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पशु-पक्षियों से नहीं फैलता कोरोना संक्रमण, ये सिर्फ अफवाहः निदेशक, पशुपालन विभाग

इंसानों के बाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से जानवरों के कोविड- 19 पॉजिटिव होने की भी खबरें आ रही हैं. क्या पशु पक्षियों में भी कोविड-19 बीमारी का संक्रमण है. जिसको लेकर पशुपालन विभाग के निदेशक खुशीराम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि ये सिर्फ अफवाह है. पशुओं में कोरोना महामारी फैलने की कोई भी सूचना नहीं है और ना ही पशुपालन विभाग ने कोई एडवाइजरी जारी की है. निदेशक ने ये भी कहा कि मीट, अंडा, मछली खाने से भी कोरोना संक्रमण नहीं फैलता है.

करौली न्यूज, rajasthan news
जानवरों में कोरोना फैलने को लेकर निदेशक से खास बातचीत
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Published : Jun 26, 2020, 8:34 AM IST

करौली. कोरोना महामारी के कारण पूरा विश्व भीषण संकट से जूझ रहा है. लोगों को ये चिंता भी सताने लगी है कि क्या पशुओं से भी कोरोना फैलता है. इसी को लेकर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक खुशीराम मीना ने ईटीवी भारत से खास चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना का संक्रमण पशुओं से नहीं फैलता है और ना ही मीट खाने से लोग कोरोना संक्रमित होते हैं.

पशुपालन विभाग के निदेशक से ईटीवी भारत के संवाददाता ने की खास बातचीत

उन्होंने कहा कि मैंने भी ये बातें सुनी है, लेकिन ये पूरी तरीके से झूठ है और लोगों की ओर से अफवाह फैलाई जा रही है. ऐसा कुछ नहीं है. मतलब पशुओं में कोरोना संक्रमण फैलने का एक भी मामला सामने नहीं आया है. ना ही विभाग की ओर से ऐसी कोई जानकारी या एडवाइजरी जारी कर अधिकारियों को बताया गया है. संयुक्त निदेशक ने ईटीवी भारत को बताया कि मीट खाने, अंडा खाने, मछली खाने से कभी कोरोना बीमारी नहीं फैलती है.

करौली जिले में पशुपालन विभाग की 12 गौशालाएं रजिस्टर्ड

ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए सयुंक्त निदेशक ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए इस बार लॉकडाउन में पशुओं को क्या हानि हुई है और अपनी तरफ से पशुओं को बचाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है. इस पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला कलेक्टर करौली डॉ. मोहन लाल यादव और पशुपालन विभाग की टीम ने ये व्यवस्था की है कि कोई भी निराश्रित गौवंश भूख और प्यास से नहीं मरे.

पशु पालन विभाग के निदेशक खुशीराम मीना से खास बातचीत

यह भी पढ़ें- हिंडौन सिटी में पैंथर का आतंक, हमले में किसान घायल

इसके साथ ही गौवंश के लिए चारे पानी की व्यवस्था नहीं हुई है, तो इसके लिए जिला कलेक्टर ने नगरपालिका तहसीलदार की ओर से कमेटी गठित की है. इसमें हिंडौन नगर परिषद क्षेत्र, टोडाभीम नगर पालिका क्षेत्र और करौली क्षेत्र के 836 गौवंश को ठीकरा सदन गौशाला में शामिल किया गया है. वहां उनके चारे पानी की व्यवस्था की गई है.

उन्होंने बताया कि करौली जिले में पशुपालन विभाग की 12 गौशाला रजिस्टर्ड हैं. जिसमें गौपालन निदेशालय की गाइडलाइन के अनुसार तीन गौशालाओं को अनुदान दिया जा रहा है. जिसमें सबसे बड़ी गौशाला ठीकरा सदन गौशाला है. जिला कलेक्टर करौली की ओर से निरन्तर गौशाला का निरीक्षण किया जाता है. पशुपालन विभाग की ओर से समय-समय पर उन गौशालाओं के अंदर रहने वाले गौवंश का टीकाकरण भी किया गया है. साथ ही विभाग के कार्मिकों की ओर से भीषण कोरोना महामारी में गौवंश की अच्छी देखभाल की गई है.

