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भीषण गर्मी ने बढ़ाए डी-हाइड्रेशन और उल्टी-दस्त के मरीज, ओपीडी में लगने लगी लंबी कतारें

गर्मियों में जरा सी लापरवाही और आदमी बीमार होकर सीधे अस्पताल पहुंच जाता है. गर्मी में पेट की बीमारियां सबसे अधिक होती है. जिसका मुख्य कारण असमय और दूषित खानपान होता है. राजकीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में बीते चार दिनों में 18 लोग डिहाइड्रेशन की शिकायत लेकर आ चुके हैं.

भीषण गर्मी ने बढ़ाए डी-हाइड्रेशन और उल्टी-दस्त के मरीज, आउटडोर में मरीजों की बाढ़
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Published : May 14, 2019, 11:20 PM IST

हिन्डौन सिटी (करौली). दिनों दिन बढ़ रही गर्मी के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. वर्तमान में पड़ रही तेज गर्मी के कारण डी-हाइड्रेशन और और उल्टी दस्त के मरीज बढ़ रहे है. हिन्डौन अस्पताल के आउटडोर में हर दिन औसत 550 से अधिक मरीज आ रहे है. इसमें पेटदर्द, सर्दी जुकाम, उल्टी-दस्त के मरीज शामिल है.

अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीजों में ज्यादातर बच्चे है. चिकित्सक इन बिमारियों का कारण तेज गर्मी बता रहे है. चिकित्सकों के अनुसार अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. पिछले कुछ दिन में बढ़े तापमान के कारण लोग इनके शिकार हो रहे है. तेज गर्मी के मौसम में खान-पान में सावधानी नहीं बरतना भी लोगों के बीमार होने की वजह बन रहा है.

भीषण गर्मी ने बढ़ाए डी-हाइड्रेशन और उल्टी-दस्त के मरीज, आउटडोर में मरीजों की बाढ़

भीषण गर्मी से अस्पतालों मे बढ़े मरीज
चिकित्सक आशीष शर्मा ने बताया कि तेज गर्मी के मौसम में छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा शिकायत डी-हाइड्रेशन की होती है. ऐसे में अभिभावक बच्चों को तेज धूप में नहीं निकलने दें. आवश्यक होने पर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें. इसके साथ ही धूप में निकलने से पहले भरपूर पानी पीकर निकले. आंखों को राहत देने के लिए उन पर दिन में तीन-चार बार पानी का छिड़काव करें. तली, गली और डिब्बा बंद खाद्य सामग्री के उपयोग से बचें. पेय पदार्थों का ज्यादा उपयोग करें. यही सावधानी युवा और बुजुर्ग भी रख कर गर्मी से होने वाली बीमारियों से अपना बचाव कर सकते है.

गर्मियों में जरा सी लापरवाही और आदमी बीमार होकर सीधे अस्पताल पहुंच जाता है. गर्मी में पेट की बीमारियां सबसे अधिक होती है जिसका मुख्य कारण असमय और दूषित खानपान होता है. राजकीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में बीते चार दिनों में 18 लोग डिहाइड्रेशन के शिकायत लेकर आ चुके हैं. जबकि ओपीडी में भी मरीजों की लाइन लगी है. इसके अलावा निर्मल अस्पताल सहित क्षेत्र के सभी प्राइवेट अस्पतालों में भी डायरिया व दस्त के मरीजों की लाइन लगी है. तेज गर्मी के कारण कई लोग लू की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके हैं. लू से बचने के लिए दिन में बाहर निकलने से बचें. धूप के चश्मे और खुद को कपड़ों से ढ़ककर ही बाहर निकलें. दस्त के लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक के पास जाएं.


