कोटा. तलवंडी में आयोजित हो रहे आरोग्य मेले में कैथून इलाके के मवासा गांव निवासी कन्हैयालाल गुर्जर ने भी स्टॉल लगाई है. 60 साल से ज्यादा के कन्हैयालाल ने अब तक करीब 500 से ज्यादा औषधियों पौधों को आईडेंटिफाई कर लिया है. उनका कहना है कि वे पांचवीं पास हैं. औषधियों के बारे में जानकारी उन्होंने किताबें पढ़ कर जुटाई है.
तलवंडी स्थित दाऊ दयाल जोशी आयुर्वेदिक चिकित्सालय में चार दिवसीय आरोग्य मेले में जिला कलेक्टर ओपी बुनकर और पीसीसी सदस्य अमित धारीवाल उद्घाटन समारोह में पहुंचे. गुरुवार से आयोजित इस मेले में स्टाल भी लगाई गई हैं. जिनमें एक स्टॉल कैथून इलाके के मवासा गांव निवासी कन्हैयालाल गुर्जर की है, जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, लेकिन उन्होंने अब तक करीब 500 से ज्यादा आयुर्वेदिक औषधियों के पौधों को आईडेंटिफाई कर लिया है.
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उनका कहना है कि करीब 400 पौधों के बीज भी उन्होंने एकत्र कर लिए हैं. उन्होंने 2 बीघा में आयुर्वेदिक औषधियों के पौध लगाई हुई है. जिनमें से कई औषधियां बनती हैं. इनमें करीब 40 से 50 औषधियों को वह खुद उगा रहे हैं. कन्हैयालाल का कहना है कि वे केवल पांचवी पास हैं और उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों और उनके पौधों के बारे में पढ़कर ही जानकारी ली है. उनके पास किसी तरह की कोई आयुर्वेद की डिग्री नहीं है, लेकिन उन्होंने 20 साल पहले किताबों को पढ़ना शुरू किया था. जिसके बाद वह लगातार औषधियों के बारे में जानकारी जुटाते रहे. इनमें आयुर्वेद की द्रव्य गुण विज्ञान, चरक संहिता, भाव प्रकाश निघंटु व आयुर्वेद शारंगधर संहिता को पढ़ा है.
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खेतों में होती औषधि, कीटनाशक छिड़क मार देते हैं: कन्हैयालाल का कहना है कि औषधियां खरपतवार के रूप में हमारे खेत में ही उपलब्ध होती हैं. जिन्हें जानकारी के अभाव में हम कीटनाशक छिड़ककर खत्म कर देते हैं. इनमें से कई गुणकारी औषधि भी होती हैं. उन्होंने आरोग्य मेले में शतावरी, हिंगोटिया, नीम गिलोय, नागरमोथा, पुनर्नवा, अर्जुन छाल, शंखपुष्पी, सहदेवी, नकछीकनी, कांचनार छाल, धुणप्रिया, कोली कांटा, शंख पुरवा, हाड़जोड़, जटाशंकरी, अश्वगंधा, उत्तरण, रक्त रोधनी ट्रायटैक्स प्रकोमेन, कंदुरु कंद, नील, दाद मर्द, चौक रूट, अरलू व तालमखाना सहित कई औषधीय पौधे की जानकारी साझा की है. इन्हें वे हाल ही में तोड़कर मेले के लिए लेकर आए थे.
कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए अमित धारीवाल ने कहा कि वर्तमान समय में बड़ी संख्या में युवक अपराध की दुनिया में जा रहे हैं. अब गर्भवती महिला को ऐसा खान-पान देना चाहिए, जिससे कि बच्चा अपराधी किस्म का पैदा नहीं हो. कई नामी कंपनियों ने आज यहां पर स्टाल भी लगाए हैं और कई दवाइयां बेच रहे हैं. उसका लिटरेचर भी यहां पर उपलब्ध है. आयुर्वेद साइंस ने प्रगति की है. ऐसे में मेरे दिमाग मे विचार खटकता है कि क्यों ना जो माताएं गर्भवती होती हैं, उन्हें गर्भवती होने के बाद इस तरह का खानपान दिया जाए कि 9 महीने बाद बच्चा अपराधी प्रवृत्ति का नहीं हो.