कोरोना संकट से पशुपालकों को उबारने के लिए दिया गया कृत्रिम गर्भाधान पर जोर

कोरोना संकट के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के बाद पशुपालकों को हुई हानि से उबारने के मामले पर संयुक्त निदेशक ने बताया कि करौली जिले की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं जिसमें 128 ग्राम पंचायत पहाड़ी क्षेत्रों में आती हैं. ऐसे में पहाड़ी क्षेत्रों में पशुपालन विभाग की टीम पशुपालकों के पास जाकर पशुपालकों को पशुधन में फायदे के लिए पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान करवाकर उत्तम नस्ल के पशु पैदा करने के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रही हैं.

टीम की ओर से ब्लॉक स्तर पर भी जगह-जगह उन्नत पशुपालन के लिए कैम्प लगाकर किसानों, पशुपालकों को बताया जाता है कि उन्नत नस्ल के पशु की संतान कैसे पैदा की जाए. टीम की ओर से अभी तक लगभग 20 हजार पशुओं मे कृत्रिम गर्भाधान करवाया जा चुका है. पशुपालन को बहुत अच्छा लाभ किसानों को मिला है. पशुओं में होने वाली बीमारियों के लिए टीकाकरण भी किया जा रहा है. जिससे पशुओं में किसी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं फैले.

45 डिग्री तापमान मे बीमारी फैलने का रहता है अंदेशा

संयुक्त निदेशक ने बताया कि 45 डिग्री पार तापमान से पशुओं में बीमारी फैलने का अंदेशा रहता है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी और जिला कलेक्टर की ओर से दिए गए दिशा निर्देशों और पशुपालन विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी में ये बताया गया है कि 45 डिग्री का तापमान बहुत अधिक तापमान होता है. जिसमें पशुओं के बीमार होने की संभावना बहुत अधिक रहती है. जब पशु बीमार हो जाता है तो उसका दूध उत्पादन भी कम हो जाता है.

उन्होंने कहा कि पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए पशु को छायादार स्थान पर बांधना चाहिए और खुले हवादार स्थान पर बांधकर उसके चारों तरफ टाटिया, बोरी आदि टांग देना चाहिए और उसको पानी से गिला करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि गांव के अंदर अधिकतर किसान-पशुपालक ये करते हैं कि जब भी अपने पशु को पानी पिलाते हैं तो उनके शरीर पर भी पानी डाल देते हैं. उनकी ये धारणा है कि पशु के शरीर पर पानी डालने से पशु का शरीर ठंडा हो जाएगा. जबकि उस समय उस पशु का शरीर गर्म रहता है. जिससे बीमार होने की संभावना अधिक रहती है.

यह भी पढ़ें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग : नारौली ग्राम पंचायत के लोगों ने Corona पर कैसे पाया काबू, देखें ग्राउंड रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि पशुओं को नहलाने का सबसे उत्तम समय सुबह पांच बजे से छः बजे का होता है क्योंकि उस समय पशु का शरीर ठंडा रहता है. इसलिए उन्होंने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि पशुपालन विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार ही पशुओं पर पानी डालें. वरना पशुओं में बीमारी फैलने का अंदेशा रहता है.

कार्मिकों को कोरोना से सतर्क रहने के दिए निर्देश

ज्यादातर विभागों में कार्मिकों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले पर संयुक्त निदेशक ने बताया कि कोरोना महामारी में कर्मचारियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सभी को मास्क पहनने, हाथों को सैनिटाइज करने, लोगों से सामाजिक दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. ब्लॉक स्तर पर जो नोडल अधिकारी है उनको भी ये निर्देशित किया गया है कि आप भी अपने कर्मचारियों को मास्क पहनने और सैनिटाइजर का प्रयोग करने के लिए निर्देशित करें.

साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि जब भी वो इलाज के लिए गांवों में जाए तो किसानों को भी जागरूक करें और किसानों को ये बताएं कि कोरोना बीमारी से घबराना नहीं है. कोरोना के साथ हमें जीना है. उन्हें दिन में साबुन से बार बार हाथ धोने, मास्क लगाने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और अपरिचित लोगों के संपर्क में नहीं आने के प्रति जागरूक करे. निदेशक ने कहा कि बाहर से आने वाले फरियादियों को सैनिटाइज और माक्स पहनकर आने के बाद ही दफ्तरों में अंदर प्रवेश दिया जाना चाहिए.

