करौली. करौली नगरपरिषद के पूर्व सभापति और जयपुर ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर के खिलाफ करौली पुलिस में एक प्रकरण दर्ज हुआ था. जिसकी दोबारा से जांच करवाने की मांग को लेकर बुधवार को सर्वसमाज के युवाओं ने एसपी को ज्ञापन सौंपा और प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की.
![राजाराम गुर्जर के खिलाफ प्रकरण दर्ज, Case registered against Rajaram Gurjar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/270121-rj-krl-old-sbhapathi-samrthan_27012021181235_2701f_02380_71.jpg)
एसपी मृदृल कच्छावा को सर्वसमाज के युवाओं ने ज्ञापन सौंप. जिसमें बताया कि बीते साल करौली के पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर के खिलाफ प्रकरण संख्या 414/2019 को नगरपरिषद के एक सफाई निरिक्षक की ओर से राजनीतिक द्वेषता और राजनीतिक दबाव के चलते पूर्व सभापति के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाकर मारपीट के आरोप लगवाए थे. जो गलत आरोप है.
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युवाओं ने एसपी से मांग करते हुए कहा कि पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर पर जो आरोप लगाए गए हैं, उनकी दुबारा से जांच हो. यह प्रकरण एक राजनितिक दबाव से चल रहा है. इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए. जिससे पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर को न्याय मिले सके. इस दोरान शेरा गुर्जर, ऋषि शर्मा, कृष्णा गुलपारिया, संतोष शर्मा, अखलेश मीणा, कपिल शर्मा, राजेश भारद्वाज समेत कई लोग उपस्थिति रहें.
क्या है पूरा मामलाः
बता दें कि नगर परिषद के स्वास्थ्य निरीक्षक मुकेश कुमार सैनी ने आरोप लगाया कि 12 नवंबर 2019 की शाम को राजाराम गुर्जर ने उनको अपने घर बुलाया. इस पर मुकेश सैनी सभापति के मासलपुर मोड स्थित चुंगी नाका के पास वाले घर पर पहुंचे. एसआई मुकेश कुमार सैनी ने वहां से आने के बाद अगले दिन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई की सभापति राजाराम गुर्जर ने घर बुलाकर 340 सफाई श्रमिकों की नोटशीट को प्रमाणित कराने के लिए दबाव बनाया.
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एसआई मुकेश सैनी का कहना रहा की मौके पर 190 सफाई श्रमिक कार्य कर रहे हैं. वे प्रतिदिन इसकी रिपोर्ट आयुक्त को प्रेषित करते हैं. ऐसे में 340 सफाई श्रमिकों की नोटशीट को प्रमाणित किया जाता है तो यह राजकार्य के प्रति घोर लापरवाही और कर्तव्यों के प्रति उदासीनता होगी. इससे राजकीय कोष को भी बड़ा घाटा होगा. एसआई मुकेश सैनी का कहना रहा की यह सुनते ही राजाराम गुर्जर आग बबूला हो गए और उसकी लात-घूंसों से पिटाई कर दी.
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वहीं, स्वायत्त शासन विभाग ने पुलिस से अभियोग मिलने और नगरपरिषद आयुक्त से प्राप्त टिप्पणी के आधार पर राजाराम गुर्जर को 6 दिसंबर 2019 को सभापति पद से निलंबित करने के आदेश जारी कर दिये थे. इसके बाद जुलाई 2020 मे हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्वायत्त शासन विभाग की ओर से वापस से बहाली के आदेश जारी कर दिए गए.