ETV Bharat / state

सपोटरा महादेव का अद्भुत चमत्कार, प्रतिमा दिन भर में तीन बार बदलती है रंग

करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है. मान्यता है कि मंदिर के गर्भ गृह में विराजित भगवान शिव की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग परिवर्तन करती है.

special story of sapotara mahadev temple
author img

By

Published : Jul 29, 2019, 5:31 PM IST

करौली. राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है. पूरे सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि मंदिर के गर्भ गृह में विराजित भगवान शिव की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग परिवर्तन करती है.

मंदिर में हर-हर महादेव के स्वर गुंजायमान होते हैं. यूं तो वर्षभर ही मंदिर में श्रद्धालुओं की आवक रहती है, लेकिन श्रावण मास में भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है. राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है.

भगवान शिव का चमत्कार ऐसा की मूर्ति का दिन में तीन बार बदलता है रंग

यह भी पढ़ें:भरतपुर में देवस्थान विभाग की तरफ से शंषानेश्वर मंदिर में करवाया गया रुद्राभिषेक....लेकिन अधिकारी नहीं हुए शामिल

इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मन्दिर की स्थापना कराई थी. यह शिव मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है. जो कालीसिंध बांध के तट के समीप स्थित है. सैंकड़ों वर्ष प्राचीन रामठरा के शिव मन्दिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है. जिसकी गर्दन टेढ़ी है. शिव के दाई ओर गणेशजी और बांयी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है.जबकि सामने शिवलिंग व नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं.

मान्यता है कि यहां प्रतिमा तीन रंग बदलती है. सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है जबकि दोपहर में यह आसमानी हो जाती है. सायंकाल प्रतिमा मटमेले रंग में नजर आती है. जिसे देखने वहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं. यह प्राचीन शिव मंदिर ना केवल धार्मिक महत्व लिए हुए है बल्कि प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी रमणीक स्थल है.

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी अब जंगल में इस अवतार में आएंगे नजर, शो के होस्ट ने ट्वीट कर दी जानकारी

ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन-
किवदंती है कि रियासतकाल के दौरान मंदिर के आसपास हजारों घर बसे हुए थे, लेकिन उस दौरान कुछ विशेष लोगों के अत्याचारों से तंग आकर लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. उसके बाद शिव भगवान की प्रतिमा ने भी चमत्कार दिखाते हुए अपना सिर दांऐ कंधे की ओर मोड़ लिया. शिव प्रतिमा के मुंह की ओर वर्तमान मे सपोटरा क्षेत्र बसा हुआ है.

ढाई दशक पूर्व पार्वती की प्रतिमा हुई थी चोरी-
इतिहासकार बताते हैं कि करीब 25 साल पहले चोरों ने शिवभगवान की प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया लेकिन चोर सफल नहीं हो सके. ऐसे में चोर मंदिर से पार्वती की प्रतिमा को चुरा ले गए. प्रतिमा को चोरों ने कहीं जमीन में दबा दिया लेकिन चोरों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठ पाने के कारण लोगों को प्रतिमा के बारे मे पता चल गया. जिसके बाद प्रतिमा की पुन: स्थापना कराई गई.

करौली. राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है. पूरे सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि मंदिर के गर्भ गृह में विराजित भगवान शिव की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग परिवर्तन करती है.

मंदिर में हर-हर महादेव के स्वर गुंजायमान होते हैं. यूं तो वर्षभर ही मंदिर में श्रद्धालुओं की आवक रहती है, लेकिन श्रावण मास में भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है. राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है.

भगवान शिव का चमत्कार ऐसा की मूर्ति का दिन में तीन बार बदलता है रंग

यह भी पढ़ें:भरतपुर में देवस्थान विभाग की तरफ से शंषानेश्वर मंदिर में करवाया गया रुद्राभिषेक....लेकिन अधिकारी नहीं हुए शामिल

इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मन्दिर की स्थापना कराई थी. यह शिव मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है. जो कालीसिंध बांध के तट के समीप स्थित है. सैंकड़ों वर्ष प्राचीन रामठरा के शिव मन्दिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है. जिसकी गर्दन टेढ़ी है. शिव के दाई ओर गणेशजी और बांयी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है.जबकि सामने शिवलिंग व नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं.

मान्यता है कि यहां प्रतिमा तीन रंग बदलती है. सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है जबकि दोपहर में यह आसमानी हो जाती है. सायंकाल प्रतिमा मटमेले रंग में नजर आती है. जिसे देखने वहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं. यह प्राचीन शिव मंदिर ना केवल धार्मिक महत्व लिए हुए है बल्कि प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी रमणीक स्थल है.

