करौली. जिले मे प्राचीन काल से चली आ रही परपरां के तहत पंतगबाजी शनिवार को अपने परवान पर चढी. सुबह से ही युवा, बच्चे, नौजवानों की टोलीया पतंग, मांझे, डोर लेकर घरों की छतों पर चढ़ गए. वही सभी लोग पंतग बाजी का लुफ्त उठाते हुए नजर आये.
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सुबह से शुरु हुआ पंतगबाजी का दौर जो देर शाम तक जारी रहा. चारो तरफ सिर्फ वो काटा-वो मारा का शोर सुनने का मिला. पंतगबाजो ने पंतग उडाने के लिए एक दिन पहले खरीददारी शुरू कर दी थी. पंतगबाजी के शौकीन लोगों ने छतों पर डी.जे. और डेग मशीन तक की व्यवस्था की थी.
गौरतलब है की करौली शहर मे जन्माष्टमी और रक्षाबंधन के मौके पर पतंगबाज़ी करना बहुत पुराना इतिहास रहा है. यहां के लोगो की पतंगबाज़ी में इस कदर रूचि है की लोग जन्माष्टमी के दिन सुबह 5 बजे ही घर की छतों पर चढ डीजे लगा पतंग उडाना शुरू कर देते है.
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यहां के लोगों पर जन्माष्टमी के दिन पतंग उडाने का भूत इस कदर सवार है की चाहे वह बच्चा हो या बडा सब घर की छतों पर चढ पतंग उडाने लग जाते हैं.