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करौली : सादगी के साथ मनाया गणगौर का पर्व, महिलाओं ने पति के लिए मांग लंबी उम्र

करौली में गुरुवार को महिलाओं ने शिव पार्वती के प्रतीक गणगौर का पर्व सादगी पूर्ण मनाया. इस अवसर पर महिलाओं ने सोलह सिंगार कर ईसर और गणगौर का पूजन किया और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत उपवास रखें. शहर में गणगौर पर्व के अवसर पर महिलाएं सजी-धजी दिखी और कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते एक जगह एकत्रित होकर सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए गणगौर ईसर का पूजन किया गया.

करौली की ताजा हिंदी खबरे, Gangaur festival celebrated in Karauli
करौली में महिलाओं ने मनाया गणगौर पर्व
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Published : Apr 15, 2021, 9:17 PM IST

करौली. शहर सहित जिलेभर में गुरूवार को कोरोना वायरस की महामारी प्रकोप के बीच शिव पार्वती के प्रतीक गणगौर का पर्व सादगी पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. घर-घर में महिलाओं ने परिवार की महिलाओं के साथ हर्षोल्लास से गणगौर पूजन किया.

इस अवसर पर महिलाओं ने सोलह सिंगार कर ईसर और गणगौर का पूजन किया और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत उपवास रखें. शहर में गणगौर पर्व के अवसर पर महिलाएं सजी-धजी दिखी और कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते एक जगह एकत्रित होकर सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए गणगौर ईसर का पूजन किया गया.

मान्यता है कि गणगौर ईसर को भगवान शिव और पार्वती का रूप माना जाता है. इसलिए गणगौर के दिन इस पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. महिलाओं ने गणगौर के अवसर पर मंगल गीत गाए और विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार कर पूजा अर्चना की. इस दौरान महिलाओं ने पूजा करके अपने अमर सुहाग की कामना की. नवविवाहित युवतियों ने अपने सुआग के लिए व्रत रख दीर्घायु की कामना की. गणगोर के मौके पर घरों में गुना बनाए गए और गुना का ही गणगोर को प्रसाद लगाया गया. नवविवाहित युवतियों ने संज धजकर गणगौर माता की पूजा-अर्चना कर घरों में विशेष पकवान बनाए.

बता दें कि गणगोर का त्योहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता है. जिसमें शिव पार्वती भगवान के प्रतीक मिट्टी की गणगौर बनाई जाती हैं और उसकी महिलाएं पूजा करती हैं. गणगौर की पूजा होली के दूसरे दिन से ही चालू हो जाती है. जिसका क्रम 16 दिन तक चलता रहता है. 16 दिन तक महिलाएं गणगोर की पूजा करती हैं और अपने अमर सुहाग की कामना करती हैं. लेकिन इस बार वापस से कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते सादगी पूर्ण ही गणगौर का पूजन किया गया.

पढ़ें- हरिद्वार महाकुंभ में महामंडलेश्वर की कोरोना से मौत

महिलाओं ने अपने ही घर परिवार की महिलाओं के साथ गणगौर पूजन किया और सोशल डिस्टेंस का अबकी बार विशेष ध्यान रखा. जबकि पहले आसपास के मोहल्ले की सभी महिलाएं गणगोर का पूजन सामूहिक रूप से किया करती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस की भयभीता के चलते सभी जगह घर घर की महिलाओं ने गणगौर पर पार्वती का पूजन सादगी के साथ ही किया.

झालावाड़ में महिलाओं ने मनाया गणगौर त्योहार

झालावाड़ के अकलेरा कस्बे में गणगौर का त्योहार मुख्य रूप से बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. इस त्योहार में महिलाएं पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए गणगौर का व्रत रखती हैं. बड़ी संख्या में ये व्रत महिलाओं की ओर से किया जाता है. गणगौर व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती होली के दूसरे दिन अपने मायके चली गईं थीं और भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए 8 दिनों बाद गए थे. इसलिए यह त्योहार होली के दिन से यानी चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो जाता है.

करौली. शहर सहित जिलेभर में गुरूवार को कोरोना वायरस की महामारी प्रकोप के बीच शिव पार्वती के प्रतीक गणगौर का पर्व सादगी पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. घर-घर में महिलाओं ने परिवार की महिलाओं के साथ हर्षोल्लास से गणगौर पूजन किया.

इस अवसर पर महिलाओं ने सोलह सिंगार कर ईसर और गणगौर का पूजन किया और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत उपवास रखें. शहर में गणगौर पर्व के अवसर पर महिलाएं सजी-धजी दिखी और कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते एक जगह एकत्रित होकर सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए गणगौर ईसर का पूजन किया गया.

मान्यता है कि गणगौर ईसर को भगवान शिव और पार्वती का रूप माना जाता है. इसलिए गणगौर के दिन इस पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. महिलाओं ने गणगौर के अवसर पर मंगल गीत गाए और विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार कर पूजा अर्चना की. इस दौरान महिलाओं ने पूजा करके अपने अमर सुहाग की कामना की. नवविवाहित युवतियों ने अपने सुआग के लिए व्रत रख दीर्घायु की कामना की. गणगोर के मौके पर घरों में गुना बनाए गए और गुना का ही गणगोर को प्रसाद लगाया गया. नवविवाहित युवतियों ने संज धजकर गणगौर माता की पूजा-अर्चना कर घरों में विशेष पकवान बनाए.

बता दें कि गणगोर का त्योहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता है. जिसमें शिव पार्वती भगवान के प्रतीक मिट्टी की गणगौर बनाई जाती हैं और उसकी महिलाएं पूजा करती हैं. गणगौर की पूजा होली के दूसरे दिन से ही चालू हो जाती है. जिसका क्रम 16 दिन तक चलता रहता है. 16 दिन तक महिलाएं गणगोर की पूजा करती हैं और अपने अमर सुहाग की कामना करती हैं. लेकिन इस बार वापस से कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते सादगी पूर्ण ही गणगौर का पूजन किया गया.

पढ़ें- हरिद्वार महाकुंभ में महामंडलेश्वर की कोरोना से मौत

महिलाओं ने अपने ही घर परिवार की महिलाओं के साथ गणगौर पूजन किया और सोशल डिस्टेंस का अबकी बार विशेष ध्यान रखा. जबकि पहले आसपास के मोहल्ले की सभी महिलाएं गणगोर का पूजन सामूहिक रूप से किया करती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस की भयभीता के चलते सभी जगह घर घर की महिलाओं ने गणगौर पर पार्वती का पूजन सादगी के साथ ही किया.

झालावाड़ में महिलाओं ने मनाया गणगौर त्योहार

झालावाड़ के अकलेरा कस्बे में गणगौर का त्योहार मुख्य रूप से बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. इस त्योहार में महिलाएं पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए गणगौर का व्रत रखती हैं. बड़ी संख्या में ये व्रत महिलाओं की ओर से किया जाता है. गणगौर व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती होली के दूसरे दिन अपने मायके चली गईं थीं और भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए 8 दिनों बाद गए थे. इसलिए यह त्योहार होली के दिन से यानी चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो जाता है.

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