे में महिलाओं हो या फिर बच्चे सभी यूरिया के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहते थे, यहां तक कि हाड़ौती में पुलिस कस्टडी में भी यूरिया का बेचान किया गया था. इस बार पिछले साल की तरह की यूरिया की किल्लत न हो इससे बचने का दावा कृषि विभाग कर रहा है. उनका कहना है कि हमने सरकार को पहले से ही इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सभी इंस्पेक्टर और फील्ड स्टाफ को निर्देश दिया है कि वे ज्यादा से ज्यादा खाद विक्रेताओं के गोदाम और दुकानों का निरीक्षण करें. साथ ही जो पोएस मशीन के स्टॉक से गोदाम व दुकान का वास्तविक स्टॉक का मिलान भी करें, जिससे यूरिया की कालाबाजारी रुक सके. वहीं किसानों को समय पर खाद मिल जाए.

पिछली बार से कम खपत का आंकलन
पिछली बार जहां पर कोटा जिले में 74123 मेट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी उसके अनुपात में इस बार कृषि विभाग निदेशालय ने कोटा जिले के लिए 66000 मेट्रिक टन यूरिया की खपत का आकलन किया है हालांकि यह करीब 8000 मेट्रिक टन कम है. जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों ने 74000 मेट्रिक टन की ही मांग कोटा जिले के लिए की थी. सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) की 22700, म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) 430 व नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश (कॉम्प्लेक्स) 950 मेट्रिक टन खपत का आकलन कृषि विभाग ने किया है.

पड़ौसी जिलों का भार, एडवांस स्टॉकिंग भी शुरू
कृषि विभाग के उपनिदेशक रामनिवास पालीवाल का कहना है कि पिछले वर्षों के आंकड़ों के आधार पर ही वह खाद की मांग तैयार करते हैं. उसके अनुसार ही लक्ष्य बनाते है, हालांकि जो भी किसान कृषि उपज मंडी कोटा में अपनी फसल का बेचान करने आता है, वह कोटा जिले से ही खाद लेकर जाता है. ऐसे में बारां, बूंदी व झालावाड़ के किसान भी कोटा की मांग पर ही निर्भर हैं. हालांकि हमने एडवांस स्टॉकिंग करवाना शुरू कर दिया है. फिलहाल खाद की कोई कमी नहीं है. आने वाले टाइम में भी यूरिया की कमी नहीं आने दी जाएगी.

जिला कलेक्टर ने लिखा अर्द्धशासकीय पत्र
कृषि विभाग ने पिछले साल जो यूरिया और डीएपी की किल्लत हुई थी. उससे बचने के लिए इस बार पहले से ही जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा से अर्द्धशासकीय पत्र सरकार को लिखवाया है. जिसमें सरकार से मांग की है कि नवंबर और दिसंबर महीने में ज्यादा से ज्यादा यूरिया कोटा जिले को आवंटित हो ताकि किसानों को समय से खाद मिल जाए.


Conclusion:खाद -- पिछले साल खपत -- इस साल आंकलन (मैट्रिक टन)
यूरिया -- 74123 -- 66000
डीएपी -- 22398 -- 22700
एसएसपी -- 4493 -- 18000
एमओपी -- 920 -- 430
कॉम्प्लेक्स -- 1205-- 950


बाइट-- रामनिवास पालीवाल, उप निदेशक, कृषि विभाग कोटा

नोट-- इस खबर में जोड़ने के लिए खेतों के बल मेल के द्वारा भेज दिए हैं. कोटा से खाद की खबर में वीडियो खेत के विजुअल
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