पशुपालकों को सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील

संयुक्त निदेशक ने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से बचाव ही उपचार है. हमें अपने घरों में सुरक्षित रहना चाहिए, बेवजह घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए. घर से बाहर निकलते समय सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए. चेहरे पर हमेशा मास्क लगाए रखना चाहिए और कोरोना से डरना नहीं है, हमें कोरोना के साथ लड़कर जीना है.

करौली. कोरोना महामारी के कारण पूरा विश्व भीषण संकट से जूझ रहा है. लोगों को ये चिंता भी सताने लगी है कि क्या पशुओं से भी कोरोना फैलता है. इसी को लेकर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक खुशीराम मीना ने ईटीवी भारत से खास चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना का संक्रमण पशुओं से नहीं फैलता है और ना ही मीट खाने से लोग कोरोना संक्रमित होते हैं.

पशुपालन विभाग के निदेशक से ईटीवी भारत के संवाददाता ने की खास बातचीत

उन्होंने कहा कि मैंने भी ये बातें सुनी है, लेकिन ये पूरी तरीके से झूठ है और लोगों की ओर से अफवाह फैलाई जा रही है. ऐसा कुछ नहीं है. मतलब पशुओं में कोरोना संक्रमण फैलने का एक भी मामला सामने नहीं आया है. ना ही विभाग की ओर से ऐसी कोई जानकारी या एडवाइजरी जारी कर अधिकारियों को बताया गया है. संयुक्त निदेशक ने ईटीवी भारत को बताया कि मीट खाने, अंडा खाने, मछली खाने से कभी कोरोना बीमारी नहीं फैलती है.

करौली जिले में पशुपालन विभाग की 12 गौशालाएं रजिस्टर्ड

ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए सयुंक्त निदेशक ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए इस बार लॉकडाउन में पशुओं को क्या हानि हुई है और अपनी तरफ से पशुओं को बचाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है. इस पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला कलेक्टर करौली डॉ. मोहन लाल यादव और पशुपालन विभाग की टीम ने ये व्यवस्था की है कि कोई भी निराश्रित गौवंश भूख और प्यास से नहीं मरे.

पशु पालन विभाग के निदेशक खुशीराम मीना से खास बातचीत

यह भी पढ़ें- हिंडौन सिटी में पैंथर का आतंक, हमले में किसान घायल

इसके साथ ही गौवंश के लिए चारे पानी की व्यवस्था नहीं हुई है, तो इसके लिए जिला कलेक्टर ने नगरपालिका तहसीलदार की ओर से कमेटी गठित की है. इसमें हिंडौन नगर परिषद क्षेत्र, टोडाभीम नगर पालिका क्षेत्र और करौली क्षेत्र के 836 गौवंश को ठीकरा सदन गौशाला में शामिल किया गया है. वहां उनके चारे पानी की व्यवस्था की गई है.

उन्होंने बताया कि करौली जिले में पशुपालन विभाग की 12 गौशाला रजिस्टर्ड हैं. जिसमें गौपालन निदेशालय की गाइडलाइन के अनुसार तीन गौशालाओं को अनुदान दिया जा रहा है. जिसमें सबसे बड़ी गौशाला ठीकरा सदन गौशाला है. जिला कलेक्टर करौली की ओर से निरन्तर गौशाला का निरीक्षण किया जाता है. पशुपालन विभाग की ओर से समय-समय पर उन गौशालाओं के अंदर रहने वाले गौवंश का टीकाकरण भी किया गया है. साथ ही विभाग के कार्मिकों की ओर से भीषण कोरोना महामारी में गौवंश की अच्छी देखभाल की गई है.

कोरोना संकट से पशुपालकों को उबारने के लिए दिया गया कृत्रिम गर्भाधान पर जोर

कोरोना संकट के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के बाद पशुपालकों को हुई हानि से उबारने के मामले पर संयुक्त निदेशक ने बताया कि करौली जिले की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं जिसमें 128 ग्राम पंचायत पहाड़ी क्षेत्रों में आती हैं. ऐसे में पहाड़ी क्षेत्रों में पशुपालन विभाग की टीम पशुपालकों के पास जाकर पशुपालकों को पशुधन में फायदे के लिए पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान करवाकर उत्तम नस्ल के पशु पैदा करने के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रही हैं.

