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सरकार होटलों में कर रही है ऐश, शिक्षक सड़क पर उतरने को मजबूर...

राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा निजी स्कूल संचालकों को जारी किए गए तुगलकी फरमान के बाद निजी स्कूलों की स्थिति खराब हो चुकी है. ऐसे में ईटीवी भारत पर शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश अध्यक्ष ने अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अभी भी ध्यान नहीं दिया तो कर्मचारी और उनके परिवार के लाखों सदस्य आदोंलन पर मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

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Published : Jul 31, 2020, 3:46 PM IST

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शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत

करौली. प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा निजी स्कूल संचालकों को जारी किए गए बयान के बाद निजी स्कूलों की स्थिती खराब हो चुकी है. स्कूलों में एक ओर ऑनलाइन क्लासेस अप्रैल माह से यथावत जारी हैं और शिक्षक निरंतर क्लासेस ले रहे हैं. दूसरी ओर शिक्षा मंत्री के तुगलकी फरमान के बाद सक्षम अभिभावक फीस जमा नहीं करा रहे हैं. जिसके चलते राजस्थान के 9 स्कूल संचालकों ने आत्महत्या कर ली है और 11 लाख कर्मचारी आर्थिक तंगी के चलते सड़क पर आ गए हैं. यह कहना है ईटीवी भारत से वार्ता के दौरान शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेशाध्यक्ष हेमलता शर्मा का.

शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत

सरकार की दोहरी नीति से परेशान शिक्षक...

प्रदेश अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने बताया कि निजी स्कूल के शिक्षक सरकार की दोहरी नीति से परेशान हैं. राजस्थान में 38 हजार संचालित निजी स्कूल 90 लाख बच्चों को शिक्षा देते हैं. जिसमें 11 लाख कर्मचारी शामिल हैं. जिनमें शिक्षक, गैर शिक्षक स्टाफ, सफाई कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर सारे के सारे आज रोड पर आ चुके हैं. जिसका नतीजा यह है कि हम 9 निजी स्कूल संचालक भाइयों को खो चुके हैं.

निजी शिक्षकों की चार मांगें...

उन्होंने कहा कि कोराना वैश्विक महामारी में अभिभावकों को अगर वाकई परेशानी है तो सरकार उन्हें राहत दे. क्योंकि 11 लाख लोगों के रोजगार का सवाल है. वैसे भी अगर कानूनी बात करें तो नर्सरी से लेकर 12वीं तक की बच्चियों को निशुल्क शिक्षा देना सरकार का दायित्व है. चूंकि सरकार के पास पर्याप्त सुख सुविधा नहीं है, इसलिए निजी स्कूल बराबर से सरकार का साथ दे रहे हैं. उन्होंने साफ शब्दों में शिक्षा मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि संघर्ष समिति की ओर से अब तक 17 जिलों का दौरा कर लिया गया है. राजस्थान के सभी 33 जिलों का दौरा कर 11 लाख कर्मचारियों के साथ मिलकर प्राइवेट स्कूल के शिक्षक सड़क पर उतरेंगे. राजस्थान की भूमि पर इतना बड़ा उग्र आंदोलन किया जाएगा कि शिक्षा मंत्री शिक्षकों को याद करेंगे.

प्रदेशाध्यक्ष ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्रीजी कुछ नजीर आप भी पेश करिए. आप भी 1 महीने का वेतन छोड़िए, सरकार सरकारी शिक्षकों को घर बैठे वेतन दे रही है. उनको भी बोला जाए कि एक दो महीने के वेतन का त्याग करें. सरकार से मांग है कि निजी शिक्षकों की परेशानी को देखते हुए उनके आर्थिक पैकेज को जारी किया जाए और आरटीई के तहत रुका हुआ बकाया पैसा दिया जाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार शिक्षकों की आत्मा दुखाएगी तो सरकार का पाटियासाफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री होटलों में बैठकर ऐश कर रहे हैं.

