कोटा. जिले के कर्फ्यू एरिया में एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है. मरीज को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के चलते उसे ठेले पर ही अस्पताल ले जाया गया. समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक रामपुरा फतेहगढ़ी निवासी 45 वर्षीय क्षेत्रपाल मीणा की रविवार रात 8 बजे तबीयत बिगड़ गई. क्षेत्रपाल के परिजन दामोदर का कहना है कि वह और उसके साथी आधे घंटे तक 108 एंबुलेंस को लगातार फोन करते रहे. पुलिस कंट्रोल रूम को भी फोन किया. लेकिन कोई भी वाहन नहीं आया.
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ऐसे में पड़ोसियों की मदद से पापा को ठेले पर ही लेकर रामपुरा अस्पताल ले जाया गया. जहां पर ड्यूटी पर मौजूद महिला चिकित्सकों ने मरीज को देखने से मना कर दिया और एमबीएस हॉस्पिटल ले जाने को कह दिया. इस दौरान परिजनों की महिला चिकित्सक से बहस भी हुई. लेकिन उसने किसी भी तरह की मदद करने से मना कर दिया. हमने उसने कहा भी कि अगर कोई एंबुलेंस हो, तो यहां से भेज दीजिए. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस नहीं होने का कहकर उन्हें रवाना कर दिया. बाद में परिचित की कार से जब तक हम पापा को लेकर अस्पताल पहुंचे, डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
पड़ोसी की 4 दिन पहले इसी तरह हुई थी मौत
ठेले पर अस्पताल ले जाने वाले मामले में क्षेत्रपाल मीणा की मौत हुई है. उनसे ही 50 मीटर दूर रहने वाले सतीश अग्रवाल की भी इसी तरह से मौत 4 दिन पहले हुई है. उनके परिजन भी ठेले पर लेकर ही उनको नयापुरा पहुंचे थे. जहां से उन्हें एमबीएस अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने जाते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया. सतीश के बेटे का कहना है कि अगर प्रशासन मेरे पिता की मौत के बाद अगर उचित कदम उठाता था, तो आज दूसरी घटना सामने नहीं आती.
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जिस ठेले से ले गए सतीश को, उसी से क्षेत्रपाल को ले गए
परिजनों ने बताया कि जिस ठेले से सतीश अग्रवाल को उनके परिजन लेकर गए थे. उसी ठेले से हम भी क्षेत्रपाल को रामपुरा अस्पताल लेकर गए थे. पहले के हादसे से जिला प्रशासन ने सबक नहीं लिया और एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई, इसीलिए एक और जान एंबुलेंस नहीं मिलने के चलते चली गई.