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी अब जंगल में इस अवतार में आएंगे नजर, शो के होस्ट ने ट्वीट कर दी जानकारी

ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन-
किवदंती है कि रियासतकाल के दौरान मंदिर के आसपास हजारों घर बसे हुए थे, लेकिन उस दौरान कुछ विशेष लोगों के अत्याचारों से तंग आकर लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. उसके बाद शिव भगवान की प्रतिमा ने भी चमत्कार दिखाते हुए अपना सिर दांऐ कंधे की ओर मोड़ लिया. शिव प्रतिमा के मुंह की ओर वर्तमान मे सपोटरा क्षेत्र बसा हुआ है.

ढाई दशक पूर्व पार्वती की प्रतिमा हुई थी चोरी-
इतिहासकार बताते हैं कि करीब 25 साल पहले चोरों ने शिवभगवान की प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया लेकिन चोर सफल नहीं हो सके. ऐसे में चोर मंदिर से पार्वती की प्रतिमा को चुरा ले गए. प्रतिमा को चोरों ने कहीं जमीन में दबा दिया लेकिन चोरों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठ पाने के कारण लोगों को प्रतिमा के बारे मे पता चल गया. जिसके बाद प्रतिमा की पुन: स्थापना कराई गई.

Intro:राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है.. पूरे सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है... हर-हर महादेव के स्वर गुंजायमान होते हैं.. यूं तो वर्षभर ही यहां श्रद्धालुओं की आवक रहती है, लेकिन श्रावण मास में भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है...


Body:
सावन स्पेशल

भगवान शिव का चमत्कार ऐसा की प्रतिमा का दिन में तीन बार बदलता है रंग,मनोकामना होती है पूरी


करौली


राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है.. पूरे सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है... हर-हर महादेव के स्वर गुंजायमान होते हैं.. यूं तो वर्षभर ही यहां श्रद्धालुओं की आवक रहती है, लेकिन श्रावण मास में भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है...

इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मन्दिर की स्थापना कराई थी..यह शिव मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है.. जो कालीसिल बांध के तट के समीप स्थित है... दर्जनों सीढिय़ां चढ़कर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है...

सैंकड़ों वर्ष प्राचीन रामठरा के शिव मन्दिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है, जिसकी गर्दन टेढ़ी है... शिव के दाई ओर गणेशजी और बांयी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है... जबकि सामने शिवलिंग व नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं.. इतिहासकार व बुुर्जुगों के अनुसार शिव भगवान की प्रतिमा प्रतिदिन तीन वर्ण बदलती है.. सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है.. जबकि दोपहर में यह आसमानी हो जाती है.. सायंकाल प्रतिमा मटमेले रंग में नजर आती है... जिसे देख यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं... यह प्राचीन शिव मंदिर ना केवल धार्मिक महत्व लिए हुए है...बल्कि प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी रमणीक स्थल है...करीब पांच फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर चारों ओर से हरियाली से लकदक है...पहाड़ी क्षेत्र में छाई हरियाली और समीप ही कालीसिल बांध का मनोरम दृश्य लोगों को आर्कृषित करता है...इस प्राकृतिक छठा को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं...


ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन


किवदंती है की रियासतकाल के दौरान मंदिर के आसपास हजारों घर बसे हुए थे, लेकिन उस दौरान कुछ विशेष लोगों के अत्याचारों से तंग आकर लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा... उसके बाद शिव भगवान की प्रतिमा ने भी चमत्कार दिखाते हुए अपना सिर दांऐ कंधे की ओर मोड़ लिया.. शिव प्रतिमा के मुंह की ओर वर्तमान मे सपोटरा क्षेत्र बसा हुआ है...

ढाई दशक पूर्व पार्वती की प्रतिमा हुई थी चोरी,

 इतिहासकार बताते हैं की करीब ढाई दशक पहले चोरो ने शिवभगवान की प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया...लेकिन चोर सफल नहीं हो सके.. ऐसे में चोर मंदिर से पार्वती की प्रतिमा को चुरा ले गए.. प्रतिमा को चोरों ने कहीं जमीन में दबा दिया.. लेकिन चोरों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठ पाने के कारण लोगों को प्रतिमा के बारे मे बताया गया... उसके बाद प्रतिमा की पुन: स्थापना कराई गई....


बाइट---चन्द्रशेखर शुक्ला, श्रद्धालु सपोटरा

बाइट-- बृजबिहारी शर्मा, श्रद्धालु, सपोटरा

बाइट--संत प्रेमदास महाराज

बाइट--श्यामलाल योगी, ग्रामीण,


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.