प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि नौ स्कूल संचालक भाइयों को खो चुके हैं. महज 29 साल की उम्र में मुकेश शर्मा ने अपने स्कूल के ऑफिस में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. उसे भुलाया नहीं जा सकता है. अभी हम गुहार लगा रहे हैं हाथ जोड़कर विनती कर रहे हैं. अगर मांगे नहीं मानी गई तो आंदोलन होगा.

अप्रैल माह से दे रहे हैं ऑनलाइन शिक्षा, लेकिन नहीं मिला एक भी पैसा...

ऑनलाइन शिक्षा के दुष्परिणाम फायदे के मामले पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऑनलाइन क्लास को लेकर हाईकोर्ट ये मान चुका है कि ऑनलाइन शिक्षा देना बच्चे का अधिकार है. उसको अलग नहीं किया जा सकता है. हालांकि हम हमारे दिल से नहीं दे रहे हैं हम भी जानते हैं जो प्रैक्टिकल क्लास होती हैं वह बहुत अच्छी होती हैं, लेकिन कोरोना संकट मे ऑनलाइन क्लास ही तो एक ऑप्शन है और हो सकता है आगामी आने वाली जो भी एग्जाम हो वह केवल ऑनलाइन ही हो.

यह भी पढ़ें : जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट किए जाएंगे कांग्रेस विधायक, सूर्यगढ़ होटल में हो सकती है बाड़ेबंदी

उन्होंने बताया कि निजी स्कूल अप्रैल महीने से ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं. लेकिन अप्रैल, मई, जून, जुलाई से आज तक एक पैसा शिक्षकों को नहीं मिला है. हम शिक्षकों को वेतन कहां से दें. निजी स्कूलों का खर्चा बिजली, पानी का बिल, यूडी टैक्स, किश्ते, लोन, सारा का सारा वही है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को सरकार गुमराह कर रही है. अभिभावकों को समझने की जरूरत है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने फीस को पोसपोंड किया है. जिस दिन अभिभावकों को एक साथ 12 महीनों की फीस देनी पड़ेगी कैसे देंगे.

उन्होंने कहा कि निजी स्कूल सरकार से मांग कर रहे हैं कि अभिभावक क्यों पैसा भरे? यह सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जनता का टैक्स का पैसा होटल में ऐश करने के लिए नहीं है.

करौली. प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा निजी स्कूल संचालकों को जारी किए गए बयान के बाद निजी स्कूलों की स्थिती खराब हो चुकी है. स्कूलों में एक ओर ऑनलाइन क्लासेस अप्रैल माह से यथावत जारी हैं और शिक्षक निरंतर क्लासेस ले रहे हैं. दूसरी ओर शिक्षा मंत्री के तुगलकी फरमान के बाद सक्षम अभिभावक फीस जमा नहीं करा रहे हैं. जिसके चलते राजस्थान के 9 स्कूल संचालकों ने आत्महत्या कर ली है और 11 लाख कर्मचारी आर्थिक तंगी के चलते सड़क पर आ गए हैं. यह कहना है ईटीवी भारत से वार्ता के दौरान शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेशाध्यक्ष हेमलता शर्मा का.

शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत

सरकार की दोहरी नीति से परेशान शिक्षक...

प्रदेश अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने बताया कि निजी स्कूल के शिक्षक सरकार की दोहरी नीति से परेशान हैं. राजस्थान में 38 हजार संचालित निजी स्कूल 90 लाख बच्चों को शिक्षा देते हैं. जिसमें 11 लाख कर्मचारी शामिल हैं. जिनमें शिक्षक, गैर शिक्षक स्टाफ, सफाई कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर सारे के सारे आज रोड पर आ चुके हैं. जिसका नतीजा यह है कि हम 9 निजी स्कूल संचालक भाइयों को खो चुके हैं.

निजी शिक्षकों की चार मांगें...