टीम की ओर से ब्लॉक स्तर पर भी जगह-जगह उन्नत पशुपालन के लिए कैम्प लगाकर किसानों, पशुपालकों को बताया जाता है कि उन्नत नस्ल के पशु की संतान कैसे पैदा की जाए. टीम की ओर से अभी तक लगभग 20 हजार पशुओं मे कृत्रिम गर्भाधान करवाया जा चुका है. पशुपालन को बहुत अच्छा लाभ किसानों को मिला है. पशुओं में होने वाली बीमारियों के लिए टीकाकरण भी किया जा रहा है. जिससे पशुओं में किसी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं फैले.

45 डिग्री तापमान मे बीमारी फैलने का रहता है अंदेशा

संयुक्त निदेशक ने बताया कि 45 डिग्री पार तापमान से पशुओं में बीमारी फैलने का अंदेशा रहता है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी और जिला कलेक्टर की ओर से दिए गए दिशा निर्देशों और पशुपालन विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी में ये बताया गया है कि 45 डिग्री का तापमान बहुत अधिक तापमान होता है. जिसमें पशुओं के बीमार होने की संभावना बहुत अधिक रहती है. जब पशु बीमार हो जाता है तो उसका दूध उत्पादन भी कम हो जाता है.

उन्होंने कहा कि पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए पशु को छायादार स्थान पर बांधना चाहिए और खुले हवादार स्थान पर बांधकर उसके चारों तरफ टाटिया, बोरी आदि टांग देना चाहिए और उसको पानी से गिला करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि गांव के अंदर अधिकतर किसान-पशुपालक ये करते हैं कि जब भी अपने पशु को पानी पिलाते हैं तो उनके शरीर पर भी पानी डाल देते हैं. उनकी ये धारणा है कि पशु के शरीर पर पानी डालने से पशु का शरीर ठंडा हो जाएगा. जबकि उस समय उस पशु का शरीर गर्म रहता है. जिससे बीमार होने की संभावना अधिक रहती है.

यह भी पढ़ें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग : नारौली ग्राम पंचायत के लोगों ने Corona पर कैसे पाया काबू, देखें ग्राउंड रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि पशुओं को नहलाने का सबसे उत्तम समय सुबह पांच बजे से छः बजे का होता है क्योंकि उस समय पशु का शरीर ठंडा रहता है. इसलिए उन्होंने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि पशुपालन विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार ही पशुओं पर पानी डालें. वरना पशुओं में बीमारी फैलने का अंदेशा रहता है.

कार्मिकों को कोरोना से सतर्क रहने के दिए निर्देश

ज्यादातर विभागों में कार्मिकों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले पर संयुक्त निदेशक ने बताया कि कोरोना महामारी में कर्मचारियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सभी को मास्क पहनने, हाथों को सैनिटाइज करने, लोगों से सामाजिक दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. ब्लॉक स्तर पर जो नोडल अधिकारी है उनको भी ये निर्देशित किया गया है कि आप भी अपने कर्मचारियों को मास्क पहनने और सैनिटाइजर का प्रयोग करने के लिए निर्देशित करें.

साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि जब भी वो इलाज के लिए गांवों में जाए तो किसानों को भी जागरूक करें और किसानों को ये बताएं कि कोरोना बीमारी से घबराना नहीं है. कोरोना के साथ हमें जीना है. उन्हें दिन में साबुन से बार बार हाथ धोने, मास्क लगाने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और अपरिचित लोगों के संपर्क में नहीं आने के प्रति जागरूक करे. निदेशक ने कहा कि बाहर से आने वाले फरियादियों को सैनिटाइज और माक्स पहनकर आने के बाद ही दफ्तरों में अंदर प्रवेश दिया जाना चाहिए.

पशुपालकों को सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील

संयुक्त निदेशक ने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से बचाव ही उपचार है. हमें अपने घरों में सुरक्षित रहना चाहिए, बेवजह घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए. घर से बाहर निकलते समय सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए. चेहरे पर हमेशा मास्क लगाए रखना चाहिए और कोरोना से डरना नहीं है, हमें कोरोना के साथ लड़कर जीना है.

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