डॉक्टर के अनुसार गर्मी के मौसम में शरीर को पानी की अधिक जरूरत होती है. इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए. मगर यह ध्यान रहे की पानी साफ हो. इस मौसम में बैक्टीरिया अधिक वृद्धि करते हैं. और जरा सी लापरवाही भी संक्रमण का कारण बन सकती है. सड़क किनारे ठेलियों और खुले में बिकने वाले खाद्य सामान से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए. क्योंकि इनसे संक्रमण व फूड प्वाइजनिंग का अधिक डर रहता है. शिकंजी, जलजीरा, नींबू पानी, जूस, दही, मठ्ठा का प्रयोग लाभप्रद रहता है. मगर सफाई का ध्यान रखें और हल्का व सादा खाना खाएं.

हिन्डौन सिटी (करौली). दिनों दिन बढ़ रही गर्मी के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. वर्तमान में पड़ रही तेज गर्मी के कारण डी-हाइड्रेशन और और उल्टी दस्त के मरीज बढ़ रहे है. हिन्डौन अस्पताल के आउटडोर में हर दिन औसत 550 से अधिक मरीज आ रहे है. इसमें पेटदर्द, सर्दी जुकाम, उल्टी-दस्त के मरीज शामिल है.

अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीजों में ज्यादातर बच्चे है. चिकित्सक इन बिमारियों का कारण तेज गर्मी बता रहे है. चिकित्सकों के अनुसार अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. पिछले कुछ दिन में बढ़े तापमान के कारण लोग इनके शिकार हो रहे है. तेज गर्मी के मौसम में खान-पान में सावधानी नहीं बरतना भी लोगों के बीमार होने की वजह बन रहा है.

भीषण गर्मी ने बढ़ाए डी-हाइड्रेशन और उल्टी-दस्त के मरीज, आउटडोर में मरीजों की बाढ़

भीषण गर्मी से अस्पतालों मे बढ़े मरीज
चिकित्सक आशीष शर्मा ने बताया कि तेज गर्मी के मौसम में छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा शिकायत डी-हाइड्रेशन की होती है. ऐसे में अभिभावक बच्चों को तेज धूप में नहीं निकलने दें. आवश्यक होने पर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें. इसके साथ ही धूप में निकलने से पहले भरपूर पानी पीकर निकले. आंखों को राहत देने के लिए उन पर दिन में तीन-चार बार पानी का छिड़काव करें. तली, गली और डिब्बा बंद खाद्य सामग्री के उपयोग से बचें. पेय पदार्थों का ज्यादा उपयोग करें. यही सावधानी युवा और बुजुर्ग भी रख कर गर्मी से होने वाली बीमारियों से अपना बचाव कर सकते है.

गर्मियों में जरा सी लापरवाही और आदमी बीमार होकर सीधे अस्पताल पहुंच जाता है. गर्मी में पेट की बीमारियां सबसे अधिक होती है जिसका मुख्य कारण असमय और दूषित खानपान होता है. राजकीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में बीते चार दिनों में 18 लोग डिहाइड्रेशन के शिकायत लेकर आ चुके हैं. जबकि ओपीडी में भी मरीजों की लाइन लगी है. इसके अलावा निर्मल अस्पताल सहित क्षेत्र के सभी प्राइवेट अस्पतालों में भी डायरिया व दस्त के मरीजों की लाइन लगी है. तेज गर्मी के कारण कई लोग लू की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके हैं. लू से बचने के लिए दिन में बाहर निकलने से बचें. धूप के चश्मे और खुद को कपड़ों से ढ़ककर ही बाहर निकलें. दस्त के लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक के पास जाएं.


डॉक्टर के अनुसार गर्मी के मौसम में शरीर को पानी की अधिक जरूरत होती है. इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए. मगर यह ध्यान रहे की पानी साफ हो. इस मौसम में बैक्टीरिया अधिक वृद्धि करते हैं. और जरा सी लापरवाही भी संक्रमण का कारण बन सकती है. सड़क किनारे ठेलियों और खुले में बिकने वाले खाद्य सामान से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए. क्योंकि इनसे संक्रमण व फूड प्वाइजनिंग का अधिक डर रहता है. शिकंजी, जलजीरा, नींबू पानी, जूस, दही, मठ्ठा का प्रयोग लाभप्रद रहता है. मगर सफाई का ध्यान रखें और हल्का व सादा खाना खाएं.