उन्होंने कहा कि कोराना वैश्विक महामारी में अभिभावकों को अगर वाकई परेशानी है तो सरकार उन्हें राहत दे. क्योंकि 11 लाख लोगों के रोजगार का सवाल है. वैसे भी अगर कानूनी बात करें तो नर्सरी से लेकर 12वीं तक की बच्चियों को निशुल्क शिक्षा देना सरकार का दायित्व है. चूंकि सरकार के पास पर्याप्त सुख सुविधा नहीं है, इसलिए निजी स्कूल बराबर से सरकार का साथ दे रहे हैं. उन्होंने साफ शब्दों में शिक्षा मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि संघर्ष समिति की ओर से अब तक 17 जिलों का दौरा कर लिया गया है. राजस्थान के सभी 33 जिलों का दौरा कर 11 लाख कर्मचारियों के साथ मिलकर प्राइवेट स्कूल के शिक्षक सड़क पर उतरेंगे. राजस्थान की भूमि पर इतना बड़ा उग्र आंदोलन किया जाएगा कि शिक्षा मंत्री शिक्षकों को याद करेंगे.

प्रदेशाध्यक्ष ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्रीजी कुछ नजीर आप भी पेश करिए. आप भी 1 महीने का वेतन छोड़िए, सरकार सरकारी शिक्षकों को घर बैठे वेतन दे रही है. उनको भी बोला जाए कि एक दो महीने के वेतन का त्याग करें. सरकार से मांग है कि निजी शिक्षकों की परेशानी को देखते हुए उनके आर्थिक पैकेज को जारी किया जाए और आरटीई के तहत रुका हुआ बकाया पैसा दिया जाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार शिक्षकों की आत्मा दुखाएगी तो सरकार का पाटियासाफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री होटलों में बैठकर ऐश कर रहे हैं.

प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि नौ स्कूल संचालक भाइयों को खो चुके हैं. महज 29 साल की उम्र में मुकेश शर्मा ने अपने स्कूल के ऑफिस में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. उसे भुलाया नहीं जा सकता है. अभी हम गुहार लगा रहे हैं हाथ जोड़कर विनती कर रहे हैं. अगर मांगे नहीं मानी गई तो आंदोलन होगा.

अप्रैल माह से दे रहे हैं ऑनलाइन शिक्षा, लेकिन नहीं मिला एक भी पैसा...

ऑनलाइन शिक्षा के दुष्परिणाम फायदे के मामले पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऑनलाइन क्लास को लेकर हाईकोर्ट ये मान चुका है कि ऑनलाइन शिक्षा देना बच्चे का अधिकार है. उसको अलग नहीं किया जा सकता है. हालांकि हम हमारे दिल से नहीं दे रहे हैं हम भी जानते हैं जो प्रैक्टिकल क्लास होती हैं वह बहुत अच्छी होती हैं, लेकिन कोरोना संकट मे ऑनलाइन क्लास ही तो एक ऑप्शन है और हो सकता है आगामी आने वाली जो भी एग्जाम हो वह केवल ऑनलाइन ही हो.

यह भी पढ़ें : जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट किए जाएंगे कांग्रेस विधायक, सूर्यगढ़ होटल में हो सकती है बाड़ेबंदी

उन्होंने बताया कि निजी स्कूल अप्रैल महीने से ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं. लेकिन अप्रैल, मई, जून, जुलाई से आज तक एक पैसा शिक्षकों को नहीं मिला है. हम शिक्षकों को वेतन कहां से दें. निजी स्कूलों का खर्चा बिजली, पानी का बिल, यूडी टैक्स, किश्ते, लोन, सारा का सारा वही है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को सरकार गुमराह कर रही है. अभिभावकों को समझने की जरूरत है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने फीस को पोसपोंड किया है. जिस दिन अभिभावकों को एक साथ 12 महीनों की फीस देनी पड़ेगी कैसे देंगे.

उन्होंने कहा कि निजी स्कूल सरकार से मांग कर रहे हैं कि अभिभावक क्यों पैसा भरे? यह सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जनता का टैक्स का पैसा होटल में ऐश करने के लिए नहीं है.

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