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करौली में पीडी खातों को लेकर सरपंच संघ ने किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

राजस्थान सरकार की ओर से सरपंचों के अधिकारों में कटौती करने के बाद करौली जिले में सरपंचों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इसी कड़ी में बुधवार को संरपच संघ की ओर से विरोध-प्रदर्शन किया गया. जिसके बाद सरपंचों ने जिला कलेक्टर को सीएम अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौंप सरपंचों के अधिकार को लौटने की मांग की.

Sarpanch Sangh protested in Karauli, करौली में सरपंच संघ का प्रदर्शन
करौली में सरपंच संघ का प्रदर्शन
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Published : Jan 13, 2021, 4:20 PM IST

करौली. जिले में बुधवार को संरपच संघ की ओर से ग्राम पंचायतों में खोले जा रहे पीडी खातो और सरपंच के अधिकारों में कटौती करने को लेकर प्रदर्शन किया गया. इस दौरान सरपंच नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे और जिला कलेक्टर को सीएम अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने सरकार से सरपंचों के वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती को रोकने की मांग की.

करौली में सरपंच संघ का प्रदर्शन

सरपंचों ने बताया कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में पीडी खातों को लेकर सरपंचों की ओर से विरोध दर्ज करवाया जा रहा है. इसी उपलक्ष्य में जिलेभर के सभी सरपंच एकत्रित हुए हैं. सरपंचों का कहना है कि पीडी खाते खुलने से ग्रामीण विकास रूक रहा है और सरपंच के सभी मूल अधिकार खत्म हो गए हैं.

सभी सरपंचों ने पीडी खातों का विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पीडी खातों पर रोक लगाने की मांग की है. जिससे सरपंचों के मूल अधिकार वापस से लौट सकें. उन्होंने बताया की एक तरफ तो गांव के विकास के लिए सरकार बजट का आवंटन नहीं कर रही है. दूसरी ओर ग्राम पंचायतों में ब्याज रहित पीडी खाते खुलवाकर सरपंचों के संविधानिक वित्तीय अधिकारों में कटौती करने जा रही है.

सरपंचों ने बताया कि सरकार के वर्तमान कार्यकाल में विगत 2 वर्षों से कुछ प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की ओर से पंचायती राज संस्थाओं के प्रशासनिक और वित्तीय हितों पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है. सरपंचों ने कहा कि जहां एक ओर पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की दयनीय स्थिति हो गई है. वहीं दूसरी ओर पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय हालत बहुत नाजुक हो रही है.

पढ़ें- झालावाड़: 31 कौऔं सहित 43 पक्षियों की मौत, कुल आंकड़ा 450

विगत 2 वर्षों में केंद्रीय वित्त आयोग की राशि के अतिरिक्त राज्य वित्त आयोग का एक भी रुपया ग्राम पंचायत को नहीं मिला है. यहां तक कि राज्य वित्त आयोग पंचम की सिफारिश के अनुसार भी ग्राम पंचायतों को बजट नही मिला है. सरपंचों ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार सरपंचों की समस्या का समाधान करें. वरना सरपंचों को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

करौली. जिले में बुधवार को संरपच संघ की ओर से ग्राम पंचायतों में खोले जा रहे पीडी खातो और सरपंच के अधिकारों में कटौती करने को लेकर प्रदर्शन किया गया. इस दौरान सरपंच नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे और जिला कलेक्टर को सीएम अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने सरकार से सरपंचों के वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती को रोकने की मांग की.

करौली में सरपंच संघ का प्रदर्शन

सरपंचों ने बताया कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में पीडी खातों को लेकर सरपंचों की ओर से विरोध दर्ज करवाया जा रहा है. इसी उपलक्ष्य में जिलेभर के सभी सरपंच एकत्रित हुए हैं. सरपंचों का कहना है कि पीडी खाते खुलने से ग्रामीण विकास रूक रहा है और सरपंच के सभी मूल अधिकार खत्म हो गए हैं.

सभी सरपंचों ने पीडी खातों का विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पीडी खातों पर रोक लगाने की मांग की है. जिससे सरपंचों के मूल अधिकार वापस से लौट सकें. उन्होंने बताया की एक तरफ तो गांव के विकास के लिए सरकार बजट का आवंटन नहीं कर रही है. दूसरी ओर ग्राम पंचायतों में ब्याज रहित पीडी खाते खुलवाकर सरपंचों के संविधानिक वित्तीय अधिकारों में कटौती करने जा रही है.

सरपंचों ने बताया कि सरकार के वर्तमान कार्यकाल में विगत 2 वर्षों से कुछ प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की ओर से पंचायती राज संस्थाओं के प्रशासनिक और वित्तीय हितों पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है. सरपंचों ने कहा कि जहां एक ओर पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की दयनीय स्थिति हो गई है. वहीं दूसरी ओर पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय हालत बहुत नाजुक हो रही है.

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विगत 2 वर्षों में केंद्रीय वित्त आयोग की राशि के अतिरिक्त राज्य वित्त आयोग का एक भी रुपया ग्राम पंचायत को नहीं मिला है. यहां तक कि राज्य वित्त आयोग पंचम की सिफारिश के अनुसार भी ग्राम पंचायतों को बजट नही मिला है. सरपंचों ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार सरपंचों की समस्या का समाधान करें. वरना सरपंचों को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

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