Intro:भीषण गर्मी ने बढ़ाए डी-हाइड्रेशन और उल्टी-दस्त के मरीज, आउटडोर पहुंचा एक हज़ार पार

हिन्डौन सिटी। दिनो दिन बढ़ रही गर्मी के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। लगातार पड़ रही तेज गर्मी
लगातार बढ़ रही गर्मी के कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। वर्तमान में पड़ रही तेज गर्मी के कारण डी-हाइड्रेशन और और उल्टी दस्त के मरीज बढ़ रहे हैं। हिन्डौन अस्पताल के आउटडोर में हर दिन औसत 550 से अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें पेटदर्द, सर्दी जुकाम, उल्टी-दस्त के मरीज शामिल हैं। अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीजों में ज्यादातर बच्चे हैं। चिकित्सक इन बिमारियो का कारण तेज गर्मी बता रहे है। चिकित्सकों के अनुसार अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। पिछले कुछ दिन में बढ़े तापमान के कारण लोग इनके शिकार हो रहे हैं। तेज गर्मी के मौसम में खान-पान में सावधानी नहीं बरतना भी लोगों के बीमार होने की वजह बन रहा है। 

भीषण गर्मी से अस्पतालों मे बढ़े मरीज 
चिकित्सक आशीष शर्मा ने बताया कि तेज गर्मी के मौसम में छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा शिकायत डी हाइड्रेशन की होती है ऐसे में अभिभावक बच्चों को तेज धूप में नहीं निकलने दे। आवश्यक होने पर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें। इसके साथ ही धूम में निकलने से पहले भरपूर पानी पीकर निकले। चेहरे को भी ढंककर निकलें, आंखों को राहत देने के लिए उन पर दिन में तीन-चार बार पानी का छिड़काव करें। तली गली और डिब्बा बंद खाद्य सामग्री के उपयोग से बचें। पेय पदार्थों का ज्यादा उपयोग करें। यही सावधानी युवा और बुजुर्ग भी रख कर गर्मी से होने वाली बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं। 

गर्मियों में जरा सी लापरवाही और आदमी बीमार होकर सीधे अस्पताल पहुंच जाता है। गर्मी में पेट की बीमारियां सबसे अधिक होती है जिसका मुख्य कारण असमय और दूषित खानपान होता है। राजकीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में बीते चार दिनों में 18 लोग डिहाइड्रेशन के शिकायत लेकर आ चुके हैं जबकि ओपीडी में भी मरीजों की लाइन लगी है। इसके अलावा निर्मल अस्पताल सहित क्षेत्र के सभी प्राइवेट अस्पतालों में भी डायरिया व दस्त के मरीजों की लाइन लगी है। तेज गर्मी के कारण कई लोग लू की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके हैं। लू से बचने के लिए दिन में बाहर निकलने से बचें। यदि जरूरी हो तो शरीर को पूरी तरह ढके और चश्मे का प्रयोग करें। दस्त के लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक के पाए जाएं।

चिकित्सक आशीष शर्मा ने बताया कि
गर्मी के मौसम में शरीर को पानी की अधिक जरूरत होती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए मगर यह ध्यान रहे की पानी साफ हो। इस मौसम में बैक्टीरिया अधिक वृद्धि करते हैं और जरा सी लापरवाही भी संक्रमण का कारण बन सकती है। सड़क किनारे ठेलियों पर व खुले में बिकने वाले खाद्य सामान से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए क्योंकि इनसे संक्रमण व फूड प्वाइजनिंग का अधिक डर रहता है। शिकंजी, जलजीरा, नींबू पानी, जूस, दही, मठ्ठा का प्रयोग लाभप्रद रहता है मगर सफाई का ध्यान रखें। हल्का व सादा खाना खाएं।Body:Bhishan garmi se bdhi bimari Conclusion:null
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